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अच्छे परामर्शदाता के गुण या विशेषताएँ | Counsellor in Hindi

अच्छे परामर्शदाता के गुण या विशेषताएँ
अच्छे परामर्शदाता के गुण या विशेषताएँ

परामर्शदाता (Counsellor in Hindi)

परामर्श की प्रक्रिया में परामर्शदाता एक मुख्य रूप में होता है जो इसे संचालित करता है। इस प्रक्रिया में परामर्शदाता की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। परामर्श प्रक्रिया की सफलता काफी सीमा तक परामर्शदाता की प्रतिभा, ज्ञान, दृष्टिकोण एवं अनुभव पर निर्भर करती है और इसकी सम्पूर्ण प्रक्रिया परामर्शदाता के व्यक्तित्व, अनुभव, कार्य एवं गुणों से प्रभावित रहती है। एक प्रकार से परामर्शदाता वह व्यक्ति होता है जो परामर्श प्रक्रिया का आधार होता है और परामर्श की सम्पूर्ण प्रक्रिया में एक धुरी की भाँति कार्य करता है। की प्रक्रिया में परामर्शदाता की भूमिका एवं कार्य को समझने से पहले आवश्यक है कि एक योग्य, सक्षम एवं सफल परामर्शदाता की विशेषताओं एवं गुणों का अध्ययन किया जाए।

अच्छे परामर्शदाता के गुण या विशेषताएँ (Qualities/ Characteristics of a Good Counsellor)

प्रत्येक परामर्शदाता की कुछ निश्चित विशेषताएँ होती हैं जो परामर्श की सफलता के आधार के रूप में कार्य करती है। एक योग्य एवं सफल परामर्शदाता की विशेषताओं / गुणों को निम्न तीन शीर्षकों के अन्तर्गत वर्णित किया जा सकता है-

(1) व्यक्तित्व सम्बन्धी गुण या विशेषताएँ (Traits or Characteristics)-  परामर्शदाता का व्यक्तित्व सम्पूर्ण परामर्श प्रक्रिया को प्रभावित करता है। उसके व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषताओं के विषय में वाल्टर बी. जोन्स (Walter B. Jones) ने चर्चा करते हुए निम्न बिन्दुओं का वर्णन किया है-

(i) स्वभाव में विनम्रता (Humbleness in Attitude) – परामर्शदाता के स्वभाव में विनम्रता का होना अति आवश्यक है। यदि उसके स्वभाव में विनम्रता नहीं होगी तो सेवार्थी / विद्यार्थी / व्यक्ति उससे बात करने एवं अपनी समस्याएँ साझा करने में सहज नहीं रहेंगे। उसका स्वभाव यदि उत्तम होगा तो सेवार्थी / विद्यार्थी / व्यक्ति सहजतापूर्वक उससे वार्तालाप कर अपनी समस्या उसके समक्ष बिना किसी हिचकिचाहट के रखने में समर्थ होंगे।

(ii) सहयोगात्मक व्यवहार (Cooperative Behaviour) – परामर्शदाता के सहयोग के बिना परामर्श की प्रक्रिया नहीं संचालित की जा सकती है। एक परामर्शदाता के लिए यह अति आवश्यक है कि उसमें सहयोग की भावना हो एवं वह समस्त सम्बन्धित व्यक्तियों, कर्मचारियों एवं सेवार्थियों के साथ सहयोग करें एवं अपने कार्य में सभी का सहयोग प्राप्त करे।

(iii) व्यापक रुचि (Wide Range of Interests) – परामर्शदाता की एक अि आवश्यक विशेषता है उसकी रुचियों में व्यापकता। प्रत्येक परामर्शदाता की रुचियों में व्यापकता होनी चाहिए। रुचि क्षेत्र जितना व्यापक एवं विस्तृत होगा उसकी जानकारी का क्षेत्र भी उतना ही विस्तृत होगा एवं वह अधिक से अधिक सेवार्थियों को अपनी सेवाएँ दे सकेगा। परामर्शदाता को विभिन्न क्षेत्रों / कार्यों से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यक्तियों से सम्पर्क रखना पड़ता है। उसे भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों की समस्याएँ, नौकरियों / रोजगार क्षेत्रों से सम्बन्धित समस्याओं आदि को समझना पड़ता है यदि उसका रुचि क्षेत्र व्यापक एवं विस्तृत नहीं होगा तो उसे अपना कार्य करने में समस्या होगी।

(iv) दूरदर्शी (Farsighted)- एक परामर्शदाता के लिए आवश्यक है कि वह दूरदर्शी एवं व्यापक दृष्टिकोण वाला हो। उसे सेवार्थी की वर्तमान समस्याओं को समझना पड़ता है, उसका निदान एवं समाधान करना पड़ता है। इसके साथ ही भविष्य में कौन-कौन सी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती है एवं उसे कैसे रोका जा सकता है, इसका भी अनुमान उसे लगाना पड़ता है।

(v) आकर्षक व्यक्तित्व (Attractive Personality) – परामर्शदाता का व्यक्तित्व प्रभावशाली होना चाहिए। उसका आकर्षक एवं प्रभावशाली व्यक्तित्त्व व्यक्तियों / सेवार्थियों में उसके प्रति विश्वास उत्पन्न करता है। उससे प्रभावित होकर ही समस्याग्रस्त व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत सूचनाएँ उससे साझा करता है।

(2) प्रशिक्षण एवं तैयारी (Training and Preparation)- एक उन्नत परामर्शदाता के प्रशिक्षण एवं तैयारी के सम्बन्ध में निम्नलिखित मुख्य विशेषताओं का होना आवश्यक है-

(i) परामर्शदाता को निर्देशन की प्रकृति, उद्देश्य और सिद्धान्तों का ज्ञान होना चाहिए

(ii) परामर्शदाता को निर्देशन सेवाओं के गठन के विषय में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

(iii) एक उत्तम परामर्शदाता को विभिन्न व्यवसायों के विषय में जानकारी होना चाहिए।

(iv) उसे विभिन्न व्यवसायों से सम्बन्धित जानकारी प्रदान करने वाली विधियों के विषय में ज्ञान होना चाहिए।

(v) उसे विभिन्न शैक्षिक पाठ्यक्रमों एवं उनके उद्देश्यों की जानकारी होनी चाहिए।

(vi) उसे मनोवैज्ञानिक परीक्षणों एवं उन्हें उपयोग में लाने की जानकारी होनी चाहिए।

(vii) एक परामर्शदाता को उच्च शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए एवं उसे विषयों जैसे- समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, भूगोल, अर्थशास्त्र आदि का ज्ञान होना चाहिए।

(viii) परामर्शदाता की शैक्षिक योग्यता के अन्तर्गत दो प्रकार की शिक्षा को सम्मिलित माना जाता है-

(a) सामान्य शिक्षा (General Education) – इसके अन्तर्गत परामर्शदाता को किसी मान्यताप्राप्त विश्वसनीय संस्थान से स्नातक की उपाधि अर्जित करनी चाहिए। स्नात्तक उपाधि के साथ बी.एड., एम.एड. (निर्देशन एवं परामर्श विशिष्टीकरण सहित) की उपाधि होना आवश्यक है या स्नातक के बाद मनोविज्ञान या शिक्षाशास्त्र विषय से परास्नातक की उपाधि अर्जित होनी चाहिए।

(b) व्यावसायिक शिक्षा (Professional Education)- इसके अन्तर्गत शिक्षण निर्देशन के व्यापक क्षेत्रों में डिप्लोमा, जो कि परास्नातक स्तर का हो, प्राप्त होना चाहिए। परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी समस्याओं, मानसिक स्वास्थ्य, विभिन्न मनोवैमानिक परीक्षणों एवं परामर्श प्रदान करने वाली विभिन्न तकनीकियों का ज्ञान होना चाहिए।

(3) अनुभव (Experience) – परामर्शदाता का अनुभव परामर्श प्रक्रिया में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उचित परामर्श प्रदान करने हेतु परामर्शदाता के लिए यह आवश्यक है। कि उसे गहन अनुभव प्राप्त हो। कुछ ऐसे कार्य होते हैं जो गहन अनुभव के अभाव में भली प्रकार से नहीं किए जा सकते। परामर्श भी एक ऐसा ही कार्य है। स्मिथ (Smith) महोदय ने परामर्शदाता के लिए निम्न अनुभवों का होना अति आवश्यक बताया है-

परामर्शदाता को निर्देशन कार्यक्रम में दक्षता (Expertness) प्राप्त होनी चाहिए। निर्देशन कार्यक्रम की इस दक्षता में निम्नलिखित कौशल शामिल हैं-

(i) सेवार्थी / प्रार्थी / व्यक्ति / विद्यार्थी की समस्याओं को समझना।

(ii) सेवार्थी/ प्रार्थी / व्यक्ति / विद्यार्थी की समस्या समाधान में सहायता देना।

(iii) सेवार्थी/ प्रार्थी / व्यक्ति / विद्यार्थी से मधुर सम्बन्ध स्थापित करना।

(iv) विभिन्न प्रकार की सूचनाओं की व्याख्या करने में निपुण होना।

(v) सामाजिक संसाधनों के प्रयोग में दक्षता प्राप्त हो।

(vi) व्यवसाय / रोजगार दिलाने सम्बन्धित उचित कार्यवाही करने में निपुण होना।

(vii) परामर्श सेवाओं का मूल्यांकन करने की योग्यता होना।

इनके अतिरिक्त कुछ अन्य विद्वानों ने भी परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन किया है- एडवर्ड सी रॉयबर (Edward C. Roebor) ने कई विद्वानों द्वारा बताई गई परामर्शदाता की विशेषताओं का विश्लेषण करते हुए उन्हे निम्न सात वर्गों में विभाजित किया-

(1) पारस्परिक सह-सम्बन्ध (Interpersonal Correlation)- परामर्शदाता का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि वह किशोरों युवा वर्ग के व्यक्तियों आदि से शीघ्रता से घनिष्ठता स्थापित कर सके और उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर सके। उसके अन्दर निष्ठा, ईमानदारी लोगों से मिलने जुलने की योग्यता, लोगों में रुचि रखना, लोगों के साथ कार्य करने में रुचि रखना, दूसरों के दृष्टिकोणों का सम्मान करना एवं उनके प्रति संवेदनशील होना, धैर्य, चतुराई, दूसरों का विश्वास अर्जित करने की क्षमता, सामाजिक संवेदनशीलता, दूसरों की आवश्कताओं का ध्यान रखना, व्यक्तियों की निजता एवं गोपनीयता का ध्यान रखना, दूसरों की विचारधारा के प्रति सहिष्णुता, व्यक्तियों को समझना और मानना एवं सम्बन्धों में सौहार्द एवं मधुरता बनाए रखने की क्षमता आदि जैसे गुणों का होना आवश्यक है।

(2) व्यक्तिगत समायोजन (Personal Adjustment)- परामर्शदाता के भीतर व्यक्तिगत समायोजन की क्षमता होनी चाहिए। व्यक्तिगत समायोजन हेतु परामर्शदाता की परिपक्वता, भावनात्मक स्थिरता, (Emotional Stability), व्यक्तित्व, स्वयं की कमियों / कमजोरियों का ज्ञान, लचीलापन (Flexibility), अनुकूलन क्षमता (Adaptability). महत्व का भाव (Sense of Worth), विनोदप्रियता (Sense of Humour), पिछले अनुभवों से सीखने की क्षमता (Learning by Past Experiences) आलोचनाओं की स्वीकार्यता (Acceptance of Criticism), आत्म-सम्मान, स्वयं के विषय में ज्ञान, अपनी समस्याओं के समाधान हेतु एक विवेकसम्मत दर्शन। (Wholesome Philosophy of Handling Own Problems) आदि सहायक होते हैं।

(3) शैक्षिक पृष्ठभूमि एवं विद्वतात्मक शक्तियाँ / क्षमताएँ (Educational Back Ground and Intellectual Potentialities) – एक परामर्शदाता उच्च शैक्षिक पृष्ठ भूमि एवं विद्वतात्मक शक्तियों से युक्त होना चाहिए। उसके भीतर उच्च परिष्कृत सामाजिक अभिरुचियां (Highly Cultured Social Interests), कार्य क्षमता, प्रज्ञा (Intelligence) ज्ञान तथा अभिरुचियों का विस्तृत व व्यापक क्षेत्र, सामाजिक संस्कार (Social Culture), विद्वता के प्रति झुकाव (Scholastic Attitude), तथ्यों के प्रति आद (Respect for facts), निर्णय में व्यावहारिकता, विवेक आदि का होना आवश्यक है।

(4) स्वास्थ्य एवं वाह्य व्यक्तित्व (Health and External Appearance)- अच्छा स्वास्थ्य अच्छे व्यक्तित्व का आधार होता है। एक परामर्शदाता का स्वास्थ्य उत्तम होना चाहिए। उसकी वाणी में मधुरता, व्यक्तित्व की आकर्षक बाह्य रूपरेखा, सजीवता एवं सहनशक्ति (Vitality & Endurance), स्वच्छता आदि का होना आवश्यक है। उसका कोई भी व्यवहार ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे कि वह उपहास का पात्र बन सके।

(5) नेतृत्व क्षमता (Leadership Quality)- एक उत्तम परामर्शदाता के भीतर नेतृत्व क्षमता का गुण होना चाहिए जिससे कि वह व्यक्तियों को प्रभावित एवं उनका नेतृत्व कर सके। नेतृत्व क्षमता के द्वारा ही वह दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है एवं उनका विश्वास अर्जित कर सकता है।

(6) जीवन-दर्शन (Philosophy of Life) – परामर्शदाता का अपना एक जीवन दर्शन एवं विचारधारा होनी चाहिए। उसमें अच्छा आचरण, स्वस्थ जीवन दर्शन, उत्तम नागरिकता का भाव (Good Civic Sense), संश्लिष्ट एवं स्वीकृत मूल्य व्यवस्था and Accepted Value System), आध्यात्मिकता, धार्मिकता, सौन्दर्यबोध एवं मानव प्रकृति में आस्था आदि का होना अति आवश्यक है।

(7) वृत्ति के प्रति समर्पण (Dedication Towards Profession) – एक उत्तम परामर्शदाता में वृत्तिक समर्पण का भाव होना चाहिए। उसके अन्दर व्यावसायिक अभिरुचियाँ, निर्देशन कार्य में रुचि, वृत्तिक दृष्टिकोण (Professional Attitude), प्रेरणा का भाव निर्देशन कार्य में निष्ठा एवं उत्साह, वृत्तिक नैतिकता के प्रति उच्च भावना (Strong Sense of Professional Ethics), वृत्तिक विकास कार्य के निश्चित समय के अतिरिक्त भी कार्य करने की इच्छा (Willingness to Work beyond Call of Duty) आदि होना आवश्यक है।

फ्रैंकलिन जे. केलर (Franklin J. Keller) ने परामर्शदाता को शिक्षक के समकक्ष माना है। उनके अनुसार परामर्शदाता का व्यक्तित्व प्रभावशाली होना चाहिए। केलर ने एक उत्तम परामर्शदाता की निम्न विशेषताओं पर बल दिया-

(1) समृद्ध सामान्य ज्ञान (Enriched General Knowledge)- एक उत्तम परामर्शदाता को अपने सांस्कृतिक और आर्थिक परिवेश के बारे में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। परामर्शदाता को विशेष रूप से व्यावसायिक संसार की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए जो उसके कार्य में सहायक होती है। इसके अतिरिक्त उसकी सामान्य जानकारी का को भी समृद्ध होना चाहिए। ये सामान्य जानकारी भी उसकी सफलता में सहायक रहती है।

(2) उत्तम मौलिक बुद्धि (Good Basic Intelligence)- एक उत्तम परामर्शदाता में उत्तम मौलिक बुद्धि का होना आवश्यक है। उसके अन्दर इतनी दक्षता अवश्य होनी चाहिए कि वह अनुभवों द्वारा या औपचारिक शिक्षण प्रक्रिया द्वारा प्राप्त ज्ञान का उपयोग यथा सम्भव, उपयुक्त स्थान पर उपयुक्त ढंग से कर सकें।

(3) विशेष गहन जानकारी (Special Intensive Information) – परामर्शदाता का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक एवं विस्तृत होता है। चूँकि व्यावसायिक क्षेत्र उसका विशिष्ट क्षेत्र है। इसलिए एक परामर्शदाता को व्यवसाय सम्बन्धी जानकारी को विशेष रूप से प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए। रोजगार की भावी सम्भावनाओं के विषय में उसे ज्ञान होना चाहिए एवं उसके लिए वांछित योग्यता एवं प्रशिक्षण का भी ज्ञान उसे होना चाहिए। इसके अतिरिक्त विभिन्न व्यवसायों से जुड़ी जानकारियाँ जो उसकी सहायता कर सकती हैं, उसे अवश्य पता होनी चाहिए।

(4) विशिष्ट कौशल (Specific Skills)– एक उत्तम परामर्शदाता में कुछ विशिष्ट कौशलों एवं तकनीकियों को प्रयोग में लाने का ज्ञान होना चाहिए। ये तकनीकें हैं- साक्षात्कार (Interview), निरीक्षण (Observation), मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का संचालन (Conduction of Psychological Tests) परीक्षण (Testing)। इसके अतिरिक्त उसे विभिन्न व्यावसायिक सूचनाएँ एकत्र करने, उनके वितरण और अन्य मापन की भी जानकारी होनी चाहिए।

(5) विशिष्ट वैयक्तिक गुण (Specific Personal Qualities) – उपरोक्त सभी विशेषताओं के अतिरिक्त भी परामर्शदाता में कुछ गुणों का होना अति आवश्यक है। जैसे – सहानुभूति, वस्तुनिष्ठता, सहयोग, सहिष्णुता, व्यवसाय के प्रति निष्ठा, विवेकशीलता, संवेदनशीलता आदि वे विशिष्ट गुण हैं जो परामर्शदाता के व्यक्तित्व में अवश्य शामिल होने चाहिए।

रोजर्स एवं वैलेन (Rogers and Wallen) ने एक उत्तम परामर्शदाता की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं-

(1) एक उत्तम परामर्शदाता में समायोजन स्थापित करने की क्षमता होनी चाहिए।

(2) एक उत्तम परामर्शदाता में स्वयं को समझने एवं सेवार्थी / परामर्श प्राप्तकर्ता की उचित प्रकार से सहायता करने की इच्छा होनी चाहिए।

(3) परामर्शदाता में सेवार्थी की व्यक्तिगत स्वतन्त्रता के प्रति आदर की भावना होनी चाहिए।

(4) परामर्शदाता में व्यक्ति के समग्र व्यक्तित्व के का भाव होना चाहिए।

(5) परामर्शदाता में सेवार्थी के भिन्न दृष्टिकोण / मतभेदों के प्रति सहनशीलता एवं स्वीकार्यता का भाव होना चाहिए।

स्टेफलर एवं स्टीवर्ट (Steffire and Stewart) महोदय ने भी एक उत्तम परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन किया है जो निम्न हैं-

(1) नैतिक गुणों से युक्त (Full of Moral Qualities) – एक उत्तम परामर्शदाता को नैतिक गुणों से युक्त होना चाहिए। उसका यह कर्तव्य है कि वह सेवार्थी की सभी सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखें। यदि परामर्शदाता ऐसा करने में असफल होता है तब उस स्थिति में सेवार्थी का विश्वास परामर्शदाता से उठ जाता है और वह स्वतन्त्र रूप से अपने विचारों को अभिव्यक्त नहीं करेगा। इसलिए परामर्शदाता में नैतिक गुणों का होना अनिवार्य है।

(2) बोधगम्यता (Understanding)– एक उत्तम परामर्शदाता में बोधगम्यता/समझ का होना अति आवश्यक होता है। इसी के आधार पर ही परामर्शदाता सेवार्थी को एवं उसकी समस्याओं को पूरी तरह से समझ सकता है।

(3) स्वीकार्यता (Acceptance)- परामर्शदाता के पास सेवार्थी जब समस्या लेकर आता है उस समय वह आशा-निराशा, भय, दुश्चिन्ता आदि के भाव से घिरा होता है। ऐसी स्थिति में परामर्शदाता को चाहिए कि वह सेवार्थी की प्रत्येक बात को अपनी स्वीकृति प्रदान करे। यदि परामर्शदाता सेवार्थी के व्यक्तित्व की उपेक्षा करता है तब उस स्थिति में परामर्श प्रक्रिया को प्रभावशाली एवं सफल बनाना कठिन होगा।

(4) संवेदनशीलता (Sensitivity)- एक उत्तम परामर्शदाता की विशेषता है, संवेदनशीलता। उसे अपने कार्य के प्रति जागरूक एवं ईमानदार होना चाहिए। ऐसा होने पर ही वह परामर्शदाता परामर्श की प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से संचालित कर सकता है।

(5) लचीलापन (Flexibility)- एक उत्तम परामर्शदाता के व्यवहार में लचीलापन होना चाहिए। उसे रूढ़िवादी नहीं होना चाहिए। यदि उसके व्यवहार में लचीलापन है तभी वह विभिन्न परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर सकता है।

(6) बौद्धिक क्षमता (Intellectual Ability)– एक परामर्शदाता को बौद्धिक रूप से योग्य एवं सक्षम होना चाहिए। उसकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किक चिन्तन की योग्यता एक सफल परामर्श प्रक्रिया के लिए आवश्यक एवं उपयोगी है।

यदि हम भारतीय परिवेश में देखें तो पाते हैं कि परामर्शदाता की विशेषताओं पर बहुत अधिक शोध कार्य नहीं हुआ है। भारतीय साहित्य में एक आदर्श व्यक्ति एवं उसे व्यक्तित्व के सन्दर्भ में कुछ गुणों / विशेषताओं का उल्लेख किया गया है। परामर्शदाता का व्यक्तित्व भी एक आदर्श व्यक्तित्व होता है। इस आधार पर एक उत्तम परामर्शदाता में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए-

(1) एक परामर्शदाता को धर्म के सार्वभौमिक (Universal) सिद्धान्तों का आदर करना चाहिए।

(2) एक परामर्शदाता का व्यवहार उच्च नैतिकता से युक्त होना चाहिए।

(3) उसे सेवार्थी के व्यक्तित्व का आदर करना चाहिए।

(4) परामर्शदाता का व्यक्तित्व प्रभावशाली एवं आदर्श होना चाहिए।

(5) परामर्शदाता का व्यवहार निष्पक्ष एवं भेदभाव न करने वाला होना चाहिए।

(6) परामर्शदाता को समस्या के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

(7) परामर्शदाता में सहयोग की भावना होनी चाहिए।

(8) परामर्शदाता को सहनशील एवं धैर्यवान होना चाहिए।

(9) परामर्शदाता में सेवार्थी की बात सुनने और उसे स्वीकार्यता प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।

(10) परामर्शदाता में बुराई एवं अच्छाई पहचानने की क्षमता होनी चाहिए तथा वह अच्छाइयों को प्रोत्साहित करने की क्षमता रखता हो

(11) परामर्शदाता में अपने कौशल और प्रशिक्षण की सीमाओं / दोषों / कमियों को पहचानने की योग्यता हो तथा इसे ईमानदारी पूर्वक स्वीकार करने की क्षमता हो।

(12) परामर्शदाता को दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता होनी चाहिए।

(13) परामर्शदाता में सेवार्थी से बातचीत प्रारम्भ करने एवं उसे सुचारु ढंग से पूरा करने की योग्यता होनी चाहिए।

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shubham yadav

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