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मानकीकृत परीक्षण किसे कहते हैं? (What is Standardized Test?)
मनोवैज्ञानिक परीक्षण मानकीकृत होता है। कारण, उसका अपना निश्चित मानक होता है। उसके अंकन का तरीका पूर्वनिर्धारित होता है। फ्रीमैन (1965) ने इस विचार का समर्थन किया है। उनके अनुसार, “मनोवैज्ञानिक परीक्षण वह मानकीकृत यंत्र है। जिसका निर्माण सम्पूर्ण व्यक्तित्व के एक या अधिक पक्षों को वस्तुनिष्ठ रूप से वाचिक प्रतिक्रियाओं अथवा दूसरे उपयोग के प्रतिदर्शों द्वारा मापने हेतु किया जाता है।”
इसी प्रकार रेबर तथा रेबर (2001) ने मानकीकृत परीक्षण की परिभाषा दी है कि, ‘मानकीकृत परीक्षण का तात्पर्य उस परीक्षण से है जिसका निर्माण पूर्ण आनुभविक विश्लेषण के अधीन किया गया हो जिससे मानकों के एक यथार्थ सेट विकसित हो गया हो तथा इसकी विश्वसनीयता एवं वैधता को विवेकी मूल्यांकन उपलब्ध हो।”
परीक्षण तथा मापन में अन्तर (Difference between Test and Measurement)
परीक्षण तथा मापन में अन्तर निम्नलिखित हैं-
1. मापन का अर्थ नियमों के अनुसार संख्या प्रदान करने की प्रक्रिया है। दूसरे शब्दों में, किसी गुण या विशेषता को मात्रात्मक रूप में प्रस्तुत करने की क्रिया को मापन कहते हैं। इसके विपरीत परीक्षण एक यंत्र है जिसके द्वारा मापन किया जाता है। बुद्धि को बु०ल० की मात्रा में प्रस्तुत करना मापन है और जिस यंत्र के माध्यम से यह मापन किया जाता उसे बुद्धि-परीक्षण कहते हैं।
2. मापन का उपयोग भौतिक तथा मनोवैज्ञानिक गुणों या विशेषताओं दोनों के लिए किया जाता है। दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक परीक्षण का उपयोग मुख्यतः व्यक्ति के मानसिक गुणों या विशेषताओं के मापन के लिए किया जाता है।
3. मापन में किसी भी स्केल पर एक निरपेक्ष शून्य मान मान लिया जाता है। दूसरी ओर किसी मनोवैज्ञानिक परीक्षण में निरपेक्ष शून्य नहीं पाया जाता है।
4. मापन का संबंध किसी सामान्य समस्या के यथार्थ समाधान से होता है जबकि मनोवैज्ञानिक परीक्षण का संबंध व्यक्तित्व के एक या एक से अधिक पक्षों से होता है।
5. मापन में किसी विशिष्ट गुण या संख्यात्मक मान निर्धारित किया जाता है जबकि परीक्षण में व्यक्तियों का वर्गीकरण किया जाता है जिससे व्यावसायिक या शैक्षिक निर्देशन संभव होता है।
6. मापन अमूर्त होता है जबकि परीक्षण मूर्त होता है।
7. मापन में व्यावहारिक पक्ष गौण होता है जबकि परीक्षण में यह पक्ष प्रधान होता है।
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