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अंक स्तरीकरण प्रणाली | Grading System in Hindi

अंक स्तरीकरण प्रणाली
अंक स्तरीकरण प्रणाली

अंक स्तरीकरण प्रणाली (Grading System)

यादृच्छिकरण अंक मापन की प्रक्रिया के अनन्तर में भी मापन में कुछ त्रुटियाँ रह ही जाती हैं जिन्हें कुछ सीमा तक कम करने के लिए प्राप्तांकों का उपयुक्त वर्ग-अन्तराल या स्तर में विभाजित करना आवश्यक हो जाता । प्रत्येक वर्ग-अन्तराल (Grade) में कुछ क्रमिक प्राप्तांक में रहते हैं।

किन्तु प्राप्तांक का यह संप्रत्यय कि प्राप्तांक की विश्वसनीयता त्रुटियों की सीमा पर अवलम्बित रहती है, इस बात को प्रगट करता है कि वास्तविक प्राप्तांक (True Score) मूल प्राप्तांक से भिन्न भी हो सकता है। अतएव 59 एवं 60 प्राप्तांक या 34 या 35 प्राप्तांक में स्पष्टतः अन्तर स्थापित कर पाना अत्यन्त कठिन है चूँकि त्रुटि-चर (Error Variance) की कल्पना से 59 प्राप्तांक भिन्न-भिन्न परीक्षक द्वारा अथवा परीक्षक-गत विचलन द्वारा 59 से कम या अधिक भी हो सकता है। इस प्रकार मूल प्राप्तांक त्रुटि-चर के प्रभाव के परिणामस्वरूप एक-दूसरे पर आच्छादित होते रहते हैं और अपने वर्तमान अस्तित्व को खो सकते हैं। यही कारण है कि वास्तविक प्राप्तांक की अज्ञानता के परिणामस्वरूप परिस्थितिजन्य प्रभावों, मूल प्राप्तांकों का स्थानापन्न सम्भावित रहता है। इस प्रकार अंकन (Marking) को केवल अंक-मापन (Scaling) से वरन् अंक स्तरीकरण (Grading) के साथ सम्मिलित किया जाता है। बैरो का अंकीय-अंक स्तर जो 1 से 9 तक विस्तृत है, दांडेकर (1978) के अंक के प्रसामान्य वितरण के संप्रत्यय पर आधारित है। इसी प्रकार हिल (1971) के द्वारा सुझाए गए नौ अक्षरीय अंक स्तर बैरो (1971) के नौ अंकीय या अक्षरीय अंक स्तर (Grades) का प्रयोग किया जाता है। अंक स्तर के प्रयोग से विशेषतः उन छात्रों को लाभ पहुँचता है, जो दो श्रेणी के किनारे पर प्रस्थित रह हैं। इस प्रकार मूल प्राप्तांक को अर्थयुक्त बनाने हेतु उसे किसी मानक प्राप्तांक के मानक मध्यमान एवं मानक विचलन का प्रयोग कर उसका मानकीकरण (Standardization) कर मानक उपलब्धि परिवर्तित करना चाहिए। इस प्रकार मानक प्राप्तांकों में अंक मापन (Scaling) प्रक्रिया द्वारा परिवर्तित करने के अनन्तर उसे उपयुक्त अंक स्तर (Grade) में वर्गीकृत कर उसे अर्थयुक्त बनाना कहीं अधिक श्रेयस्कर है। इस पद्धति से एक ओर अनेक त्रुटियों का निराकरण भी हो जाता है, साथ-ही-साथ मानकीकृत मानव प्राप्तांक के आधार पर उसकी अर्थयुक्त विवेचना भी की जा सकती है। अंक-मापन (Scaling) एवं अंक-स्तरण (Grading) की प्रक्रिया के भी मूल दूर प्राप्तांक का न केवल मानकीकरण हो जाता है बल्कि आच्छादित प्राप्तांक की समस्या हो जाती है और एक ठोस, विश्वसनीय आधार पर मानक प्राप्तांक का वर्गगत (Within the Grade) विवेचन अंक स्तरण (Grading) के आधार पर किया जा सकता है जो कहीं अधिक अर्थयुक्त एवं वैध है। दांडेकर के द्वारा प्रयुक्त प्राप्तांक को अंक-स्तरण में परिवर्तन के सारांश निम्न हैं-

अंकीय वर्गीकरण

अंकीय वर्गीकरण

अंकीय वर्गीकरण

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने निम्न अंक-स्तरण (Grading) पद्धति को प्रतिपादित किया। सामान्यतः शैक्षिक उपलब्धि की अर्थयुक्त विवेचना हेतु निम्न अंकीय या अक्षरीय अंक स्तरण (Number or letter grading) का प्रयोग किया जा सकता है-

समानता स्तर

समानता स्तर

समानता स्तर

यद्यपि विभिन्न प्रकार के अंक-स्तरण (Grading) पद्धति प्रस्तावित किये गये हैं, परन्तु सरलीकरण की दृष्टि से पाँच बिन्दु मापनी, सात बिन्दु मापनी, नौ बिन्दु मापनी या ग्यारह बिन्दु मापनी, एक सौ बिन्दु मापनी का प्रयोग किया जाता है; किन्तु मापनी जितनी विस्तृत होती है, परीक्षक को उत्तर-पुस्तिकाओं के जाँचने में एवं अधिक-से-अधिक विश्वसनीय अंक प्रदान करने में उतनी ही अधिक विभेदन शक्ति (Discrimination Power) की आवश्यकता होती है। यद्यपि दो परीक्षार्थी किसी परीक्षा में एक-सा अंक प्राप्त किये या दोनों को शून्य अंक प्राप्त हुआ, फिर भी दोनों परीक्षार्थियों द्वारा अर्जित प्राप्तांक यद्यपि गणित की दृष्टि से समान प्रतीत होता है किन्तु मनोवैज्ञानिक दृष्टि से वे समान नहीं हो सकेंगे। उनमें से एक शून्य वास्तविक शून्य (True zero) हो सकता है परन्तु दूसरा शून्य प्रात्यक्षिक शून्य (Apparent zero) हो सकता है। ऐसा छात्र जिसने कभी उस विषय-वस्तु को नहीं पढ़ा है, उसे शून्य अंक प्राप्त कर लेने पर वास्तविक शून्य की संज्ञा दी जा सकती है, परन्तु जिस छात्र ने सम्पूर्ण वर्ष पढ़ाई की है और इसके बावजूद भी शून्य अंक अर्जित किया है तो वह प्रात्यक्षिक शून्य ही कहलाएगा। इस प्रकार दो छात्रों द्वारा समान प्राप्तांक भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करते हैं। अंकन अंक-मापन एवं अंक-स्तरण की प्रक्रिया जो उपरोक्त दी गई है उससे परीक्षा की विश्वसनीयता कुछ सीमा तक अवश्य प्रस्थापित होती है।

अंक स्तरीकरण या ग्रेड प्रविधि का प्रयोग (Use of Grade System)

ग्रेड कई उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं-

(1) ग्रेड का कार्य प्रशासनिक होता है। उदाहरण के लिए, ग्रेड नौकरियों के लिए एक स्थायी रिकार्ड होते हैं। इनके आधार पर कॉलेज में प्रवेश का भी निर्णय किया जा सकता है। वह कक्षा उन्नति, स्नातक स्तर के निर्णय इत्यादि के भी आधार होते हैं।

(2) ग्रेड का निर्देशन कार्य भी होता है। वह विद्यार्थी को इस बात से सूचित कर देते हैं कि क्या कलाओं, अभिवृत्तियों एवं ज्ञान को प्राप्त करने की उसे आवश्यकता है विद्यार्थी को यह निर्देश देने में भी किया जा सकता है कि भविष्य में किस व्यवसाय में उसे सफलता मिल सकती है इनका उपयोग

(3) ग्रेड का कार्य अभिभावकों एवं दूसरे शिक्षकों को सूचना देने का भी है।

(4) ग्रेड का कार्य कक्षा को अनुप्रेरणा देने का भी है। यह पुरस्कार अथवा दण्ड के रूप में भी समझे जा सकते हैं।

अंक स्तरीकरण अथवा ग्रेड प्रणाली का महत्त्व (Importance of Grading System)

ग्रेड प्रणाली के मुख्य लाभों को निम्नलिखित ढंग से व्यक्त किया जा सकता है-

1. विभिन्न परीक्षा संस्थाओं या विश्वविद्यालयों के द्वारा घोषित छात्रों के परिणामों की तुलना करने की दृष्टि से मूल्यांकन की ग्रेड प्रणाली अत्यधिक उपयोगी है। विभिन्न संस्थाओं या विश्वविद्यालयों का अंकन स्तर भिन्न-भिन्न होने पर प्राप्तांकों के आधार पर परीक्षार्थियों की तुलना करना तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता है। ग्रेड प्रणाली ऐसी स्थिति में एक उपयोगी साधन का कार्य कर सकती है।

2. ग्रेड प्रणाली की सहायता से छात्रों का मूल्यांकन अधिक विश्वसनीय होता है। अतः ग्रेड प्रणाली का प्रयोग परीक्षा की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।

3. ग्रेड प्रणाली विभिन्न विषयों तथा संकायों में अध्ययनरत छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि की तुलना करने के लिए एक उभयनिष्ठ पैमाने का कार्य कर सकती है।

4. छात्रों की अभिरुचि तथा योग्यता के आधार पर भावी पाठ्यक्रम में चयन करने की दृष्टि से ग्रेड प्रणाली अधिक उपयुक्त तथा वैज्ञानिक है।

5. ग्रेड प्रणाली को अपनाये जाने पर एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थानान्तरण करते समय होने वाली कठिनाइयाँ कम हो सकती हैं, जिसमें अन्तर्क्षेत्रीय स्थानान्तरण में सुविधा हो सकेगी।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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