अनुक्रम (Contents)
वैदिककालीन और बौद्धकालीन शिक्षा में अन्तर
वैदिक शिक्षा तथा बौद्धकालीन शिक्षा पद्धतियों में उपर्युक्त तेरह बातों की समानता थी। किन्तु इन शिक्षा पद्धतियों में कुछ असमानताएं भी थी। ये असमानताएं निम्नलिखित हैं-
वैदिक शिक्षा | बौद्ध शिक्षा |
1. वैदिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा की पारिवारिक प्रणाली थी क्योंकि गुरू का गृह या परिवार छात्र का विद्यालय था। | 1. बौद्ध शिक्षा प्रणाली बौद्ध संघ की प्रणाली थी। परिवार की जगह संघ या परिवार की जगह संघ या परिवार ने ले लिया था, गुरू शिष्य के पारिवारिक बन्धन समाप्त थे। |
2. वैदिक शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत शिक्षा का माध्यम संस्कृत भाषा ही थी । | 2. बौद्धकालीन शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का माध्यम पालि थी। इसमें देशी भाषाओं को अधिक महत्व दिया जाता था। |
3. वैदिक शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया जाता था। | 3. बौद्ध शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा प्रणाली पर कम बल दिया गया था। |
4. वैदिक शिक्षा प्रणाली में व्यक्तिगत शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया जाता था। | 4. बौद्धकालीन शिक्षा प्रणाली पूर्ण रूप से सामूहिक शिक्षण पर बल देती थी । |
5. वैदिक शिक्षा प्रणाली वेदों पर आधारित थी तथा उसमें अध्ययन कार्य ब्राह्मण ही करते थे । | 5. बौद्धकालीन शिक्षा प्रणाली वेदों पर आधारित नहीं थी। केवल वे ही ब्राह्मण अध्ययनं कार्य करते थे जो बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लेते थे। |
6. वैदिक शिक्षा प्रणाली में हर किसी गुरूगृह अथवा विद्यालय का अपना स्वतन्त्र अस्तित्व होता था। | 6. बौद्ध शिक्षा में हर विद्यालय का सम्बन्ध संघ से होता था। |
7. वैदिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षा का केन्द्र गुरू का गृह था । यहाँ केवल एक ही शिक्षक अध्यापन कार्य करता था । | 7. इसका विकास अनेक गुरूओं वाली संस्था में हुआ था क्योंकि गुरू से ही बौद्ध विहारों में अनेक बौद्ध शिक्षक अध्यापन कार्य करते थे। |
8. वैदिक शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थी बोलकर भिक्षा माँगते थे। | 8. बौद्ध शिक्षा प्रणाली में भिक्षुओं को मौन रूप से भिक्षा मांगना पड़ता था। |
9. वैदिक शिक्षा प्रणाली में गुरु और शिष्य का सम्बन्ध पिता-पुत्र का होता था यह बात एक स्वामित्व सिद्धान्त पर आधारित था। | 9. बौद्ध शिक्षा प्रणाली में गुरू का शिष्य पर कम अधिकार था। अतएव यह शिक्षा जनतान्त्रिक सिद्धान्त पर आधारित थी। |
10. वैदिक शिक्षा प्रणाली में समापवर्तन संस्कार के बाद ब्रम्हचारी अपनी शिक्षा प्राप्त कर लेता था और गृहस्थ आश्रम में पहुँचता था। | 10. बौद्ध शिक्षा प्रणाली में उपसम्पदा संस्कार के बाद भिक्षु को सांसारिक बंधनों को तोड़कर आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता था। |
11. वैदिक शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थी को कठोर त्याग और तपस्यामय जीवन व्यतीत करना पड़ता था। इस जीवन को बिताने के बाद ही विद्यार्थी वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति कर सकता था। | 11. बौद्ध शिक्षा प्रणाली में संघ तथा विहारों में विद्यार्थियों का जीवन उनके सामान्य जीवन की अपेक्षा अधिक सुखी होता था। |
- वैदिक कालीन भारत में शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य
- बौद्धकालीन शिक्षा के उद्देश्य
- वैदिक कालीन भारत में शिक्षा में प्रमुख उद्देश्य
- प्राचीन भारत में शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ
- वैदिक कालीन भारत के प्रमुख शिक्षा केन्द्र
इसी भी पढ़ें…
- अभिप्रेरणा क्या है ? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित है?
- अभिप्रेरणा की विधियाँ | Methods of Motivating in Hindi
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, महत्त्व, उपयोग/लाभ, सीमाएँ
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ
- अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक