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शैक्षिक संगठन में सूचना एवं सम्प्रेषण की उपयोगिता
शैक्षिक संगठन में सूचना एवं सम्प्रेषण की उपयोगिता (Utility of ICT in Educational Organization)-शैक्षिक संगठन उन उद्देश्यों के लिए बनाया जाता है जिनकी प्राप्ति के लिए अनेक साधनों के बीच समन्वय स्थापित किया जाता है। समाज की आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए शैक्षिक संगठन में सामान्यतः शिक्षण प्रक्रिया को संगठित किया जाता है। इस प्रकार के उद्देश्यों की प्राप्ति में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी किस प्रकार सहयोग प्रदान करती है। इसका वर्णन निम्नवत् शीर्षकों के माध्यम से करेंगे –
(i) परम्पराओं का निर्माण (Formation of Traditions)
शैक्षिक संगठन का प्रमुख उद्देश्य छात्रों में अन्धविश्वासों को दूर करना तथा स्वस्थ सामाजिक परम्पराओं का निर्माण करना है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के द्वारा हम पुरानी रीति-रिवाजों को त्याग देते हैं क्योंकि समाज की नवीन विचारधाराएँ जब हमारे सामने आती हैं तो उनका प्रयोग हम समाज के उत्थान के लिए करते हैं। यही विचार धीरे-धीरे एक स्वस्थ परम्परा का रूप धारण कर लेते हैं; जैसे- खेलकूद एवं पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का शैक्षिक संगठन में कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं था किन्तु धीरे-धीरे पश्चात्य शिक्षाशास्त्रियों के विचार एवं स्वयं के विचारों द्वारा यह तथ्य निश्चित किया गया कि पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाएँ छात्र के विकास के लिए परम् आवश्यक है तो आज उनको प्रत्येक विद्यालय के शैक्षिक संगठन में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाय। इसका सम्पूर्ण श्रेय सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी को ही जाता है।
(ii) क्रियाओं में सहयोग एवं समन्वय (Co-operation and Co-ordination in Processes)-
शैक्षिक संगठन में यह विशेषता होती है कि क्रियाओं के बीच समन्वय एवं सहयोग होता है। इसी आधार पर शैक्षिक संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से यह प्रक्रिया अधीक आसान हो जाती है क्योंकि हर एक कार्य के लिए व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र को निश्चित कर दिया जाता है और समय-समय पर उसको पर्यवेक्षण के माध्यम से सुधार के सुझाव प्रस्तुत कर दिये जाते हैं। जिससे क्रियाओं के बीच सहयोग एवं समन्वय स्थापित हो जाता है।
(iii) नागरिकता का विकास (Development of Good Citizenship) –
शैक्षिक संगठन की सहायता से स्कूलों में अच्छे नागरिक तैयार किये जाते हैं; जिनमें नागरिकता के सभी गुण उपस्थित होते हैं। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के रूप में हमें विद्यालय में नागरिकता के गुणों का विकास करने वाले साहित्य को पाठ्यक्रम में स्थान प्रदान करना चाहिए और राष्ट्रीय पर्वो को उत्साहपूर्वक मनाना चाहिए, जिससे छात्रों में देश प्रेम एवं राष्ट्रीय एकता जैसे गुणों का विकास हो सके।
(iv) समय सारणी का निर्माण (Formation of Time-table)-
शैक्षिक संगठन के लिए आदर्श समय सारणी उतनी ही जरूरी है जैसे कि व्यक्ति के लिए ऑक्सीजन। एक उपयुक्त समय सारणी ही विद्यालय की छवि एवं शैक्षिक व्यवस्था को महत्वपूर्ण बनाती है। समय सारणी के निर्माण से पूर्व विषयों के महत्व एवं कालांश के सन्दर्भ में पूर्ण विचार-विमर्श होना चाहिए ऐसा इसलिए कि सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी ही एक आदर्श समय सारणी का निर्माण कर सकती है। ।
(v) मानवता एवं नैतिकता का विकास (Development of Humanity and Morality)-
सृजनात्मकता के माध्यम से छात्रों में उच्च मानवीय और नैतिक आदर्शों का विकास करना होता है जोकि सम्प्रेषण द्वारा ही सम्भव होता है यही शैक्षिक संगठन का प्रमुख उद्देश्य होता है। – जैसे कि, सत्य और अहिंसा का हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान होने का प्रमुख कारण विद्वानों द्वारा इन तथ्यों को स्वीकार करना तथा समय-समय पर उनके पालन के लिए कष्ट सहना है। अतः यह कहा जा सकता है कि विचारों का प्रभाव एवं सद्साहित्य के अध्ययन का प्रभाव छात्र में मानवीय गुणों का विकास करता है। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से ही सम्पन्न होती है।
(vi) शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति (Getting of Educational Aims)
शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के साधनों के अभाव में असम्भव है क्योंकि प्राचीन काल की भाँति शिक्षा को कोई एक उद्देश्य नहीं है, जबकि उद्देश्यों की अधिकता के कारण सम्प्रेषण साधनों का प्रयोग अनिवार्य है; उदाहरण माध्यमिक स्तर पर छात्रों को निर्देशन एवं परामर्श के उद्देश्यों को प्राप्त करना है तो सम्प्रेषण साधनों का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना होगा।
(vii) शैक्षिक अवसरों की समानता (Equality of Educational Opportunities) –
शैक्षिक संगठन की प्रमुख उद्देश्यों में एक है कि समस्त वर्ग के व्यक्तियों से के लिए शिक्षा के समान अवसर प्रदान करना है। इसके लिए सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के माध्यम से विभिन्न विद्वानों के विचार जानकर एवं विचार-विमर्श करके सामाजिक ऊँच-नीच को कम किया जाये तथा शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है।
(viii) सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Merits) –
शैक्षिक .संगठन में गुणों के विकास को अतिमहत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसके विकास में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की महत्वपूर्ण भूमिका है; जैसे- विद्यालय में पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं के माध्यम से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाय जिससे प्रत्येक व्यक्ति के विचारों से सभी छात्र परिचित हो सकें और अपने विचार भी प्रस्तुत कर सके।
(ix) व्यक्तित्व का विकास (Development of Personality) –
शैक्षिक संगठन का प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि प्रत्येक विद्यार्थी के व्यक्तित्व का विकास करना होता है जिसमें सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के साधन अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं।
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ
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