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ट्रान्स जेंडर समुदाय (Trans Gender Community )
ट्रान्स जेंडर के सम्बन्ध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय- ट्रान्स जेण्डर को थर्ड जेंडर के नाम से जाना जाता है। सर्वोच्च न्यायालय (SC) में यह कहा गया है कि व्यक्ति शैल्य चिकित्सा द्वारा अपना लिंग बदल सकता है। ट्रान्स जेंडर समाज में इसके शीर्ष की समस्याओं एवं भेदभाव को दूर करने के लिए एवं समाज कल्याण हेतु अनेक प्रस्ताव रखे गये हैं। आई० पी० सी० की धारा 377 को पुलिस के द्वारा एवं अन्य अधिकारियों द्वारा उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों के विरुद्ध उनकी संतुष्टि से अतिरिक्त दुरुपयोग किया जा रहा है।
बेंच ने स्पष्ट किया है कि उनका फैसला उन बहिष्कारों से जुड़ा है जो समाज के दूसरे सेक्सन (वर्गों) जैसे सम-लैंगिक (Gay) के लिए है।
बेंच ने कहा है कि वे भी समाज के अंग हैं और सरकार उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का व्यापक कदम उठा रही है।
शीर्ष न्यायालय ने पब्लिक इन्ट्रेस्ट लिटिगेशन (PIL) पर आदेश या राष्ट्रीय वैधानिक सेवा अधिकार (NALSA) द्वारा ट्रांस जेंडर को जेंडर की तृतीय श्रेणी में एक अलग पहचान के लिए कोर्ट से आग्रह किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का स्वागत करते हुए लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ट्रांस जेंडर के अधिकारों के लिए कहा है, “देश की उन्नति लोगों के मानवाधिकार के ऊपर निर्भर है और मैं सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों जो उनके लिए उनके अधिकार रूप में दिये हैं उनसे मैं बहुत प्रसन्न हूँ ।”
ट्रान्स जेंडर समुदाय निर्णय, 2014 (Judgment, 2014)
न्यायालय ने केन्द्र एवं राज्य सरकारों को लैंगिक पहचान के लिए चाहे वह पुरुष हो, स्त्री हों या थर्ड जेंडर हों, उसके लिए न्यायालय ने निर्देशित किया है-
(1) थर्ड जेंडर के लिए वैधानिक मान्यता- थर्ड जेंडर की श्रेणी को पहचानने के लिए न्यायालय ने पुरुषों और महिलाओं के समान ही मूलभूत अधिकार प्रदान किये हैं। विवाह, दत्तक ग्रहण एवं तलाक के लिए थर्ड जेंडर को भी भेदभाव से मुक्त रखा गया है।
(2) पुरुष एवं महिलाओं के द्विआधरी वैधानिक मान्यता पहचान- न्यायालय ने मुख्यतः कहा है कि जैविकीय परीक्षण द्वारा वे यह भी निर्णय देते हैं कि सेक्स रेसिगमेंट सर्जरी (SRS) द्वारा अपने सेक्स को परिवर्तित करा सकते है ।
(3) लोक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता- केन्द्र और राज्य सरकार ने ट्रांस जेंडर के चिकित्सीय देखरेख एवं उनकी सामान्य कठिनाइयों को दूर करने के लिए उपाय किये हैं। उनके लिए अलग लोक शौचालय एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान किये हैं। इसी के क्रम में ट्रांस जेंडर लोगों हेतु अलग-अलग HIV सर्विलांस की व्यवस्था है।
(4) सामाजिक-आर्थिक आधार- केन्द्र एवं राज्य सरकारों को समुदाय के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएँ प्रदान की गयी हैं। सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को प्रदान करने के लिए विभिन्न कल्याणकारी परियोजनाएँ बनायी गयी हैं। इसके लिए शैक्षिक संस्थाओं में आरक्षण के लिए एवं लोक नियुक्ति हेतु व्यवस्था की गयी है।
(5) कलंक एवं लोक जागरुकता- केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा इस संदर्भ में ट्रांस जेंडर के विषय में लोक जागरुकता उत्पन्न करने के लिए दिशा-निर्देश दिये गये हैं जिससे वे समाज में अपना स्थान बना सके तथा उन्हें अस्पृश्यता से छुटकारा मिल सके।
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