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स्वास्थ्य का अर्थ,परिभाषा,महत्त्व,विभिन्न संकल्पनाएँ तथा सापेक्षिक अर्थ

स्वास्थ्य का अर्थ
स्वास्थ्य का अर्थ

स्वास्थ्य का अर्थ 

स्वास्थ्य जीवन की एक मजबूत नींव है जिस पर सम्पूर्ण जीवन की खुशियाँ टिकी रहती हैं। अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए हमें कुछ प्रयास करने होते हैं तथा कुछ अच्छी आदतों का विकास करना होता है। स्वास्थ्य सभी के लिए एक महत्त्वपूर्ण विषय है। जीवन में स्वास्थ्य के महत्त्व को प्रकट करने वाली यह कहावत सभी ने सुनी होगी– “जान है जहान है”। जब व्यक्ति स्वस्थ होता है तो वह अपने कार्य तथा अपने जीवन में सर्वाधिक आनन्द प्राप्त करता है।

स्वास्थ्य शब्द के बारे में काफी भ्रम की स्थिति भी है, क्योंकि कुछ लोगों द्वारा इस पद को केवल रोग की अनुपस्थिति के संदर्भ में ही समझा जाता है। अंग्रेजी शब्द ‘हेल्थ’ के अनुसार खतरे या चोट से मुक्त होने की अवस्था ही स्वास्थ्य है। स्वास्थ्य के शब्दकोश अर्थ के अनुसार, “शारीरिक बीमारी या कष्ट से विशेष रूप से मुक्त शरीर, मन या आत्मा में स्वस्थ एवं सशक्त होने की स्थिति ही स्वास्थ है।” स्वास्थ्य को उस अवस्था के रूप में भी परिभाषित किया जाता है जिसमें शरीर की मानसिक एवं गतिविधियों का वातावरण साथ संतोषजनक तरीके से समायोजन होता है। इसमें मानव शरीर के सभी अंगों का सामान्य रूप से कार्य निष्पादन सम्मिलित है जिसके फलस्वरूप व्यक्ति में शारीरिक शक्ति एवं ओजस्व, मानसिक स्थिरता और जीवन के प्रति संतोष-रूपी गुणों का विकास होता है।

स्वास्थ्य की परिभाषा

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य की एक व्यापक परिभाषा दी है जिसमें शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक स्वास्थ्य जैसे महत्त्वपूर्ण आयामों को सम्मिलित किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने संविधान में स्वास्थ्य शब्द को वृहत् अर्थों में परिभाषित किया है— “स्वास्थ्य सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है, रोग या अशक्तता की अनुपस्थित मात्र नहीं है।”

जे.एफ. विलियम्स के शब्दों में, “स्वास्थ्य गुणवत्तापरक जीवन से सम्बन्धित है जो व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने एवं उत्तम सेवा प्रदान करने के लिए सक्षम बनाता है।”

मरे एवं मार्क्स के अनुसार, “स्वास्थ्य एक दैहिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक गुणों की अवस्था है, न कि केवल बीमारियों की अनुपस्थिति ।”

ओबर्टइफर के अनुसार, “स्वास्थ्य किसी भी व्यक्ति की वह स्थिति है जो उस व्यक्ति की सम्पूर्ण ऊर्जा या शक्तियों के कार्य करने के मापक को निश्चित करती है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य को व्यक्ति, परिवार और समुदाय के मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है और सभी देशों द्वारा स्वास्थ्य के संभावित उच्चतम स्तर की प्राप्ति को सबसे महत्त्वपूर्ण सामाजिक लक्ष्य के रूप में निर्धारित किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने संविधान में लिखा है-

“जाति, धर्म, राजनैतिक विचारधारा, आर्थिक या सामाजिक स्थितियों के भेदभाव के बिना स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्य स्तर को उपभोग करने का अधिकार मानव का एक मौलिक अधिकार है।”

स्वास्थ्य का महत्त्व

स्वास्थ्य सभी के लिए एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इस संदर्भ में एक प्रसिद्ध कहावत है– “जान है तो जहान है।” जब आप स्वस्थ होते हैं तो आप अपने कार्य और अपने जीवन में सर्वाधिक आनन्द प्राप्त करते हैं। यह एक मजबूत नींव है जिसमें आपकी प्रसन्नता छिपी है। अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए कुछ प्रयास करने होते हैं और कुछ अच्छी आदतें विकसित करनी होती हैं।

1. व्यक्ति का स्वस्थ होना अति आवश्यक है, क्योंकि व्यक्ति का स्वास्थ्य और समाज की स्वस्थता एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। कई रोग ऐसे हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को, जो समाज में आस पास रहता हो, हो जाते हैं तथा सारे समाज के स्वास्थ्य स्तर को गिरा देते हैं।

2. एक स्वस्थ समाज, स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाकर, नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकता है। इसलिए कहा गया है कि “स्वस्थ समाज में स्वस्थ व्यक्तियों का निवास होता है।” इस कारण व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य का बहुत महत्त्व है।

3. स्वास्थ्य शब्द मानव जीवन से सम्बन्धित है। स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन का पूर्ण आनन्द उठा सकता है। स्वस्थ व्यक्ति अपने लिए, परिवार के लिए एवं समाज के लिए एक धन के समान है। स्वास्थ्य शब्द का तात्पर्य है ‘स्व अवस्था’ अर्थात् मानव का सहज एवं स्वाभाविक अवस्था में रहना।

4. स्वास्थ्य अमूल्य रत्न है, यह प्रत्येक व्यक्ति जानता है, परन्तु कभी-कभी अज्ञानतावश एवं गलत आदतों के कारण वह अपने स्वास्थ्य को हानि पहुँचाता है। वास्तव में स्वास्थ्य, स्वास्थ्यकर आदतों तथा स्वास्थ्य नियमों के पालन का परिणाम होता है। बचपन से ही उन बातों की आदत बना लेनी चाहिए जो स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अति आवश्यक है।

5. यदि व्यक्ति स्वस्थ न हो तो कार्य दक्षता से नहीं कर सकता। स्वस्थ नागरिक समाज का स्तम्भ होता है, परन्तु एक अस्वस्थ व्यक्ति उस पर बोझ सा प्रतीत होता है।

स्वास्थ्य सम्बन्धी विभिन्न संकल्पनाएँ 

स्वास्थ्य के विषय में अलग-अलग विज्ञानियों द्वारा प्रदत्त अनेक अवधारणाएँ प्रचलित रही हैं। इसलिए स्वास्थ्य के सन्दर्भ में कोई भी सर्वमान्य संकल्पना वर्तमान तक उपलब्ध नहीं है, किन्तु वैज्ञानिक एवं अनुसंधान प्रवृत्ति के कारण स्वास्थ्य अपने व्यक्त विषय से थोड़ा हटकर विश्वस्तरीय सामाजिक लक्ष्य एवं मानव के सम्पूर्ण जीवन की गुणवत्ता के रूप में प्रतिष्ठित होता जा रहा है। स्वास्थ्य के संदर्भ में परिवर्तित होती कुछ संकल्पनाएँ इस प्रकार हैं

1. मानव कल्याणकारी संकल्पना- इस प्रकार की अवधारणा का मूलाधार विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी गई स्वास्थ की परिभाषा है। स्वास्थ्य के संदर्भ में इस विचारधारा का अभिप्राय जीवन गुणवत्ता में व्यापक रूप में सुधार करना है।

2. परस्पर सहयोग की संकल्पना- इसके अंतर्गत सम्पूर्ण संकल्पनाओं का मिश्रण होता है। यह स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों जैसे कि सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं पर्यावरणीय कारकों को मान्यता प्रदान करती है। यह प्राचीन संकल्पनाओं के साथ-साथ नयी संकल्पनाओं को भी स्वास्थ्य की सुरक्षा एवं संवर्द्धन के लिए अत्यावश्यक मानती है।

3. पारिस्थितिक संकल्पना- पारिस्थितिक संकल्पना के अन्तर्गत मानव एवं पर्यावरण के मध्य एक गतिशील संतुलन की परिकल्पना की गई है और रोग को मानव एवं पर्यावरण के मध्य उत्पन्न कुसमायोजन का मुख्य कारण माना गया है। इस तरह की संकल्पना के अनुसार स्वास्थ्य का सीधा सम्बन्ध मानव एवं पर्यावरण का पूर्ण न होना माना गया है। इस पर अथक् अध्ययनों के उपरान्त भी यह सिद्ध नहीं हो सका है कि केवल पर्यावरण के प्रति समंजन में वृद्धि के फलस्वरूप ही स्वास्थ्य के सम्पूर्ण लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

4. मनो-सामाजिक संकल्पना – सामाजिक वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि केवल स्वास्थ्य ही जैव चिकित्सीय विषय नहीं है, वरन् समाज मनोविज्ञान, संस्कृति, आर्थिक एवं राजनैतिक कारकों के द्वारा भी मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इसलिए इस संकल्पना में स्वास्थ्य को सामाजिक एवं जैविक विषय के रूप में माना गया है।

स्वास्थ्य का सापेक्षिक अर्थ

स्वास्थ्य का विभिन्न व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अर्थ होता है जिसका विवरण इस प्रकार है-

1. शरीर रचना विज्ञानी के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य सामान्य शारीरिक संरचनाओं की पुष्टि है।

2. शरीर क्रिया विज्ञानी के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य शरीर का सामान्य रूप से कार्य निष्पादन करना है।

3. जैव रसायनशास्त्री के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य शरीर में जैव रासायनिक स्तरों का सामान्य स्तर है।

4. रोग विज्ञानी के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य सामान्य कोशिकीय संघटन से है।

5. आनुवंशिकी विज्ञानी के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य आनुवंशिकी क्षमता की पूर्ण अनुभूति है।

6. मनोचिकित्सक के लिए- स्वास्थ्य का तात्पर्य अच्छी तरह से समायोजित और संतुलित व्यक्तित्व से है।

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shubham yadav

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