समाजशास्‍त्र / Sociology

बाल अपराध में पारिवारिक दशाओं का क्या योगदान है ? टिप्पणी कीजिए।

बाल अपराध में पारिवारिक दशाओं का योगदान
बाल अपराध में पारिवारिक दशाओं का योगदान

बाल अपराध में पारिवारिक दशाओं का योगदान

परिवार का बालक पर अनेक प्रकार से प्रभाव पड़ता है। परिवार की महत्ता मुख्य रूप से निम्नांकित कारणों से है –

(अ) सर्वप्रथम बच्चा घर में ही अवलोकन की क्रिया प्रारम्भ करता है। जैसा दूसरे आचरण करते हैं, वैसा वह भी करने लगता है।

(ब) अगर घर में संतोषजनक वातावरण नहीं मिलता तो बच्चा बाहर दिलचस्पी लेने लगता है।

(स) घर बच्चों के समाजीकरण का प्रथम स्थान होता है। हो सकता है उसकी एकदम उपेक्षा की जाए या उसे अत्यधिक लाड़ प्यार किया जाए, जिससे बच्चा खराब हो जाए।

(द) परिवार व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यधिक सहायक होता है। इसके ही द्वारा बच्चे का व्यक्तित्व पूर्णरूप से असामाजिक बनाया जा सकता है।

(ई) परिवार के द्वारा ही नैतिक अथवा अनैतिक वातावरण को सीखा जाता है। व्यक्तित्व के निर्माण में परिवार महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था है। निम्नलिखित पारिवारिक कारण अपराध को बढ़ाने में सहायक होते हैं-

(i) विघटित घर (Broken Home)-

परिवार माता-पिता में से एक अथवा दोनों के मर जाने, तलाक देने, त्याग करने अथवा किसी के कारावास में हो जाने से नष्ट हो जाता है। आमतौर से अपराधी इन्हीं नष्ट घरों से आते हैं। रिफार्मेटरी (Reformatory) स्कूल, लखनऊ द्वारा अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि 38% बाल अपराधी निम्न कारणों द्वारा बनते हैं –

माता-पिता के मर जाने पर 17.7 प्रतिशत
माता-पिता में से एक के मर जाने पर 20.1 प्रतिशत
पिता के मर जाने पर 19.6 प्रतिशत
माता के मर जाने पर 20.5 प्रतिशत

(ii) अर्द्ध विघटित घर (Quasi broken Home) –

बहुधा माता और पिता दोनों के जीवित रहने पर भी घर नष्ट हो जाते हैं. इन्हें अर्द्ध-नष्ट घर कहा जाता है। अर्द्ध-नष्ट घर का अर्थ अस्वस्थ परिवार है, जब माता-पिता दूर दूर रहते हैं, जैसे-

(अ) स्त्रियों का फैक्टरी या अन्यत्र कार्य करना, जिससे परिवार की उचित व्यवस्था का ना हो पाना,

(ब) पति का सेना या ऐसी नौकरी करना जिसमें वे काफी समय तक घर से अनुपस्थित रहें।

(स) पाली में काम करना (Shift system) जिसमें बच्चों का आसानी से अनैतिकता की ओर मुड़ पाना

(द) अधिक समय (Over-time) तक काम करना जिससे मानसिक संतुलन का खो देना।

उपर्युक्त सभी परिस्थितियों में परिवार नष्ट हो जाते हैं, यहाँ पर न तो बच्चों की देखभाल का ही समय रहता है और न उसके लिए शक्ति ही रह जाती है। अनुशासन समाप्त हो जाता है, घरेलू जीवन में असन्तोष व्याप्त हो जाता है। माता-पिता अपने कर्तव्यों का पालन नही कर पाते हैं। आय की वृद्धि से व्यावसायिक मनोरजंन को बढ़ावा दिया जाता है। ऐसे वातावरण में भौतिक रूप से तो नहीं किन्तु मनोवैज्ञानिक और सामाजिक दृष्टि से परिवार नष्ट हो जाता है। परिणाम यह होता है कि अपराधी-बच्चों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।

(iii) अवैध पितृता तथा अवांछनीय सन्तान (Illegitimate Parenthood and Unwanted Children)

अवैध माता-पिता के द्वारा जब बच्चा उत्पन्न होता है तो उसको न तो परिवार में स्थान मिलता है और न समाज में ही उस अवांछित संतान की सभी जगह उपेक्षा की जाती है। वह सम्पूर्ण समाज को दुश्मन के रूप में पाता है तथा उसके साथ प्रतिशोधपूर्ण कार्य करता है, सामाजिकप्रथाओं और परम्पराओं से संघर्ष करता है तथा अपराधों में वृद्धि करता है।

(iv) अनैतिक परिवार (The Immortal Home)

उस घर में जहाँ यौन सम्बन्धी अनैतिक आचरण मान्य होता है, मद्यपान करना बुरा नहीं माना जाता है, वहाँ झूठ बोलना, अश्लीलता एवं अभद्रता का व्यवहार किया जाता है। ऐसे वातावरण का प्रभाव सदस्यों पर भी पड़ता है। यह अवस्था निर्धनता, क्रूरता, लडाई-झगड़े घरेलू तनाव, माता-पिता के नियन्त्रण का अभाव, अश्लीलता और अभद्रता, यौन-अनैतिकता तथा अन्य परिणामों का कारण हो सकती है। घर के अन्दर वैश्यावृत्ति के परिणाम बहुत बुरे होते हैं, बालक के व्यवहार पर इसका प्रभाव अमिट होता है।

(v) उपेक्षित बालक (Parental Rejection of Child)

उस परिवार में जहाँ बच्चे के प्रति माता-पिता तथा अन्य सदस्य उदासीन होते हैं, उसे उचित रूप से संरक्षण नहीं दे पाते उसको प्यार से वंचित रखा जाता है। माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों के स्नेहहीन व्यवहार बच्चे में घृणा और बदले की भावना का विकास हो जाता है। इसके विपरीत जिस बच्चे की अत्यधिक दे भाल होती है, वह भी असामाजिक कार्यों में व्यस्त पाया जाता है।

(vi) अतिव्यरत माता-पिता (Overbusy Parent)-

अत्यधिक व्यस्त माता-पिता अपने बच्चों का ख्याल नहीं रख पाते हैं और बच्चे स्वेच्छापूर्वक घूमा करते हैं। परिणामस्वरूप अनियन्त्रित जाते हैं। अनेक गरीब परिवारों में जहाँ पुरुष तथा स्त्री दोनों को ही प्रातः से संध्या तक काम करना पढ़ है और उनके बच्चे अकेले घर में रहते है, बच्चों की देख-भाल नहीं हो पाती और वे कुसंगति के शिक हो जाते है।

(vii) भीड़-भाड़ (Over-crowding) 

भीड़-भाड़ के निम्नलिखित परिणाम होते हैं-

(अ) माता-पिता के साथ रहने से बच्चे में अनुशासन की कमी हो जाती है, परिणाम माता-पिता की शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।

(ब) भीड़-भाड़ से यौन विकास को प्रोत्साहन मिलता है, परिणामस्वरूप बालक अपराध की ओर प्रवृत हो जाते हैं।

(स) बालक माता-पिता की मुस्कराहट और क्रोध को समीप से देखता है, अतः उसके मन परिवार के प्रति घृणा हो जाती है।

(द) पारिवारिक रहस्य नहीं रहता, जो बहुधा ठीक नहीं होता है। गुप्तता (Privacy) के अभाव में अनेक अपराध पनप जाते हैं।

(viii) मनोरंजन की कमी (Lack of Recreation)

निर्धनता आदि के कारण घर तो मनोरंजन के मिलें साधन कहाँ, अस्तु ऐसे बालक उन्हें प्राप्त करने के लिए अनुचित साधनों के प्रयोग में लाते हैं फिर यह तो मान्य ही है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। जब बालक घर पर ऐ साधन नहीं पाता है तो उसे घर से बाहर जाना पड़ता है। वह बाल अपराधी गिरोह के प्रभाव में ख अपराधी बन जाता है।

(ix) कमजोर पारिवारिक नियन्त्रण (Weakened Family Control)

औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप माता-पिता अधिक व्यस्त हो जाते हैं और बच्चों के प्रति लापरवाही करने लगते हैं। इसक परिणाम यह होता है कि बालक बुरी संगति में पड़ जाता है और अपराध की ओर आसानी से मुड़ जाता है।

(x) भाई-बहन का प्रभाव (Effect of Siblings)

इसे दो रूपों में देखा जा सकता है

(अ) प्रथम तो बड़ी संख्या वाले परिवारों से अधिक अपराधी आते हैं, ऐसा अध्ययनों में पाय गया, हैं। वहाँ प्लाण्ट (Plant) के शब्द उल्लेखनीय हैं “घरेलू भीड़-भाड़ का अपराध से घनिष्ठ सम्बन्ध है।

(ब) द्वितीय अपराधी भाई-बहनों के व्यवहार का भी बालक पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार बालक उनके सम्पर्क में अपराध करना सीख जाता है।

(xi) अत्यधिक प्रेम (Excess Love)

पारिवारिक नियन्त्रण का अभाव बालकों को अपराधी बना देता है। अधिकतर यह देखा जाता है कि परिवार में उस बच्चे की सभी आवश्यकताएँ- चाहे अच्छी या बुरी पूरी की जाती हैं, इसका परिणाम यह होता है कि बालक हठी हो जाता है, वह अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कार्यों को करना चाहता है, फलतः अपराधी बालक के रूप में परिणत हो जाता है।

(xii) पारिवारिक तनाव (Family Tensions )-

पारिवारिक तनाव निम्नलिखित कारण से उत्पन्न हो सकता है

(अ) पति-पत्नी के स्वभाव में विरोध से,

(ब) जीवन दर्शन में अन्तर से.

(स) यौन प्रतिक्रिया (Sex-response) से, और

(द) मनोव्यधिकी व्यक्तित्व (Psychopathic personality) के कारण उपर्युक्त सभी प्रकार के तनाव पारिवारिक शान्ति का नाश कर देते हैं।

(xiii) अनुपयुक्त घर (Inadequate Homes)

अनुपयुक्त घर वह है जहाँ-

(अ) मद्यपान (Alocholism) को स्वीकार किया जाता है,

(ब) अनैतिकता का बाहुल्य होता है,

(स) अभद्र, अश्लील भाषा का प्रयोग किया जाता है,

(द) गन्दी बस्तियों में स्थित होता है,

(य) आर्थिक असुरक्षा रहती है, और,

(र) जुआ खेला जाता है,

इस प्रकार के परिवारों में परिवार की इन क्रियाओं का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। परिणाम यह होता है कि बालक अपराधी हो जाते हैं।

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shubham yadav

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