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परीक्षण की वस्तुनिष्ठता पर निबंध | Essay on objectivity of a test in Hindi

परीक्षण की वस्तुनिष्ठता पर निबंध
परीक्षण की वस्तुनिष्ठता पर निबंध

परीक्षण की वस्तुनिष्ठता पर निबंध (Essay on objectivity of a test)

वह परीक्षण जिसके मापन परिणाम मापनकर्त्ता की व्यक्तिगत मान्यताओं (पसन्द, नापसन्द एवं धारणा आदि) से प्रभावित नहीं होते, उसके द्वारा कोई भी व्यक्ति मापन करे, मापन परिणाम समान होते हैं, उसे वस्तुनिष्ठ परीक्षण कहते हैं और उसके इस गुण को वस्तुनिष्ठता कहते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी छात्र पर प्रशासित किसी उपलब्धि परीक्षण का अंकन दो या दो से अधिक मापनकर्त्ताओं (शिक्षकों अथवा परीक्षकों) से कराया जाए और उन सबके द्वारा छात्र को समान अंक प्राप्त हों तो ऐसे परीक्षण को वस्तुनिष्ठ परीक्षण कहेंगे और उसके इस गुण को वस्तुनिष्ठता कहेंगे। एक और उदाहरण लीजिए। भिन्न-भिन्न आयु वर्ग की बुद्धि परीक्षणों का प्रशासन उस वर्ग के किसी एक छात्र अथवा छात्रों के समूह पर किया जाए और परिणाम (बुद्धि लब्धि) समान प्राप्त हो तो परीक्षणों को वस्तुनिष्ठ परीक्षण कहेंगे और इनके इस गुण को वस्तुनिष्ठता कहेंगे।

परीक्षण की वस्तुनिष्ठता ज्ञात करने की विधि

किसी भी परीक्षण की वस्तुनिष्ठता की जाँच सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात करके की जाती है। किसी एक परीक्षक से दो विभिन्न अवसरों पर उत्तर पुस्तिकाओं को प्राप्तांकों के मध्य सहसम्बन्ध गुणांक को सूत्र द्वारा ज्ञात कर लेते हैं। किसी परीक्षण के सहसम्बन्ध गुणांक का मान जितना अधिक होता है वह परीक्षण उतना ही अधिक वस्तुनिष्ठ होता है। दो विभिन्न अवसरों पर प्राप्त प्राप्तांकों को यदि X एवं Y से प्रदर्शित करें तो इनके मध्य सहसम्बन्ध गुणांक जिसे वस्तुनिष्ठता गुणांक भी कहते हैं निम्नांकित सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है-

वस्तुनिष्ठता गुणांक

जिस परीक्षण के का मान जितना 1 के निकट होगा वह परीक्षण उतना ही अधिक वस्तुनिष्ठ होगा गुणांक मान 1 होने पर परीक्षण पूर्णरूप से वस्तुनिष्ठ होगा।

परीक्षण की वस्तुनिष्ठता को प्रभावित करने वाले कारक

किसी परीक्षण की वस्तुनिष्ठता दो बातों पर निर्भर करती है- पहली यह कि परीक्षण अपने में कितना वस्तुनिष्ठ हैं और दूसरी यह कि मापनकर्त्ता उसके द्वारा कितनी सत्यता से मापन करता है।

1. परीक्षण सम्बन्धी कारक (Factors Related to Test)- परीक्षण सम्बन्धी कारकों में मुख्य कारक हैं—प्रश्नों का वस्तुनिष्ठ न होना, निबन्धात्मक एवं लघुउत्तरीय प्रश्नों की रचना सही ढंग से न होना और परीक्षण सम्बन्धी निर्देशों का स्पष्ट न होना।

2. मूल्यांकनकर्त्ता सम्बन्धी कारक (Factors Related to Evaluator)- मूल्यांकनकर्ता सम्बन्धी कारकों में मुख्य कारक हैं- मापन एवं मूल्यांकनकर्त्ता का अपना दृष्टिकोण, पसन्द, नापसन्द, पूर्वाग्रह एवं लापरवाही आदि।

परीक्षणों को वस्तुनिष्ठ बनाने का उपाय

(1) प्रथम उपाय तो यह है कि ऐसे प्रश्न पूछे जाएँ जिनके उत्तर पूर्णरूप से निश्चित हों। ऐसे प्रश्नों को वस्तुनिष्ठ प्रश्न कहते हैं। ये प्रश्न अनेक प्रकार के होते हैं— सत्य-असत्य प्रश्न, बहुविकल्प प्रश्न, पुनः स्मरण प्रश्न, मिलान प्रश्न, एवं पूर्ति प्रश्न आदि। इन प्रश्नों की अंकन कुंजी पहले से तैयार होनी चाहिए जिसकी सहायता से मापनकर्ता सही मापन कर सकें।

(2) यदि किसी परीक्षण में निबन्धात्मक एवं लघुउत्तरीय प्रश्न पूछना आवश्यक हो तो इनकी रचना भी इस प्रकार करनी चाहिए कि वे सरल, स्पष्ट एवं एकार्थी हों और उनके उत्तर निश्चित प्रायः हों । छात्र-छात्राओं को यह ज्ञात हो कि किस प्रश्न में क्या पूछा गया है।

(3) परीक्षणों पर स्पष्ट निर्देश दिए जाएँ।

(4) यह देखा गया है कि निबन्धात्मक एवं लघुउत्तरीय प्रश्नों की रचना कितनी भी सावधानी से की जाए परन्तु इनके मूल्यांकन में परीक्षकों का अपना दृष्टिकोण अवश्य प्रभाव डालता है इस कमी को दूर करने के लिए परीक्षकों को विशेष निर्देश दिए जाएँ एवं उन्हें मॉडल उत्तर भेजे जाएँ।

(5) जब तक मापनकर्ता ईमानदारी और धैर्य से मापन नहीं करते तब तक मापन में वस्तुनिष्ठता नहीं लाई जा सकती अत: यह आवश्यक है कि वे ईमानदारी से कार्य करें, धैर्य से कार्य करें और सावधानी से कार्य करें। उसी स्थिति में परीक्षण वस्तुनिष्ठ हो सकता है।

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shubham yadav

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