B.Ed./M.Ed.

सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों से सम्बन्धित कार्यक्रम एवं अभियान

सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों से सम्बन्धित कार्यक्रम एवं अभियान
सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों से सम्बन्धित कार्यक्रम एवं अभियान

सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों से सम्बन्धित कार्यक्रम एवं अभियान (Programme and Mission related to Environmental and Social Issues)

भारत में पर्यावरण जन-जागृति हेतु बड़े पैमाने पर विभिन्न कार्यक्रम, आन्दोलन, पुरस्कार, दिवस, कल्याण बोर्ड, फैलोशिप आदि के रूप में पर्यावरण सम्बन्धी जनजागरुकता लाने का संतत् प्रयास जारी है जिससे भारत को अच्छे एवं स्वस्थ पर्यावरण के रूप में विकसित किया जा सके। आज न केवल भारत में वरन् सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरणीय जागरुकता पर बल दिया जा रहा है। पर्यावरण उन्नयन सम्बन्धी विभिन्न कार्यों के साथ आज मानव जाति का अस्तित्व संलग्न है।

पर्यावरण जनजागरुकता सम्बन्धी विभिन्न अभियानों एवं कार्यक्रमों में विभिन्न स्कूली बच्चों की क्रियाओं को सम्मिलित किया गया। इनको निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया गया है-

(1) पर्यावरण सूचना प्रणाली- पर्यावरण विभाग द्वारा पर्यावरण अध्ययन विषय से सम्बन्धित सेमिनार, पुनश्चर्या, कार्य-गोष्ठियाँ, दृश्य-श्रव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

(2) पर्यावरण सूचना व्यवस्था केन्द्र- इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण देश में 10 सूचना केन्द्र स्थापित किये गये। इसकी स्थापना 5 दिसम्बर, 1982 में की गयी। इन सूचना केन्द्रों को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ‘विश्व सूचना कार्यक्रम’ द्वारा राष्ट्रीय सूचना केन्द्र की मान्यता दी गयी। यह केन्द्र निम्नलिखित के सम्बन्ध में सूचनाएँ एकत्रित करते हैं (i) पर्यावरणीय तकनीक, (ii) विष विज्ञान, (iii) जहरीले रसायन, (iv) पारितन्त्र, (v) तटीय तथा अतटीय पारिस्थितिकी, (vi) प्रदूषण नियन्त्रण, (vii) कूड़ा-करकट में जीव सदन।

(3) खेजड़ली चिपको आन्दोलन, 1787- इस आन्दोलन का सूत्रपात सनत जाम्मेश्वर महाराज द्वारा 29 नियमों को बनाकर किया गया। इनमें पेड़ या वृक्षों को न काटना तथा जीवों की रक्षा करने सम्बन्धी नियम भी थे। इन नियमों के पालन करने वाले अनुयायी ‘विश्नोई’ कहलाये। कुछ समय पश्चात् जोधपुर के राजा ने अपने सैनिकों को पेड़ काटने का आदेश दिया जिसका विरोध ‘इमरती’ नामक महिला ने पेड़ से चिपककर किया तथा अपनी जान दे दी। इसी के साथ अन्य विश्नोइयों ने भी पेड़ न काटने देने के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर इस आन्दोलन को अग्रसर किया तथा जनता में एक विशेष प्रकार की जागृति विकसित की जिसको आज तक भी मान्यता दी जाती है कि ‘वृक्ष’ मानव का जीवन होते हैं, इन्हें काटना नहीं चाहिए।

(4) चिपको आन्दोलन- चिपको आन्दोलन का श्री गणेश गोपेश्वर ( गढ़वाल) के नागरिकों के साथ श्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने सन् 1970 में किया। इन्होंने पेड़ों से चिपककर उन्हें काटने नहीं दिया। इसके बाद श्री सुन्दरलाल बहुगुणा द्वारा ‘चिपको आन्दोलन’ को आगे बढ़ाया गया।

(5) राष्ट्रीय पर्यावरणीय जागरुकता कार्यक्रम जुलाई, 1986- इस कार्यक्रम के द्वारा एक माह (19 नवम्बर से 18 दिसम्बर तक) को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया गया तथा इसके अन्तर्गत पर्यावरणीय जागरुकता विकसित करने सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

(6) विभिन्न राष्ट्रीय पुरस्कारों को प्रदान करना- पर्यावरण संरक्षण हेतु विभिन्न राष्ट्रीय तथा अन्य पुरस्कारों द्वारा भारतीय नागरिकों में चेतना एवं जागृति उत्पन्न की जाती है। ये पुरस्कार निम्नवत् हैं

(i) राष्ट्रीय प्रदूषण नियन्त्रण पुरस्कार (1991 से प्रारम्भ ) – ये पुरस्कार औद्योगिक इकाइयों में प्रतिवर्ष प्रदान किये जाते हैं।

(ii) इन्दिरा गांधी (प्रियदर्शिनी) वृक्ष मित्र पुरस्कार, 1986- प्रत्येक वर्ष 10 पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इसमें रू० 50 हजार नकद तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। यह परती भूमि के विकास करने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता हैं।

(iii) इन्दिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार, 1987- प्रत्येक वर्ष ‘पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। रजत ट्राफी तथा रु० 1 लाख नकद धनराशि के साथ-साथ प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया जाता है।

(iv) महावृक्ष पुरस्कार (1993-94 से आरम्भ)- यह पुरस्कार विभिन्न प्रकार के वृक्ष एवं उनकी ऊँचाई तथा अच्छी स्थिति के आधार पर हर वर्ष उनसे सम्बन्धित व्यक्तियों तथा संस्थानों को प्रदान किया जाता है। इसमें प्रशस्ति पत्र तथा रु० 2,500 नकद दिये जाते हैं।

(v) पर्यावरण एवं वन मंत्रालय विशिष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार- यह पुरस्कार वैज्ञानिकों के दो पुरस्कार को उनके भौतिक एवं व्यावहारिक अनुसन्धान हेतु प्रदान किया जाता है। यह पर्यावरण मंत्रालय तथा स्वायत्त संस्थाओं के वैज्ञानिकों को दिया जाता है। इसमें 20-20 हजार, प्रतिवर्ष दिये जाते हैं।

(7) ‘अप्पिको’ कन्नड़ भाषा (चिपको आन्दोलन, 1983- इसका आरम्भ एक योजना द्वारा पर्यावरण संरक्षण के रूप में किया गया जो बाद में वनों में पेड़ों की कटाई न करने से जुड़ गया। यह लगभग एक माह 10 दिन तक चलाया गया। इसके द्वारा भी लोगों में पर्यावरण सम्बन्धी जागृति हुई, जो आज भी प्रेरणा देती है।

(8) पर्यावरण सम्बन्धी विभिन्न बोर्ड के माध्यम से पर्यावरण जनजागरुकता- पर्यावरण जन-जागृति हेतु विभिन्न बोर्डों द्वारा कार्य किये जा रहे हैं-

(i) राष्ट्रीय वृक्षारोपण एवं पारितन्त्र (Ecology) बोर्ड- इस बोर्ड द्वारा स्वायत्त संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह वन तथा पर्यावरण विभाग संस्थान कहलाता है।

(ii) राष्ट्रीय पशु कल्याण बोर्ड- यह भी पर्यावरण तथा वन की एक स्वायत्त संस्था के रूप में पशु कल्याण सप्ताह मनाता है। इसके द्वारा पशुवध रोकने, संरक्षण प्रदान करने आदि कल्याणकारी कार्य किये जाते हैं।

(iii) माध्यमिक शिक्षा बोर्ड- माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा अपने पाठ्यक्रमों में पर्यावरण शिक्षा का एक अलग विषय लागू किया गया है।

(iv) विश्वविद्यालयों द्वारा ‘पर्यावरण अध्ययन’ विषय को लागू करने पर बल-सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका (एम० सी० मेहता व भारत सरकार A.I.R. 1992) पर अपने निर्णय में समस्त भारत के विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के अन्तर्गत पर्यावरण अध्ययन विषय को अनिवार्य रूप से सभी छात्रों पर लागू करने का निर्देश दिया जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों तथा उनसे सम्बन्धित महाविद्यालयों में पर्यावरण अध्ययन लागू करने पर विशेष बल दिया है।

(9) विभिन्न छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना

(i) परती भूमि पारितन्त्र छात्रवृत्ति- यह छात्रवृत्ति जोधपुर विश्वविद्यालय द्वारा परती भूमि पारितन्त्र में प्रदान की जाती है।

(ii) पीताम्बर पन्त राष्ट्रीय पर्यावरणीय छात्रवृत्ति, 1978- पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में अनुसन्धान हेतु मान्यता, प्रोत्साहन, उत्कृष्टता के रूप में प्रदान की जाती है। यह भी वार्षिक रूप में दी जाती है।

(10) पर्यावरण चेतना कार्यक्रम- पर्यावरण जन-जागृति हेतु निम्नलिखित कार्यक्रमों को चलाया जा रहा है

(i) राष्ट्रीय पर्यावरण मास का आयोजन- यह 19 नवम्बर से 18 दिसम्बर तक चलाया जाता है। इसमें विद्यालयी छात्रों, व्यवसायियों, प्रशासकों, शिक्षकों, जनजातियों, सैनिकों, श्रमिकों, जनमानस आदि को सम्मिलित किया जाता है।

(ii) दूरदर्शन कार्यक्रम ।

(11) पर्यावरण दिवस के रूप में जागृति- पर्यावरण दिवास के रूप में निम्नलिखित तारीखों में दिवस मानये जाते हैं

(i) पृथ्वी दिवस- यह दिवस 22 अप्रैल को मनाया जाता है। मनुष्य के कल्याण हेतु जन-जागृति के रूप में चलाया जाता है।

(ii) विश्व पर्यावरण दिवस- यह दिवस 5 जून को मनाया जाता है। यह दिवस सन् 1972 के स्टॉकहोम पर्यावरण सम्मेलन की याद के रूप में मनाया जाता है

(iii) विश्व विरासत दिवस- 18 अप्रैल।

(iv) विश्व जनसंख्या दिवस- 11 जुलाई।

(v) विश्व जल दिवस– 22 मार्च ।

(vi) विश्व प्रकृति दिवस- 3 अक्टूबर।

(vii) विश्व पशु कल्याण दिवस- 4 अक्टूबर।

(viii) विश्व एड्स दिवस- 1 दिसम्बर।

(ix) विश्व मानव अधिकार दिवस- 10 दिसम्बर।

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shubham yadav

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