अनुक्रम (Contents)
सुनने एवं बोलने के कौशलों के विकास पर एक निबंध लिखिए। (Write an essay on developing listening and speaking skills)
उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में भाषा के मूल कौशलों में अपेक्षित योग्यताओं का विभिन्न स्तरों पर विभिन्न अभिकरणों द्वारा निर्धारण करने का प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद् तथा राज्य शिक्षा संस्थाओं की विभिन्न गोष्ठियों में भी इन कौशलों के विकास पर विचार विर्मश किया गया था।
सुनने की योग्यता (Listening Skills)
भाषा की शिक्षा के अन्तर्गत सुनने का अर्थ है- बोधपूर्वक श्रवण करना केवल ध्वनि संकेतों का श्रवण ही, सुनने की योग्यताओं के अन्तर्गत मान्य नहीं है, वरन् ध्वनि संकेतों के श्रवण के साथ-साथ उनका अर्थग्रहण भी सुनने की योग्यता का अविभाज्य अंग माना जाता है।
उच्च अथवा उच्चतर माध्यमिक स्तर पर सुनने की योग्यता के समुचित विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि-
(i) इस स्तर के उपरांत विश्वविद्यालयीय शिक्षण-प्रक्रिया में भाषण पद्धति प्रधानतः प्रयोज्य होती है
(ii) मनुष्य को अपने दैनिक जीवन में सुनने, बोलने, पढ़ने तथा लिखने की क्रियाओं में से सर्वाधिक सुनने की क्रिया करनी पड़ती है, किन्तु महत्त्व की दृष्टि से सुनने से बढ़कर बोलना है। आज के प्रजातांत्रिक युग में भाषण के बल पर ही दूसरों को प्रभावित करके अपने पक्ष में किया जाता है। अतः बोलने की कला का जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
सुनने तथा बोलने की विविध प्रकार की सामग्री लगभग तीन स्थितियों में उपलब्ध हो सकती है-
(क) कक्षा-स्थिति
(ग) आकाशवाणी प्रसारण आदि
(ख) कक्षेत्तर स्थिति
इस स्तर पर श्रव्य सामग्री लगभग इस प्रकार हो सकती है-
(क) लिखित
(1) सस्वर वाचन-पाठ्य पुस्तकीय सामग्री-
(i) गद्यावतरण का सस्वर वाचन, (ii) कविता पाठ।
(2) पाठ्य-पुस्तकेत्तर सामग्री-निबंध पाठ, आलोचना पाठ आदि
(ख) कथित
(ii) वाद-विवाद
(i) वार्तालाप
(iii) चर्चा (परिचर्चा, पैनलचर्चा, दलचर्चा आदि)
(iv) भाषण, प्रवचन आदि ।
(vi) वर्णन एवं विवरण
(v) संवाद (नाट्यांश, एकांकी नाटक आदि)
(vii) आशु भाषण
सुनने की योग्यताओं का विवरण (Details of Hearing Abilities)
श्रव्य सामग्री | अपेक्षित योग्यताएँ |
(क) लिखित सामग्री का श्रवण 1. सस्वर वाचन (i) गद्यावतरण का सस्वर वाचन (ii) कविता पाठ 2. पत्र वाचन (निबंध पाठ, आलोचना पाठ आदि) (ख) कथित सामग्री का श्रवण 1. वर्तालाप 2. वाद-विवाद 3. चर्चा (परिचर्चा, पैनलचर्चा, दलचर्चा आदि) 4. भाषण, प्रवचन, सम्बोधन आदि 5. संवाद (वाक्यांश, एकांकी नाटका आदि) 6. वर्णन एवं विवरण। 7. आशु भाषण। विषय- 1. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शैक्षिक तथा अन्य समस्याओं से सम्बन्धित विषयों पर। 2. राष्ट्रीय चेतना से सम्बन्धित विषयों पर। 3. धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रवचन। 4. महापुरुषों के जीवन से सम्बन्धित विषयों पर। 5. साहित्यिक विषयों पर। 6. वैज्ञानिक विषयों पर । |
1. बालक सुनने के शिष्टाचार का पालन कर सके- (क) मतभेद होते हुए भी धैर्यपूर्वक सुन सके। (ख) वक्ता के साथ सहानुभूति रख सके। (ग) बीच में अपने साथियों से बातचीत न करे। 2. वह मनोयोगपूर्वक सुने सके। 3. बालक सुनते-सुनते समान ध्वनियों का पारस्परिक अंतर समझ सके। यथा-हत्व, दीर्घ स्वर, ए, ऐ, ओ, औ, न, पा, व, व, श, स, क्ष आदि। 4. वह बलाघात, स्वराघात सुर के आरोह-अवरोह, यति तथा वक्ता की आगिक चेष्टाओं के अनुसार भाव या अर्थ-ग्रहण कर सके। 5. वह शब्दों, मुहावरों एवं उक्तियों का प्रसंगानुकूल वाच्यार्थ, लक्ष्यार्थ, व्यंग्यार्थ जैसी भी स्थिति हो, ग्रहण कर। 6. वह श्रुत सामग्री के महत्त्वपूर्ण विचारों, भावों, नामों तथा तथ्यों का चयन कर सके। 7. वह भाषा के चित्रमय प्रयोगों के अनुसार अर्थग्रहण कर सके। 8. वह आलंकारिक सौन्दर्य के अनुसार भावग्रहण कर सके। 9. वाचक द्वारा अशुद्धतः उच्चारित ध्वनियों की त्रुटियाँ पकड़ सकें, उनका शुद्ध रूप निर्धारित करते हुए उनके प्रभाव से बच सके। 10. वह विवेकपूर्ण सुन सकें अर्थात्- (क) असम्बद्ध बातों को छोड़ सके। (ख) मुख्य और सम्बद्ध बातों को चयन कर सके। (ग) वह अक्रम और असम्बद्ध रूप से श्रुत सामग्री को सुसम्बद्ध एवं क्रमबद्ध करते हुए अर्थ ग्रहण कर सके। 11. वाद-विवाद मे पक्ष एवं विपक्ष के विचारों को तटस्थ रूप में सुनकर उनकी तुलना कर सके तथा वह अपना मत बना सके। 12. भाषण या चर्चा के अन्तर्गत मन में उठने वाली शंकाओं के सम्बन्ध में प्रश्न पूछने के लिए उन्हें ध्यान में रख सके। 13. कथात्मक सामग्री (नाटक, कहानी आदि) में घटनात्मक मोड़ों पर कक्ष वस्तु की भावी दिशाके सम्बन्ध में उद्भावनापूर्ण अनुमान कर सके। 14. पात्रों की चरित्रगत विशेषताओं को समझ सके। 15. वक्ता को सामने समुपस्थित न देखते हुए केवल उसकी वाणी के उतार-चढ़ाव के अनुसार उसकी आंगिक चेष्टाओं की कल्पना करते हुए अर्थग्रहण कर सके। |
बोलने की योग्यताओं का विवरण (Details of Speaking Abilities)
मौखिक अभिव्यक्ति के रूप | अपेक्षित योग्यताएँ (उच्चारण) |
1. वार्तालाप 2.वाद-विवाद 3.भाषण-प्रवचन 4. चर्चा (परिचर्चा, पैनलचर्चा, (दलचर्चा) 5. संवाद 6. कविता पाठ 7. वर्णन, विवरण 8. आशु भाषण विषय- 1. विद्यार्थियों के दैनिक जीवन से सम्बद्ध राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक समस्या विषयक सरल विषयों पर। 2. राष्ट्रीय चेतना से सम्बन्धित सरल विषयों पर। 3. महापुरुषों के जीवन से सम्बन्धित विषयों पर। 4. स्वानुभूत विषयों पर; यथा-यात्रां भ्रमण का वर्णन, किसी घटना का वर्णन, किसी उत्सव मेले , आदि का वर्णन, प्रकृति वर्णन, किसी खेल का वर्णन आदि। 5. सरल वैज्ञानिक विषयों पर। |
1. बालक शुद्ध एवं स्पष्ट उच्चारण करते हुए बोल सके। 2. अर्थानुकूल उचित आरोह-अवरोह सहित बोल सके। 3. उच्चारण और लहजे में स्थानीय बोलियों के प्रभाव से मुक्ता रह सके। 4. विषय और अवसर के अनुकूल अपनी वाणी को नियंत्रित कर सके। 5. वाक्य में यथोचित बलाघात करते हुए बोल सके। 6. बोलने में समुचित गति, यति तथा प्रवाह का निर्वाह कर सके। 7.वाक्य को उचित अर्थान्वितियों में विभक्त करते हुए बोल सके। भाषा एवं शैली- 1. बोलते हुए स्वाभाविक भाषा का प्रयोग कर सके। 2. प्रसंगानुकूल शब्दों, मुहावरों का संगत प्रयोग कर सके। 3. वर्णन में चित्रात्मक भाषा का प्रयोग कर सके। 4. विषय और अवसर के अनुकूल भाषा का प्रयोग कर सके। 5. मौखिक अभिव्यक्ति की मौलिक शैली का विकास कर सके। 6. छन्द और भाव के अनुकूल कविता पाठ कर सके। 7. बोलते-बोलते श्रोताओं की प्रतिक्रिया को समझ सके और उनके अनुसार विषय-वस्तु भाषा और शैली में परिवर्तन कर सके। वस्तु-प्रस्तुति- 1. अभीष्ट सामग्री को क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत कर सके। 2. विभिन्न स्थितियों के अनुरूप बोलने में यथोचित शिष्टाचार का पालन कर सके। 3. प्रतिपक्षी के मत का तर्कसहित खण्डन करते हुए स्वमत का प्रतिपादन कर सके। 4. अपने कथन को उदाहरण, दृष्टांत, उद्धारण आदि द्वारा रोचक बना सके। 5. विना पूर्व सूचना के किसी परिचित विषय पर कम-से-कम 3 मिनट बोल सके। 6. भाषण या चर्चा के उपरांत पूछे गये प्रश्नों के उत्तर सके। |