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प्रशासकीय सहयोग के लिए आईसीटी का उपयोग
प्रशासकीय सहयोग के लिए आईसीटी का उपयोग (Use of ICT for Administrative Support) शिक्षा व्यवस्था से सम्बंधित सभी व्यक्ति सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा आपसी विचारों के आदान-प्रदान से ही शैक्षिक प्रबन्धन संगठन तथा नियोजन की रूपरेखा तैयार करते हैं। यदि प्रशासकीय व्यवस्था में विचारों का ये आपसी आदान-प्रदान अर्थात् सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी न हो तो कोई भी शैक्षिक कार्य होना सम्भव नहीं है। अतः शैक्षिक कार्यक्रमों के प्रशासन और प्रबन्धन में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी अत्यधिक आवश्यक है। एक प्रशासक अथवा प्रधानाचार्य सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के द्वारा ही अपने शिक्षकों और छात्राध्यापकों से सम्बद्ध हो सकता है। . सम्प्रेषण प्रक्रिया के द्वारा वह अपने अधीनस्थों में कार्य विभाजन करता है और शिक्षण प्रक्रिया की सभी गतिविधियों के लिए निर्देशन प्रदान करता है। इसी प्रकार शिक्षक, छात्राध्यापक और छात्रों के मध्य होने वाला सम्प्रेषण भी छात्रों की शैक्षिक प्रगति के लिए आवश्यक है। स्कूल स्तर पर होने वाले निरीक्षण और पर्यवेक्षण में भी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी आवश्यक है। इसी प्रकार विद्यालय के छात्रों के लिए निर्देशन और परामर्श की प्रक्रिया का आधार भी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी है। बिना सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के न तो एक प्रशासक अपना कार्य कर सकता है और न ही शिक्षक। छात्र-छात्राएँ भी शिक्षण कार्य में बिना सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के सफल नहीं हो सकते और न ही विद्यालय का कोई कर्मचारी अपना कार्य ठीक प्रकार से कर सकता है। अतः शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी एक महत्वपूर्ण तत्व है जो प्रशासकीय सहयोग के लिए आवश्यक ही नहीं वरन् अनिवार्य भी है। सम्प्रेषण शिक्षा के प्रशासन का महत्वपूर्ण सिद्धान्त है, जो तकनीकी के संयुक्त होकर और प्रभावशाली बन जाता है। शिक्षा की कोई भी व्यवस्था अथवा कार्य करने के लिए सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का उपयोग होना आवश्यक है। सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी कार्य की जानकारी का स्त्रोत है। शोध कार्य से पता चलता है कि. शैक्षिक योजनाओं और कार्यक्रमों का सफल संचालन तभी हो सकता है जब उनमें कार्य करने वाले व्यक्ति रुचि लें और सहयोग करें। अतः प्रशासकीय में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है; जो इस प्रकार हैं-
(i) सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी से कर्मचारियों की भावनाओं का आदर होता है।
(ii) किन-किन प्रशासकीय कार्यों को किया जाय इसका सम्पूर्ण भाग अच्छी सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी पर ही निर्भर करता है।
(iii) शिक्षण के अन्तर्गत नवीन विधियों, प्रविधियों तथा सहायक सामग्री हेतु सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी की अत्यन्त आवश्यकता होती है ।
(iv) सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी कर्मचारियों का मार्गदर्शन करती
(v) संगठन की कार्य कुशलता में वृद्धि करती है। है।
(vi) सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा भेजे जाने वाली सूचनाओं के माध्यम से विवेकपूर्ण कार्य किये जा सकते हैं।
(vii) तकनीकी युक्त अच्छी सम्प्रेषण व्यवस्था लोकतान्त्रिक भावनाओं पर बल देती है।
(viii) सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी द्वारा शिक्षकों को उनके शिक्षण में समुचित सुधार प्रदान किये जाते हैं, सूचना जिनको शिक्षक अपने आगे के शिक्षण में प्रयोग करता है।
सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी साधन किस प्रकार से प्रबन्ध प्रक्रिया को अधिक दृढ़ और प्रभावशील बनाती है। इसका अध्ययन निम्नवत् शीर्षकों को समझते हैं-
(i) सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षण
(ii) क्षमता के अनुसार कार्य
(iii) एकाधिकार के विरुद्ध
(iv) कार्य का विभाजन
(v) साधनों में समन्वय
(vi) उत्तरदायित्व की भावना
(vii) नियन्त्रण
(viii) सहयोग की भावना
(ix) समानता का सिद्धान्त
(x) स्वतन्त्रता का सिद्धान्त।
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ
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