समाजशास्‍त्र / Sociology

श्वेतवसन अपराध का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, कारण, समस्या, दुष्परिणाम तथा रोकने हेतु सुझाव

श्वेतवसन अपराध का अर्थ
श्वेतवसन अपराध का अर्थ

श्वेतवसन अपराध का अर्थ एवं परिभाषा(Meaning and Definition of White Collar Crime)

श्वेतवसन अपराध का अर्थ- सामान्यतया व्यक्ति अपराध को बहुत ही सामान्य रूप में ग्रहा करता है। वह सभी प्रकार के अपराधों को अपराध मानता है। श्वेतवस्त्रधारी अपराध, परम्परात्मक अपराध से अधिक गम्भीर और खतरनाक है। इसकी उत्पत्ति और विकास का श्रेय औद्योगिक क्रान्ति और भौतिकवादी युग को है। सामाजिक विद्वेष, प्रतिस्पर्धा, संघर्ष तथा अन्य ऐसे तत्व जो समाज में तीव्रता से प्रवेश कर रहे हैं, वे व्यक्ति को भौतिकवादी बना रहे हैं। भौतिकवादी प्रवृत्ति व्यक्ति को परम्परात्मक रूप में अपराध करने के लिए प्रेरित नहीं करती है वरन सभ्य और परिष्कृत ढंग से अपराध करती है। उसे डकैत की उपाधि भी प्राप्त नहीं होती है पर फिर भी वह हजारों डकैती से बड़ा डकैत होता है। ये अपने कुटिल और गोपनीय ढंगों के द्वारा समाज को निरन्तर धोखा देकर करोड़ों रुपये अर्जित करते हैं। ये वे व्यक्ति हैं जो गम्भीर से गम्भीर अपराध करते हैं किन्तु फिर भी इनके ऊपर अदालती कार्यवाही नहीं की जाती है। इतना ही नहीं इन श्वेतवस्त्रधारी अपराधियों को अनेक छूटें मिलती हैं। इन्हें अपराध के सम्बन्ध में फौजदारी अदालत में नहीं जाना होता है। वरन दीवानी अदालत में जाते हैं। सामान्यतः श्वेतवस्त्रधारी अपराधी बहुत ही चतुर, धूर्त, कानूनों से भिज्ञ, बुद्धिमान तथा उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग के प्रतिष्ठित

और अधिष्ठित व्यक्ति होते हैं। इसलिये सदरलैण्ड इन्हें ‘श्वेत वस्त्रधारी’ शब्दावली से अलंकृत करते हैं। श्वेतवसन अपराध की अवधारणा डॉ. सदरलैण्ड ने विकसित की। इसके कई नाम हैं जैसे अभिजात्य अपराध, भद्रवर्गीय अपराध सफेद पोश व उच्च वर्गीय अपराध सदरलैण्ड के अनुसार, “श्वेतवसन अपराध ऐसे अपराध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो सम्मानित व उच्च सामाजिक स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा व्यवसाय के दौरान किया जाता है।”

टैफ्ट ने श्वेतवसन अपराध की व्याख्या निम्न प्रकार की है -“श्वेतवसन अपराध उच्च वर्गों द्वारा किया गया एक प्रकार का अपराध है ।”

इस प्रकार श्वेतवसन अपराध उच्चवर्गीय सम्मानित व साधन सम्पन्न लोगों द्वारा किया गया अपराध है। ये अपराधी धन और प्रभुत्व के कारण कानून और दण्ड से बचते रहते हैं। आधुनिक पूँजीवादी देशों में इस प्रकार के अपराध की समस्या गम्भीर है।

“श्वेतवसन अपराध व्यापार से सम्बन्धित कानून का वह उल्लंघन है जो एक कम्पनी, कारखाने, फर्म एवं उसके एजेण्टों द्वारा फर्म के लिए व्यापार चलाने हेतु किया जाता है।”-फ्रैंक हाटुंग

श्वेतवसन अपराध की विशेषताएँ (Characteristics of White Collar Crime)

श्वेतवसन अपराध की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. श्वेतवसन अपराधी उच्च एवं सम्मानित सामाजिक व आर्थिक वर्ग के सदस्य होते हैं जो व्यवसाय के कार्यकाल में अनेक अपराधी कानूनों का उल्लंघन करते हैं।

2. श्वतेवसन अपराधी इतने सम्मानित होते हैं कि इन पर सामान्यतः मुकदमा नहीं चलाया जाता है। यदि चलाया भी जाता है तो फौजदारी अदालत के स्थान पर दीवानी अदालत में इन पर मुकदम चलाया जाता है। ये अपराधी प्रायः जुर्माना देकर अपराध-मुक्त हो जाते हैं।

3. उच्च स्थिति व प्रभावशीलता के कारण श्वेतवसन अपराधी अपने विरुद्ध कोई कानून पारित नहीं होने देते हैं। ये लोग अदालत को भी अपने पक्ष में प्रभावित कर लेते हैं।

4. श्वेतवसन अपराधी समाज सेवा व जनकल्याण में विशेष रुचि दर्शाते हैं। अनेक संस्थाओं के काफी धन व चन्दा देते हैं जिससे लोगों का मुँह बन्द रहे।

5. इस प्रकार के अपराध की प्रकृति मुख्यतः आर्थिक होती है। ये उच्चवर्गीय सदस्यों के व्यवसाय का एक अंग होता है। इनका उद्देश्य अवैधानिक तरीके से लाभ कमाना होता है।

6. श्वेतवसन अपराध में विश्वासघात किया जाता है।

7. श्वेतवसन अपराधी प्रभावशाली लोग होते हैं। राजनैतिक क्षेत्र में इनका दखल होता है। अफसरों नेताओं, जजों तक उनकी पहुॅच होती है।

8. श्वेतवसन अपराधी अपने धन व पद के कारण न्यायाधीशों को अपने पक्ष में कर लेते हैं। उनसे सम्पर्क रखते हैं, उन्हें भेंट देते रहते हैं ताकि अवसर आने पर उनसे अपने पक्ष में निर्णय करा सकें।

9. श्वेतवसन अपराध समाज के उच्च सामाजिक-आर्थिक वर्ग के सदस्यों द्वारा किया जाता है।

श्वेतवसन अपराध के कारण (Causes of White Collar Crime )

श्वेतवसन अपराध के लिए अनेक कारण उत्तरदायी हैं। ये हर समाज में एक जैसे नहीं होते। समाज के सांस्कृतिक प्रतिमानों के अनुसार ही श्वेतवसन अपराध के कारण होते हैं। इन कारणों में से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. लापरवाही व अज्ञानता सेठ साहूकार बड़े चतुर होते हैं। वे लेन-देन सम्बन्धी इकरारनामो को पूरी तरह स्पष्ट नहीं करते तथा लोगों के हस्ताक्षर प्राप्त कर लेते हैं। अधिकांश लोग सहज विश्वासी होते हैं।

2. कानून की जानकारी न होना कानून जटिल होते हैं और सामान्य व्यक्ति को इनकी जानकारी कम होती है। इसका लाभ मालिक, महाजन और अधिकारी उठाते हैं। कोरे कागजों में हस्ताक्षर प्राप्त कर लिये जाते हैं।

3. व्यापारिक विज्ञापन व्यापार में विज्ञापन का बड़ा महत्व है। इनमें झूठे व नकली विज्ञापनो की भरमार होती है जिनके शिकार अनेक भोले-भाले लोग होते रहते हैं। इनमें बोगस कम्पनियों के शेयर झूठे एजेण्टों के जाल, व्यापारियों द्वारा अग्रिम धन वसूलना श्वेतवसन अपराध के कुछ उदाहरण हैं।

4. कानून की जटिलता कानून की जटिलता का लाभ सफेदपोश अपराधी उठाते रहते हैं और – कानून के शिकंजे से बचते रहते हैं। सामान्य व्यक्ति इन कानूनों को समझता नहीं। वह लोगों की चतुराई का शिकार होता है।

5. व्यापार सम्बन्धी नैतिकता व्यापार के क्षेत्र में नैतिकता व ईमानदारी का स्तर गिरा है। जैसे तैसे लाभ कमाना व्यापारियों का मुख्य उद्देश्य है।

6. धनी लोगों का सम्मान समाज में धन का महत्व बढ़ा है। धन चाहे जैसे कमाया गया हो। उसका समाज में सम्मान है। इसीलिए पैसा कमाने की होड़ बढ़ी है। धन अनेक बुराइयों पर पर्दा डाल देता है। अनुचित, अन्यायपूर्ण, अवैधानिक कार्य करने पर भी धनी लोग दण्ड से बचे रहते हैं।

श्वेतवसन अपराध के प्रमुख स्वरूप (Major Forms of White Collar Crime)

श्वेतवसन अपराध के प्रमुख स्वरूप निम्नलिखित हैं-

1. जालसाजी (Frauds)- सदरलैण्ड ने श्वेतवसन अपराध का प्रमुख स्वरूप विभिन्न प्रकार की जालसाजियों को ही माना है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उच्च वर्ग के लोग अपनी प्रतिष्ठा की आड़ मे जालसाजी के द्वारा लाभ प्राप्त करने में शीघ्र ही सफल हो जाते हैं।

2. चोरबाजारी एवं मुनाफाखोरी (Black Marketing and Profiteering)- व्यापारी – अपने पास माल जमा करके उसे किसी भी प्राकृतिक संकट के समय जैसे अकाल, बाढ़, अतिवृष्टि एवं सूखा आदि के समय ऊँची कीमतों पर बेचते हैं। इसी प्रकार कुछ अपना मकान या दुकान अधिक कीमत में बेचकर कम कीमत की रजिस्ट्री कराते और कुछ लोग आयकर की चोरी करके काला धन बढ़ाते हैं।

3. तस्करी (Smuggling)- वर्तमान समय में तस्करी एक ऐसा अपराध है जो समाज के अति प्रतिष्ठित तथा सम्पन्न व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। जिन वस्तुओं का विदेशों में सरकार द्वारा आयात निर्यात बन्द कर दिया जाता है, उन्हीं वस्तुओं को कुछ लोग विदेशों से आयात निर्यात करते हैं।

4. रिश्वत (Bribe)- वर्तमान समाज में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जिसमें रिश्वत या घूस लेकर अनैतिक कार्यों को प्रोत्साहित न किया जाता हो। पुलिस विभाग विद्युत विभाग दूर संचार विभाग एवं अन्य सभी सरकारी विभागों में बिना रिश्वत लिए कोई कार्य नहीं किया जाता है।

5. विश्वासघात तथा षड्यन्त्र (Betrayal and Conspiracy)- श्वेतवसन अपराधों के अन्तर्गत अनेकों विश्वासघात तथा षड्यन्त्र किए जाते हैं जो कानून की पकड़ से काफी दूर होते हैं। इसके अन्तर्गत अग्रलिखित अपराधों को शामिल किया जाता है सरकार की गुप्त बातों को किसी दूसरे के सामने प्रकट कर देना, मिल-मालिकों द्वारा श्रमिक नेताओं का उत्पीड़न करना, राजनीतिक हत्यायें करवाना, झूठी गवाहियाँ देना एवं अस्पतालों में नवजात शिशुओं को बदल देना।

भारत में श्वेतवसन अपराध की समस्या (Problem of White Collar Crime in India)

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में श्वेतवसन अपराध की समस्या को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है –

1. व्यापार के क्षेत्र में- व्यापारी एवं पूँजीपति वर्ग अत्यधिक धन कमाने के लालच में अनेकों प्रकार के अपराध करते हैं। जैसे झूठा विज्ञापन देना, नकली वस्तुएँ बेचना, पेटेण्ट व ट्रेडमार्क तथा – कॉपीराइट का उल्लंघन करना, गलत रिपोर्ट देना, श्रम सम्बन्धी अनुचित कार्यवाही करना, आयकर की चोरी करना, पैसा छिपाने के लिए अपने आप को दिवालिया घोषित करना, कालाबाजारी, जमाखोरी एवं मिलावट आदि करना ।

2. शिक्षा के क्षेत्र में- शिक्षा के क्षेत्र में भी अनेकों श्वेतवसन अपराध होते हैं। कुछ अध्यापक कर्मचारी पैसे लेकर प्रश्नपत्रों के प्रश्न बता देते हैं और उनके अंक बढ़ा देते हैं। अनेको गैर-सरकारी शिक्षण संस्थाओं में अध्यापकों से अधिक वेतन में हस्ताक्षर कराकर कम वेतन दिया जाता है। अनेकों संस्थाओं द्वारा तो जाली प्रमाणपत्र भी जारी किए जाते हैं।

3. चिकित्सा क्षेत्र में- इस प्रकार के क्षेत्र में निम्न प्रकार के अपराध किए जाते है-

(i) दवा कम्पनियों से सांठ-गाँठ कर मरीजों को उनकी दवाएँ खरीदवाना,

(ii) मारपीट होने पर चोट लगने एवं बीमारी के झूठे प्रमाण-पत्र तैयार करना,

4. न्याय के क्षेत्र में- इस क्षेत्र में निम्न प्रकार के अपराध होते हैं –

(i) अपने पक्ष में निर्णय कराने के लिए न्यायाधीशों को रिश्वत देना,

(ii) वकील एवं सलाहकारों के द्वारा कानून की अस्पष्टता का लाभ उठाना,

5. सरकारी क्षेत्र में- अनेकों सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेकर ठेका दिलाने, जुआँ खेलन वैश्यावृत्ति करने, शराब पीने, किसी पद पर नियुक्ति करवाने एवं अन्य कानूनों का उल्लंघन करने आदि अपराधों में संलग्न होते हैं।

6. ठेके के क्षेत्र में- ठेकेदार अभियन्ताओं एवं ओवरसीयरों आदि को रिश्वत देकर बड़े-बड़े ठेक प्राप्त कर लेते हैं। ठेकेदार भवन निर्माण एवं सड़क निर्माण में सीमेण्ट के स्थान पर रेत की मिलावट करने हैं तथा सरकार से प्राप्त भवन या सड़क निर्माण सामग्री को चोरी करके बाजार में बेच लेते हैं।

श्वेतवसन अपराध के दुष्परिणाम (Evil Effects of White Collar Crime)

श्वेतवसन अपराध के दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं-

1. आर्थिक असन्तुलन- श्वेतवसन अपराध आर्थिक असन्तुलन उत्पन्न करता है। देश की पूँजी चन्द हाथों में पहुंच जाती है। अधिकांश लोग और अधिक निर्धन व साधनहीन हो जाते हैं। सफेदपोश अपराधी इतने अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं कि अर्थव्यवस्था सुधार की सरकारी योजनाओं को सफल नहीं होने देते।

2. राजख को हानि- श्वेतवसन अपराधियों द्वारा कमाया गया काला धन देश की प्रगति के काम नहीं आता। वे करों की चोरी करते हैं। बिना लिखा-पढ़ी का लाभ कमाते हैं। राजस्व को हानि पहुंचाते हैं।

3. देशद्रोह- श्वेतवसन अपराधी अपने लाभ को देश के हितों से अधिक महत्व देता है। संकटपूर्ण घड़ियों में भरपूर लाभ उठाता है। देश और समाज चाहे पतन के गर्त में जाए, उनको लाभ होना चाहिए। उनकी सुख-सुविधाओं में वृद्धि होनी चाहिए। आवश्यक वस्तुओं को बाजार से गायब कर कृत्रिम अभाव उत्पन्न करना इनका रोज का धन्धा है।

4. अनैतिकता को प्रोत्साहन- श्वेतवसन अपराधी स्वार्थपूर्ति के लिए अनैतिकता का सहारा लेते हैं। उन्हें उचित-अनुचित, वैध-अवैध से सरोकार नहीं। वह तो हर सम्भव उपाय से अंधाधुंध पैसा बटोरने में लगा रहता है।

5. सामाजिक विघटन- श्वेतवसन अपराधी अनेक समस्याओं को जन्म देते हैं तथा विविध समस्याओं के समाधान में बाधक होते हैं। मनमानी करने में सफल होते हैं। भ्रष्टाचार, अनैतिकता, चोर बाजारी, तस्करी, विश्वासघात, देशद्रोह के कार्यों को प्रोत्साहित करते हैं। सामान्यजन इनका अनुकरण करता है। इससे विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा मिलता है।

श्वेतवसन अपराध रोकने हेतु सुझाव (Suggestions to Prevent White Collar Crime)

श्वेतवसन अपराध रोकने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं-

1. श्वेतवसन अपराध के निरोध हेतु यह आवश्यक है कि राष्ट्रीय और प्रान्तीय सरकारें मिलकर इसके लिए व्यापक पैमाने पर प्रयत्न करें। श्वेतवसन अपराध निरोध समिति का गठन किया जाना चाहिए जो निरन्तर इस कार्य में लगी रहें।

2. राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के अपराधों की छानबीन के लिए जाँच आयोग की स्थापना की जानी चाहिए।

3. श्वेतवसन अपराधियों की काली करतूतों तथा काले कारनामों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सरकार को चाहिए कि एक शक्तिशाली गुप्तचर विभाग की स्थापना करे, जो गुप्त रूप से श्वेतवसन अपराध और अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करके सरकार के समक्ष प्रस्तुत करे।

4. सरकार द्वारा शक्तिशाली गुप्तचर विभाग की स्थापना की जाए।

5. श्वेतवसन अपराधियों के साथ न्यायालय द्वारा व्यवहार में लायी जाने वाली ढिलाई तथा शिथिलता पूर्णतः समाप्त की जानी चाहिए तथा न्यायालय के न्यायाधीश और दण्डाधिकारियों को चाहिए कि इनके प्रति भी वे वैसी मनोवृत्ति को रखे, जैसीकि किसी गम्भीर अपराधी के प्रति रखते हैं।

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shubham yadav

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