जातिवाद का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Casteism)
जातिवाद एक जाति के व्यक्तियों की वह एकांगी भावना है जो अपनी जाति के व्यक्तियों की उन्नति एवं भक्ति-भावना के लिए एकांगी निष्ठा रखता है और अन्य जातियों की उपेक्षा करता है। के.एम. पणिकर ने कहा है कि राजनीति की भाषा में उपजाति के प्रतिनिष्ठा की भावना ही जातिवाद है।
डॉ. घुरिये के अनुसार, “अब जातीय एकता की भावना इतनी सुदृढ़ है कि इसे जाति भक्ति कहना ही अधिक उचित है।’
कुछ प्रमुख विद्वान ने इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया है –
श्री के० एम० पाणिक्कर के अनुसार, “जातिवाद राजनीति की भाषा में उपजाति के प्रति परम निष्ठा का भाव है ।”
काका कालेकर के अनुसार, “जातिवाद अन्ध और परमोच समूह भक्ति है जो न्याय के स्वस्थ सामाजिक मानदण्डों, औचित्य, नैतिकता तथा सार्वभौमिक भ्रातृत्व की उपेक्षा करती है।”
डॉ० नरबदेश्वर प्रसाद के अनुसार, “जातिवाद राजनीति में रूपान्तरित जाति के प्रति निष्ठा है।”
उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि जातिवाद एक जाति के व्यक्ति की वह भावना है जो देश व समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए व्यक्ति को मात्र अपनी ही जाति के उत्थान, जातीय एकता, जातीय निष्ठा और अपनी जाति की सामाजिक स्थिति के सुदृढ़ करने के लिए प्रेरित करती है|
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