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घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण (Main Causes of Domestic Violence)
घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1. पुरुष प्रधानता
भारतीय समाज पुरुष प्रधान है, जिसके कारण घर की सम्पूर्ण सत्ता उसी हाथ में होती है। अपनी इस शक्ति का वह दुरुपयोग करता है और परिवार के सदस्यों पर अत्याचार करत है विशेषकर वह पत्नी पर अत्याचार करता है जिसके कारण घरेलू हिंसा उत्पन्न होने लगती है।
2. अशिक्षा
भारतीय समाज में शिक्षा का अभाव पाया जाता है। इस अशिक्षा के कारण घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति और हितों की रक्षा सुचारू रूप से नहीं चल पाती है, जिसके कारण घरेलू हिंस को प्रोत्साहन मिलता है।
3. सामाजिक कुप्रथाएँ
भारतीय समाज में अनेकों कुप्रथाएँ एवं कुरीतियाँ विद्यमान हैं जोकि घरेलू हिंसा को प्रोत्साहित करती हैं।
4, महिलाओं के प्रति विद्वेष
भारतीय समाज में पुरुष वर्ग सदैव ही नारी से विद्वेष रखता है और उसे अपने से निम्न समझता है।
5. पारिवारिक तनाव
पारिवारिक तनाव के अनेकों कारण हो सकते हैं जैसे – मादक पदाथा का सेवन, कम आय, सन्तान का न होना एवं अन्य कारण आदि।
6. सौतेली माता एवं पिता
भारतीय समाज के जिन परिवारों में सौतेली माता एवं पिता होते है उन परिवारों में भी घरेलू हिंसा देखने को मिलती है क्योंकि माता के अन्दर सौतेले पुत्र या पुत्री के लिए वह ममता या अपनत्व नहीं हो सकती है। जो अपने गर्भ से पैदा पुत्र या पुत्री के लिए होती है। इस कारण से संतान और माता के मध्य द्वेष की भावना उत्पन्न होने लगती है। माता सौतेली सन्तान के प्रति वहार करने लगती है और उसे प्रताड़ित करने लगती है। परिणामस्वरूप इस बात को लेकर पति-पत्नी के मध्य एवं माता एवं परिवार के अन्य सदस्यों के मध्य तनाव उत्पन्न होने लगता है। यह तनाव कभी-कभी झाना बढ़ जाता है कि वह मार-पीट का रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार यह कारण भी घरेलू हिंसा का प्रमुख कारण है।
घरेलू हिंसा रोकने के सुझाव (Suggestions to Check Domestic Violence)
घरेलू हिंसा को रोकने के निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं –
1. रोजगार की व्यवस्था
जब किसी परिवार में भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था नहीं होती है। डो खाने-पीने एवं पहनने को लेकर रोजगार की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे कि उनकी आर्थिक समस्याओं का निदान हो सके। इस प्रकार घरेलू तनाव कम होगा फलस्वरूप घरेलू हिंसा भी कम होगी।
2. शिक्षा की समुचित व्यवस्था
घरेलू हिंसा पर नियन्त्रण लगाने के लिए समाज के सभी लोगों को शिक्षित किया जाना आवश्यक है।
3. आवास की व्यवस्था
जब परिवार के सदस्यों के पास आवास की व्यवस्था नहीं होती है तब भी घरेलू हिंसाएँ होती हैं। भारतीय समाज में सरकार एवं स्वयंसेवी संगठनों द्वारा महिलाओं के आश्रम की व्यवस्था की जा रही है।
4. महिला संगठनों की की स्थापना
भारतीय समाज में अधिक से अधिक महिला संगठनों की स्थापना की जानी चाहिए। इन संगठनों द्वारा परिवार और अपने पतियों से पीड़ित महिलाओं को अत्याचार से मुक्ति दिलाने, उन्हें आवश्यकतानुसार सहयोग देने तथा नैतिक आत्मबल प्रदान करने और उनके आत्मविश्वास के विकास करने के लिए अथक प्रयास किए जाने चाहिए।
5. महिला न्यायालयों की स्थापना
महिलाओं के लिए पृथक रूप से महिला न्यायालयों की स्थापना की जानी चाहिए जिसमें परिवार द्वारा सताई गयी महिलाओं के साथ पूर्ण न्याय किया जाना चाहिए।
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