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प्रक्षेपण विधियाँ (Projective Techniques)
प्रक्षेपण विधियाँ फ्रायड (Freud) द्वारा कथित सुरक्षा प्रक्रियाओं (Defence Mechanisms) में प्रक्षेपण (Projection) प्रक्रिया पर आधारित हैं। प्रक्षेपण अचेतन मन की वह सुरक्षा प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी अनुभूतियों, विचारों, आकांक्षाओं तथा संवेगों को दूसरों पर आरोपित करता है । इस दृष्टि से फ्रीमैन (Freeman) के शब्दों में, “प्रक्षेपण परीक्षण का तात्पर्य उस विधि से है जिसमें परीक्षार्थी के समक्ष ऐसी उत्तेजक परिस्थिति प्रस्तुत की जानी है जिसमें वह अपनी व्यक्तिगत आवश्यकताओं, विशेष प्रत्यक्षीकरणों तथा व्याख्याओं *को आरोपित करने का अवसर प्राप्त करे।” इन विधियों द्वारा व्यक्तित्व सम्बन्धी उन पहलुओं का पता चल जाता है जिनसे कि परीक्षार्थी स्वयं अनभिज्ञ होता है। इन विधियों का मानसिक चिकित्सा तथा व्यक्तित्व सम्बन्धित परामर्श में व्यक्ति के संवेगात्मक तथा मानसिक रोगों के निदान (Diagnosis) में अत्यधिक महत्त्व है। कुछ प्रमुख प्रक्षेपण विधियाँ निम्नलिखित हैं जिनका व्यक्तित्व के मूल्यांकन में अत्यधिक प्रयोग किया जाता है- (i) कथा संस्कार परीक्षण (Thematic Apperception Test or TAT), (ii) रोर्शा इंक ब्लाट परीक्षण (Rorschach Ink Blot Test), (iii) चिल्ड्रेन एपरसेप्शन टेस्ट (Children Apperception Test or CAT), (iv) शब्द साहचर्य परीक्षण (Word Association Test), (v) वाक्य पूर्ति तथा कहानी पूर्ति परीक्षण (Sentence Completion and Story Completion Test)
अब हम इन प्रक्षेपण विधियों पर संक्षेप में प्रकाश डालेंगे।
(1) कथा संस्कार परीक्षण (Thematic Apperception Test or TAT)
(अ) परीक्षण सामग्री- इस विधि के निर्माण का श्रेय मार्गन (Morgan) तथा मुरे (Murray) को प्राप्त हुआ जिन्होंने 1935 ई. में इस विधि को प्रकाशित कराया। इस विधि में कुल मिलाकर 30 चित्र हैं- 10 पुरुषों के लिए, 10 स्त्रियों के लिए तथा 10 दोनों के लिए। इस तरह जब किसी व्यक्ति द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है तो 20 चित्रों को काम में लाया जाता है जिनमें से एक रिक्त कार्ड भी रहता है। प्रायः 20 की जगह 10 कार्ड ही प्रयोग किये जाते हैं जिनमें एक रिक्त कार्ड सम्मिलित रहता है।
(ब) परीक्षण विधि- लिंग के अनुसार कार्ड चयन करने के उपरान्त परीक्षार्थी को यह आदेश दिया जाता है कि चित्र को देखकर बताइए कि पहले क्या घटना हो गई, इस समय क्या हो रहा है, चित्र में जो लोग हैं उनमें क्या विचार या भाव उठ रहे हैं एवं कहानी का अन्त क्या होगा। जब परीक्षार्थी उक्त आदेश समझ लेता है तो एक-एक करके उसके सम्मुख कार्ड . उपस्थित किये जाते हैं और वह प्रत्येक की कहानी बनाता है।
(स) व्याख्या- इस परीक्षण में परीक्षार्थी कार्ड में दिये हुए पात्रों से तादात्म्य (Identification) स्थापित कर अपने भावों, विचारों, संवेगों, संघर्षों इत्यादि को अनजाने में अभिव्यक्त करता है। प्रत्येक कहानी का विश्लेषण कर अन्त में परीक्षार्थी के संवेगात्मक तथा सामाजिक समायोजन (Emotional and Social Adjustment), पारस्परिक सम्बन्धों (Inter-Personal Relationships) इत्यादि के सम्बन्ध में निष्कर्ष निकाला जाता है।
पूर्वोक्त परीक्षण व्यक्तित्व निर्देशन ( Personal Guidance), मानसिक चिकित्सा (Psycho-therapy) इत्यादि में रोग का निदान करने के लिए बहुत ही उपयुक्त सिद्ध होता है। मनोविज्ञानशाला, उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद ने इसे भारतीय संस्कृति के अनुकूल बना लिया है।
(II) रोर्शा इंक ब्लाट परीक्षण (Rorschach Ink Blot Test)
(अ) परीक्षण सामग्री- टी. ए. टी. की भाँति रोर्शा इंक ब्लाट परीक्षण भी बहुत प्रसिद्ध परीक्षा विधि है जिसका निर्माण स्विट्जरलैण्ड के मनोविकृत चिकित्सक हरमैन रोर्शा (Herman Rorschach) ने 1921 ई. में किया। इस परीक्षण में 10 कार्ड होते हैं जिनमें स्याही के धब्बे चित्रित होते हैं। इन 10 कार्डों में से 5 कार्डों के धब्बे काले भूरे होते हैं, दो कार्डों में काले भूरे के अलावा लाल रंग के भी धब्बे होते हैं एवं बाकी तीन में अनेक रंग के काले धब्बे होते हैं।
(ब) परीक्षण विधि- परीक्षण का प्रयोग करने के पूर्व परीक्षार्थी को यह आदेश दिया जाता है कि, “चित्र देखकर बताओ कि यह किसके समान प्रतीत होता है, यह क्या हो सकता है।” आदेश देने के उपरान्त एक-एक करके ये कार्ड परीक्षार्थी के समक्ष प्रस्तुत किये जाते हैं और परीक्षार्थी धब्बों में आकृतियाँ देखकर बताता जाता है। परीक्षक प्रत्येक कार्ड के उत्तरों और उनके प्रतिक्रिया काल में परीक्षार्थी किस तरह कार्ड को घुमाता है तथा परीक्षण काल में होने वाले परीक्षार्थी के व्यवहारों एवं भावों इत्यादि को अंकित करता जाता है। अन्त में परीक्षार्थी किये गये उत्तरों के विषय में पूछताछ (Inquiry) की जाती है। द्वारा
(स) व्याख्या- इस परीक्षण में निम्नलिखित 4 बातों के आधार पर अंक प्रदान किये जाते हैं- (1) स्याही के धब्बों का क्षेत्र, (2) स्याही के धब्बों की विशेषताएँ (रंग आकार आदि), (3) विषय- पेड़, पौधे मनुष्य आदि तथा (4) मौलिकता।
इस परीक्षण द्वारा सामाजिकता (Sociability), संवेगात्मकता (Emotionality), अहम् की दृढ़ता (Ego-strength), समायोजन (Adjustment) इत्यादि व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताओं का पता लगाया जाता है। इस दृष्टि से व्यक्तिगत निर्देशन ( Personal Guid ance) के लिए यह सर्वथा उपयुक्त परीक्षण है। इसके द्वारा बुद्धि का भी पता चल जाता है।
(III) चिल्ड्रेन एपरसेप्सन टेस्ट (Children Apperception Test or CAT)
टी. ए. टी. (TAT) परीक्षण बालकों के लिए उपयुक्त सिद्ध नहीं होता है। फलस्वरूप डॉ. अर्नर्स्ट क्रिस (Dr. Ernst Kris) ने इसी के समान एक दूसरी विधि जिसे चिल्ड्रेन एपरसेप्सन टेस्ट अथवा बाल संस्करण परीक्षण (Children Apperception Test or CAT) विधि का आविष्कार किया। बाद में ल्योपोल्ड बैलक (Leopold Bellak) एवं सोरल बैलक (Sorel Bellak) ने इसको विकसित कर क्रियान्वित किया। इस विधि की कार्य प्रणाली तो टी. ए. टी. (TAT) विधि के समान है परन्तु चित्रों की संख्या केवल 10 होती है।
(IV) शब्द साहचर्य परीक्षण (Word Association Test)
इस परीक्षण में लगभग 50 या 100 शब्द उद्दीपक (Stimulus Words) होते हैं जिनको कि परीक्षक एक-एक करके बोलता चला जाता है और परीक्षार्थी इन शब्दों को सुनकर तुरन्त जो शब्द मन में आता है उसे बोलता जाता है। परीक्षक परीक्षार्थी द्वारा बोले हुए शब्दों तथा प्रत्येक के प्रतिक्रिया (Reaction Time) को लिखता जाता है। अन्त में परीक्षार्थी द्वारा दिये गये उत्तरों की व्याख्या कर उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। जुंग (Jung), केण्ट रोजनॉफ (Kent Rosanaff), गिल (Gill), रैपेपोर्ट (Repaport) इत्यादि द्वारा बनाई हुई शब्द सूचियाँ बहुत ही प्रसिद्ध हैं।
(V) वाक्य पूर्ति तथा कहानी पूर्ति परीक्षण (Sentence Completion and Story Completion Test)
के इन परीक्षणों में परीक्षण-पद के रूप में अधूरे वाक्य एवं अधूरी कहानियों को परीक्षार्थी सम्मुख प्रस्तुत किया जाता है। परीक्षार्थी इन अधूरे वाक्यों तथा कहानियों को मन में आये. हुए शब्दों तथा विचारों द्वारा पूरा करता है। रोडे (Rohde), पैनी (Payne) तथा हिल्ड्रेथ (Hildreath) के इस प्रकार के परीक्षण बहुत प्रसिद्ध हैं।
कुछ अन्य प्रक्षेपण विधियाँ (Some Other Projective Technique)
ये निम्न हैं-
(अ) चित्र विधि (Pictorial Technique) – जिनमें टी. ए. टी. के अतिरिक्त रीजैन्जविग चित्रकुण्ठा परीक्षण (Rosenzweing Picture Frustration Test) तथा सौण्डी परीक्षण (Syondi Test) सम्मिलित हैं।
(ब) रेखाचित्र तथा चित्रकला विधियाँ (Drawing and Painting Techniques)- जिनमें से मनुष्य का चित्र बनाओ परीक्षण (Draw a Man Test), अंगुली-चित्रण (Finger Painting) तथा घर, पेड़, व्यक्ति परीक्षण (House, Tree, Person Test) उल्लेखनीय हैं।
(स) खेल तथा अभिनय विधियाँ ( Play and Dramatic Techniques) जिसके अन्तर्गत चित्रकला बनाओ परीक्षण (Make Picture Story Test), लौबेन्फैल्ड का संसार परीक्षा (Lowanfeld’s World Test), मन- अभिनय (Psycho-drama) इत्यादि सम्मिलित हैं।
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