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पाठ्यचर्या विकास के उपागम | Approaches of Curriculum Development in Hindi

पाठ्यचर्या विकास के उपागम
पाठ्यचर्या विकास के उपागम

पाठ्यचर्या विकास के उपागम (Approaches of Curriculum Development)

पाठ्यचर्या विकास के उपागम (Approaches of Curriculum Development)- आप इस बात सहमत होंगे कि विद्यालय के क्रियाकलाप समाज द्वारा निर्धारित कुछ सिद्धान्तों और नियमों के आधार पर नियोजित एवं संगठित किये जाने चाहिए। शिक्षण अधिगम क्रियाकलापों द्वारा शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ सुनियोजित कार्यविधियाँ हैं यह आवश्यक है कि इन क्रियाकलापों अर्थात् अधिगम अनुभवों का सावधानीपूर्वक चयन, नियोजन एवं क्रियान्वयन किया जाए ताकि ये शिक्षण अनुभव लोगों के कल्याण में योगदान दे सकें। अतः हम पाठ्यचर्या विकास में किसी सुव्यवस्थित उपागम का पालन करते हैं। यह उपागम ‘ पाठ्यचर्या उपागम’ के नाम से जाना जाता है।

हम पाठ्यचर्या उपागम की परिभाषा इस प्रकार दे सकते हैं—पाठ्यचर्या उपागम से अभिप्राय पाठ्यचर्या विकास और उसको क्रियान्वित करने सम्बन्धी विविध पक्षों के विषय में निर्णय लेने के लिए प्रयुक्त संगठन प्रतिमान अथवा अभिकल्पन है। इस प्रकार पाठ्यचया उपागम एक योजना है जिसका अपने छात्रों को अधिगम अनुभव अर्थात् क्रियाएँ प्रदान के लिए अध्यापक अनुसरण करते हैं। पाठ्यचर्या का पैटर्न अर्थात् डिजाइन पाठ्यचर्या संचालन के फलस्वरूप प्राप्त होने वाली उपलब्धियों की प्रकृति को निर्धारित करता है।

पाठ्यचर्या उपागम की प्रमुख कोटियाँ (Main Aspects of Curriculum Approaches)

पाठ्यचर्या के संगठन और डिजाइन के अनेक उपागम हैं। इन उपागमों को प्रायः निम्नलिखित चार कोटियों में वर्गीकृत किया जाता है-

-विषय केन्द्रित उपागम

-विस्तृत क्षेत्र उपागम

-सामाजिक समस्या केन्द्रित उपागम

-अध्येता केन्द्रित उपागम

-पाठ्यचर्या अभिकल्पन उपागम विशेष का चयन यह संकेत देता है कि शैक्षिक कार्यक्रमों में शामिल अनुभवों की विविधता के बारे में निर्णय के आधार क्या हैं।

-पाठ्यचर्या नियोजन की प्रक्रिया में शैक्षिक अभिकरणों, छात्रों तथा अध्यापकों की भूमिका क्या है विद्यालय द्वारा जुटाए गए अधिगम अनुभवों के चयन और संगठन सम्बन्धी विधि को कैसे चुना गया।

– उद्देश्यों के चयन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से थे।

-विषय, वस्तु का प्रयोग कैसे किया जाए।

आइए, अब उपर्युक्त क्रम में दिये गये पाठ्यचर्या विकास के उपागमों पर चर्चा करें-

1. विषय केन्द्रित उपागम (Subject Centred Approach) – विषय केन्द्रित उपागम शैक्षिक अनुभवों के संगठन के लिए अधिकतम प्रयुक्त होने वाले उपागमों में से एक है। इस उपागम में विषय-वस्तु के चारों ओर अधिगम अनुभवों को संगठित किया जाता है और शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विषय-वस्तु में पूर्णता ही मूल आधार है।

विषय-केन्द्रित पाठ्यचर्या में पाठ्यचर्या योजनाकार का मुख्य दायित्व है कि वे द्वारा स्वीकृत विषयों का निर्धारण करें और निर्णय लें कि प्रत्येक विषय-वस्तु के अन्तर्गत क्या-क्या आएगा। उदाहरण के लिए वे विषयवस्तु या पाठ् सामग्री को अध्ययन के अविभिन्न क्षेत्रों जैसे- हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, सामाजिक ज्ञान, गणित आदि में बांट लें। पाठ्यचर्या योजना में लगे व्यतिक्तयों का दूसरा दायित्व यह है कि वे छात्र की विषयगत योग्यता को जांचने के लिए औपचारिक परीक्षणों, समस्या समाधान स्थितियों आदि द्वारा मूल्यांकन की युक्तियाँ निकालें।

2. विस्तृत क्षेत्र उपागम (Wide Approaches)- विस्तार क्षेत्र उपागम पारस्परिक विषय डिजाइन का परिवर्तित रूप है। यह उपागम अध्ययन के सम्पूर्ण क्षेत्र से सम्बद्ध ज्ञान-बोध को एक व्यापक विषयवस्तु संगठन में लाने का प्रयास करता है। विस्तृत क्षेत्र उपागम में समान विषयों की विषयवस्तु को समाकलित करने का प्रयास किया जाता है। उदाहरण के लिए, जीव विज्ञान का विस्तृत क्षेत्र पाठ्यक्रम विकसित करते समय प्राणी विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, जीवाणु विज्ञान जैसे विषयों के सिद्धान्तों, अवधारणाओं तथा ज्ञान को एक निर्देशात्मक इकाई में एकत्र किए जाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

विस्तृत क्षेत्र उपागम सही अर्थ में पूर्णत: विषय आधारित उपागम है, परन्तु यह एक ऐसा उपागम है जिसमें विषय-वस्तु के चयन और संगठन का आधार पारम्परिक विषय केन्द्रित उपागम से भिन्न है इसमें ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों को सह-सम्बद्ध समाकलित करने के प्रयास किये जाते हैं।

3. सामाजिक समस्या उपागम (Social Problem Approaches) – इस उपागम के समर्थक यह मानते हैं कि व्यक्ति के अधिगम अनुभव उस संस्कृति और वातावरण के क्रियाकलापों पर आधारित होने चाहिए जिनमें वह रहता है। इससे विद्यार्थी में सामाजिक मुद्दों और समस्याओं के बारे में जागरूकता आती है और उनको प्रभावी ढंग से सुलझाने की योग्यता उत्पन्न होती है सामाजिक समस्या उपागम के माध्यम से पर्यावरण प्रजातिवाद जनसंख्या संचार तथा तकनीकी जैसे विषयों पर पाठ्यक्रम विकसित किये जा सकते हैं, इस उपागम में सामाजिक समस्या अथवा मुद्दे का विश्लेषण करने के पश्चात् अधिगम उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है। समस्या से सम्बद्ध किसी भी स्रोत से संगत विषयवस्तु को लिया जा सकता हैं।

4. अध्येता केन्द्रित उपागम (Student Centred Approaches)– अधिगम एक ऐसी क्रिया है जिसमें हम अनुभवों द्वारा अपने व्यवहार परिवर्तन करते हैं। हमें सबसे ज्यादा उन परिस्थितियों में सीखते हैं जिनसे कि हमें समस्या समाधान में सहायता मिलती है, जिनसे अपनी इच्छाओं की पूर्ति होती है तथा जिनके द्वारा हम अपनी रुचियों तथा जरूरतों को पूरा करते हैं। पाठ्यचर्या विकास के इस उपागम में विद्यालय अनुभव द्वारा छात्रों को ऐसी विधियाँ सिखाने का प्रयास किया जाता है जिन्हें एक प्रभावी नागरिक समस्या समाधान तथा अपनी रुचि तथा जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग में लाता है। इस प्रकार की पाठ्यचर्या योजना छात्रों के वर्तमान जीवन की जरूरतों पर आधारित होगी।

यह उपागम छात्रों को भविष्य की अपेक्षा वर्तमान का सामना करने के लिए तैयार रहता है। छात्र किसी समस्या को सुलझाने के लिए अपनी बुद्धि तथा पूर्वज्ञान से जुड़े अनुभवों का उपयोग करके सही निर्णय पर पहुँचता है। इसके लिए उचित अधिगम अनुभवों की योजना बनानी होगी जो मनोवैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ तथा छात्रों के लिए उपयोगी हो पाठ्यचर्या में विभिन्न विषयों को शामिल करना पड़ेगा यथा यौवनारम्भ में आने वाले शारीरिक तथा भावात्मक बदलावों सम्बन्धी बोध, सहपाठियों के साथ अंतःक्रिया वैयक्तिक मूल्यों का विकास, आदि दूसरे शब्दों में पाठ्यचर्या में उन मुद्दों को शामिल करना होगा जो छात्रों की विकासात्मक अवस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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