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विशिष्ट शिक्षा हेतु संवैधानिक या कानूनी प्रावधान

विशिष्ट शिक्षा हेतु संवैधानिक या कानूनी प्रावधान
विशिष्ट शिक्षा हेतु संवैधानिक या कानूनी प्रावधान

विशिष्ट शिक्षा हेतु संवैधानिक या कानूनी प्रावधान (Constituional or Legal Provisiotins for Special Education)

विशिष्ट शिक्षा हेतु कई संवैधानिक प्रावधानों का समावेश किया गया। इसमें से मुख्य निम्नलिखित हैं-

शारीरिक दोषी हेतु प्रावधान (Provisions for Physically Handicapned) – शारीरिक दोषी बालकों हेतु निम्न एक्ट (Act) बनाया गया, शारीरिक दोषी व्यक्तियों हेतु समान अवसर, उनके पूर्ण योगदान एवं अधिकारों की सुरक्षा एक्ट, 1995.

भारत के राजपत्र – विशेष, भाग-2 धारा संख्या-1, 1996 1 जनवरी, 1996 कानून मंत्रालय न्याय तथा प्रावधान नई दिल्ली पाठ-5, शिक्षा पृष्ठ 12-13 में भी ऐसी शिक्षा के कानूनी पहलुओं का वर्णन हुआ है जिनमें ये बातें समाविष्ट हैं-

1. उपयुक्त सरकारी तथा स्थानीय अधिकारी-

(i) शारीरिक रूप से बाधित प्रत्येक बालक जब तक वह 18 वर्ष तक हो उसके उपयुक्त वातावरण में निःशुल्क शिक्षा तथा शिक्षा संस्थानों में प्रवेश को सुनिश्चित करेंगे।

(ii) सामान्य विद्यालयों में बाधित सामान्य बालकों के मध्य समन्वय रखना।

(iii) सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्रों में विशिष्ट शिक्षा संस्थान बनाये जायेंगे, जिसमें समस्त भारत के विशिष्ट बालक प्रवेश पाने की छूट रखेंगे।

(iv) शारीरिक बाधित बालकों हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण के साधन उपलब्ध कराये।

2. उपयुक्त सरकारी व स्थानीय अधिकारी सरकारी विज्ञापन के माध्यम से निम्न कार्यों की योजना बनायेंगे-

(i) शारीरिक बाधित ऐसे बालक को कक्षा 5 तक किसी शिक्षा संस्थान में शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं या जो किसी कारणवश पूर्णकालिक रूप से शिक्षा लेने में असमर्थ हैं। ऐसे बालकों के लिये अशंकालिक शिक्षा की व्यवस्था करना।

(ii) पिछड़े क्षेत्रों में मानव संसाधनों का प्रयोग करना तथा उपयुक्त अभिविन्यास करके नियमों के अनुसार शिक्षा प्रदान करना।

(iii) बालकों को मुक्त विद्यालय व विश्वविद्यालयों के माध्यम से शिक्षा प्रदान करना।

(iv) कक्षा में दृश्य-श्रव्य सामग्रियों व प्रयोग करके शिक्षण देना।

(v) प्रत्येक अपंग बालक को उसकी शिक्षा हेतु आवश्यक विशिष्ट पुस्तकें तथा उपकरण निःशुल्क देना।

3. अपंग बालकों हेतु कार्य- अपंग बालकों हेतु शिक्षा के लिये विशिष्ट शिक्षा की व्यवस्था सरकारी अथवा गैर-सरकारी तरीकों से करना। इन्हें शिक्षा देने हेतु विशिष्ट शिक्षा उपकरण तथा संसाधन सामग्री आदि व इस क्षेत्र में अन्वेषण हेतु शिक्षाविदों तथा विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत विशेषज्ञों की सहायता लेना।

4. उपयुक्त संख्या में शिक्षकों हेतु प्रशिक्षण संस्थाएँ स्थापित करें तथा राष्ट्रीय व अन्य गैर- राष्ट्रीय संस्थाएँ भी शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सहायता करें, जिससे प्रशिक्षित शिक्षक अपंग बालकों की शिक्षा के लिये विशिष्ट विद्यालयों तथा सामन्वित शिक्षा संस्थाओं में उपलब्ध हों ।

5. उपयुक्त सरकारी विज्ञापनों द्वारा शिक्षा योजना बनाना, जिसमें अपंग बालकों हेतु प्रावधान बनाये जाएँ-

(i) विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने हेतु शारीरिक दोषी बालकों के लिये यातायात की सुविधा देना तथा विशिष्ट (अपंग) बालकों के अभिभावकों को भत्ता देना।

(ii) ऐसे विद्यालय जो व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हैं, उनमें से प्रवेश सम्बन्धी बाधाओं को हटाना ।

(iii) बालकों को यूनीफार्म, पुस्तकें आदि सामग्री वितरित करना।

(iv) शारीरिक बाधित बालकों को छात्रवृत्तियाँ देना।

(v) अपंग बालकों के लाभ के लिये पाठ्यक्रम में उपयुक्त परिवर्तन करना तथा अनुकूलन करना।

(vi) श्रवण बाधित बालकों की सुविधा के लिये पाठ्यक्रम में परिवर्तन जैसे केवल एक उनका भाषा का पढ़ाया जाना।

6. सभी शिक्षा संस्थाएँ अंधे छात्रों या दृष्टि बाधित छात्रों के लिये सुविधाएँ उपलब्ध करायेंगी।

सन् 1950 के पश्चात् भारत ने पूर्ण आजादी का प्रारम्भ किया। इसके मुख्य उद्देश्य समानता, स्वाधीनता, भाईचारा तथा न्यास था। समानता समानता के अवसर’ दर्शाती है। आजादी के व्यवस्था के अन्तर्गत प्रत्येक मनुष्य, धनवान या निर्धन अथवा उच्च या निम्न वर्ण सम्बन्धी बिना किसी भेदभाव या अंतर के सभी को समान अधिकार प्राप्त है तथा सभी ने समान रूप से जन्म लिया है। यह सरकार का मुख्य कर्त्तव्य है कि यथासम्भव असामनता ऊँच-नीच तथा सामाजिक भेद-भावों को कम करने का प्रयास करें। शिक्षा प्राप्त करने के लिये सभी को समान अधिकार है तथा पूर्ण आजादी है। इसलिये सभी को मानसिक उत्थान के समान अवसर दिये गये हैं। इसके लिये समाज के अल्पसंख्यक, पिछड़ी जाति तथा अनुसूचित जातियों के समुदाय को विशेष मान्यता महत्त्व देने की आवश्यकता है। पहाड़ों पर रहने वाले नागरिक, पिछड़े क्षेत्रों एवं सुदूर आन्तरिक क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। पुस्तकों की सहायता, दोपहर (मध्याह) का खाना, फीस माफ की सुविधा, निर्धन लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में निपुण बालकों को स्कूलों में जगह मिलनी चाहिये प्रतिभाशाली बालकों की पहचान करने तथा उनकी शिक्षा में आने वाली आर्थिक कठिनाईयों को दूर करने की आवश्यकता है। ऐसे बालकों की शिक्षा में किसी प्रकार की बाधा को दूर करने पर बल दिया जाये। धनवान व्यक्ति तथा सामाजिक उत्थान में कार्यरत व्यक्तियों को ऐसे बालकों की शिक्षा में उदारतापूर्वक सहायता करनी चाहिये। सरकार को भी सभी सम्भव विधियों से सहायता करनी चाहिये। लड़के तथा लड़कियों को शिक्षा में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिये। सब बालकों को व्यक्तिगत विकास करने का समान अधिकार है चाहे वह लड़के हों अथवा लड़कियाँ इस प्रकार के कार्यकलापों को देश के विभिन्न समुदायों के सामाजिक तथा प्रजातांत्रिक प्रगति हेतु लम्बी यात्रा तय करनी है और आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में विकास करना है।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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