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भारतीय शिक्षा प्रणाली में नवाचार हेतु नूतन आयाम

भारतीय शिक्षा प्रणाली में नवाचार हेतु नूतन आयाम (New Dimensions for Innovation in Indian Education System)

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कोठारी आयोग एवं नई शिक्षा नीति 1986 की संस्तुतियों के आधार पर अनेक शैक्षिक नवाचारों एवं नवीन आयामों का समावेश किया गया। इन शैक्षिक कार्यक्रमों का संक्षिप्त वितरण निम्न है-

1. जन शिक्षा एवं प्रौढ़ शिक्षा (Mass Education and Adult Education)- जन शिक्षा एवं प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य प्रौढ़ों सहित सभी को शिक्षा प्रदान करना है। ऐसे व्यक्ति जो विद्यालय जाने योग्य आयु में विद्यालय शिक्षा से वंचित हो गए, इनको शिक्षित एवं साक्षर करना इस कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य है। सम्पूर्ण देश में इस कार्यक्रम को विभिन्न एजेन्सियों के माध्यम से चलाया जाता है।

2. सतत् शिक्षा (Continuing Education)- भारतीय शिक्षा प्रणाली में सतत् शिक्षा का प्रारम्भ शिक्षा का नूतन आयाम एवं आधुनिक प्रवृत्ति है। सतत् शिक्षा एक व्यापक शिक्षा प्रणाली है जो औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार की शिक्षा प्रणाली को आत्मसात् करती है। इस विचारधारा में शिक्षा को आजीवन चलने वाली प्रक्रिया मानकर संचालित किया जाता है। यह शिक्षा प्रणाली विद्यालय शिक्षा और समुदाय के प्रति निकट सम्बन्ध स्थापित करती है। इसके अन्तर्गत जनसामान्य को विज्ञान और तकनीकी, स्वास्थ्य एवं आहार सम्बन्धी तथा अन्य जीवनोपयोगी शिक्षाएँ प्रदान की जाती हैं।

3. प्रसार शिक्षा (Extension Education)- भारतीय शिक्षा प्रणाली में प्रसार शिक्षा का सूत्रपात वर्ष 1951 से हुआ है। इसका उद्देश्य समुदाय के लोगों को विभिन्न प्रकार की कृषि एवं तकनीकी शिक्षा की जानकारी देना है।

4. दूरस्थ शिक्षा (Distance Education)- दूरस्थ शिक्षा भी शिक्षा का एक नूतन आयाम है। इसके अन्तर्गत शिक्षार्थी को दूर से शिक्षा प्रदान की जाती है। यहाँ पत्राचार द्वारा या टी० वी० या रेडियो द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है। मुक्त विश्वविद्यालय की अवधारणा दूरस्थ शिक्षा का ही एक रूप है। भारत में ‘इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय’ (IGNOU) एवं अन्य राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय स्थापित किये गए हैं।

5. जनसंख्या शिक्षा (Population Educaiton)- जनसंख्या शिक्षा को भारतीय शिक्षा प्रणाली में विभिन्न स्तरों पर अंगीकार किया गया है। विभिन्न आयु समूहों में जनसंख्या सम्बन्धी ज्ञान प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य छोटे परिवार के सम्बन्ध में उचित दृष्टिकोण का विकास करना है।

6. अभिभावक शिक्षा (Parental Education)- अभिभावकों को उनके बच्चों के प्रति जिम्मेदारी का ज्ञान कराने के लिए अभिभावक शिक्षा को नूतन आयाम के रूप में किया गया है। सम्मिलित

7. पर्यावरणीय शिक्षा (Environmental Education)- पर्यावरण प्रदूषण के कारणों एवं परिणामों को बताने और पर्यावरण सरकार की भावना जाग्रत करने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में पर्यावरणीय शिक्षा को विभिन्न स्तरों पर सम्मिलित किया गया है।

8. विशिष्ट शिक्षा (Special Education)- समाज में विकलांगों, अपराधी बालकों, प्रतिभाशाली बालकों एवं मंदबुद्धि बालकों जैसे विशिष्ट वर्गों के लिए विशिष्ट शिक्षा को विभिन्न स्तरों पर समाहित किया गया है।

9. मूल्य शिक्षा (Value Education)- समाज में नैतिक पतन एवं निरन्तर हो रहे मूल्यों के क्षरण से अनेक समस्याओं ने जन्म लिया है। समाज में मूल्यों की पुनः स्थापना करने एवं बालकों में जीवन मूल्य जाग्रत करने के लिए मूल्य शिक्षा को नूतन आयाम के रूप में सम्मिलित किया गया है।

10. सामुदायिक सेवा (Community Service)- विद्यालय और समुदाय के बीच निकटता लाने एवं छात्रों को सामुदायिक सेवा के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से भारतीय शिक्षा प्रणाली में सामुदायिक सेवा सम्बन्धी शिक्षा को सम्मिलित किया गया है।

11. आई0 सी0 टी0 शिक्षा (Information Communication Technology ICT Education)- 21वीं शताब्दी सूचना प्रौद्योगिकी पर केन्द्रित है, जिसमें नित-नवीन सूचना तकनीकों ने ज्ञान एवं सूचना के क्षेत्र में क्रान्ति ला दी है। यह प्रक्रिया मेनेफ्रेन कम्प्यूटर से प्रारम्भ होकर स्मार्ट फोन, मेमोरी चिप तक आ पहुँची है, जिसने जनमानस के मध्य सम्प्रेषण का स्वरूप पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है और अध्यापक छात्र के बीच होने वाली अंतः क्रिया को भी प्रभावित किया है जिसमें पारम्परिक कक्षा शिक्षण को बदलकर ई-लर्निंग जैसे प्रत्यय को जन्म दिया है।

इस तरह कुछ अन्य शैक्षिक कार्यक्रमों यथा-उत्पादक कार्यक्रमों की शिक्षा, स्त्री शिक्षा, समानता के लिए शिक्षा, शिक्षा में नवीन तकनीकों का अनुप्रयोग आदि को भी नूतन आयाम के रूप में सम्मिलित किया गया है।

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shubham yadav

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