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परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Reliability of Test)
किसी परीक्षण की विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors) निम्नलिखित हैं-
1. परीक्षण की लम्बाई (Length of the Test)- परीक्षण जितना अधिक लम्बा होता है उसका विश्वसनीयता गुणांक भी उतना ही अधिक होता है।
2. परीक्षण की सजातीयता (Homogeneity of the Test) – परीक्षण में सजातीय या एक ही गुण अथवा योग्यता वाले प्रश्न जितने अधिक होते हैं, परीक्षण का विश्वसनीयता गुणांक उतना ही अधिक होता है।
3. परीक्षण की विभेदन क्षमता (Discriminating Power of the Test)- परीक्षण की विभेदन क्षमता का विश्वसनीयता गुणांक से सीधा सम्बन्ध होता है। एक से अधिक होने पर दूसरा भी अधिक होता है।
4. परीक्षण का कठिनाई स्तर (Difficulty Level of the Test) – औसत कठिनाई स्तर वाले परीक्षण की विश्वसनीयता अधिक होती है। अत्यधिक सरल या अत्यधिक कठिन प्रश्न वाले परीक्षणों की विश्वसनीयता कम होती है।
5. परीक्षण की वस्तुनिष्ठता (Objectivity of the Test)- परीक्षण के प्रश्न या पद जितने अधिक वस्तुनिष्ठ होते हैं, उसकी विश्वसनीयता भी उतनी ही अधिक होती है।
6. योग्यता प्रसार (Ability Range)- जिस समूह के छात्रों की योग्यता का प्रसार जितना अधिक होता है, उस समूह से प्राप्त प्राप्तांकों का विश्वसनीयता गुणांक भी उतना ही अधिक होता है। यदि समूह के छात्रों की योग्यता लगभग समान हो तो उस समूह से प्राप्त प्राप्तांकों का विश्वसनीयता गुणांक कम होगा।
7. गतिशीलता (Speedness) – परीक्षण के गति परीक्षण और शक्ति परीक्षण भी परीक्षण को प्रभावित करते हैं। वे परीक्षण जिनमें प्रश्नों के उत्तर लिखने के लिए समय सीमा निर्धारित होती है गति परीक्षण कहलाते हैं। अन्य परीक्षण जिनके लिए समय सीमा निश्चि नहीं होती है शक्ति परीक्षण कहलाते हैं। गति परीक्षणों की विश्वसनीयता शक्ति परीक्षणों की विश्वसनीयता से अधिक होती है।
8. विश्वसनीयता ज्ञात करने की विधि (Method of Reliability)- परीक्षण की विश्वसनीयता उसको ज्ञात करने की विधि से भी प्रभावित होती है। समान प्रारूप (समतुल्य) परीक्षण विधि, पुनर्परीक्षण विधि एवं अर्द्ध विच्छेद विधि से प्राप्त विश्वसनीयता गुणांक क्रमशः कम, अधिक एवं उच्च होता है क्योंकि समान प्रारूप विधि एवं पुनर्परीक्षण विधि की कमियों को अर्द्ध विच्छेद विधि में काफी हद तक दूर किया जाता है।
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