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पीयर रेटिंग किसे कहते हैं? (Peer Rating in Hindi)
पीयर रेटिंग का तात्पर्य है कि किसी अध्यापक के गुणों, योग्यताओं, क्षमताओं, शिक्षण कला तथा उसके व्यवहार का साथी अध्यापकों द्वारा आँकना तथा क्रमबद्ध करना। एक संस्था में अनेक अध्यापक होते हैं वे लगातार साथ-साथ कार्य करते हैं। वे अपने साथी अध्यापक को पूर्ण रूप से समझते हैं। आँकने वाले अध्यापक उसी संस्था के तथा अन्य संस्थाओं के भी हो सकते हैं। ये अध्यापक, अध्यापक विशेष के बारे में अपने विचार देते हैं। वे अध्यापक यह अच्छी तरह मानते हैं कि किसी अध्यापक विशेष में शिक्षण कौशल सहयोगिता, प्रयत्नशील शिक्षण के प्रति लगाव छात्रों से स्नेह तथा उनकी उन्नति की कामना किस सीमा तक है।
किसी अध्यापक का आंकलन करने की यह विधि काफी अच्छी है। क्योंकि साथी अध्यापक शिक्षा-अधिगम प्रक्रिया से सभी पक्षों से परिचित होते हैं तथा एक विद्यालय में कार्य करने से उन्हें अपने साथियों के गुण अवगुणों का भी ज्ञान होता है। परन्तु साथी अध्यापकों द्वारा किसी अध्यापक का आंकलन विश्वसनीय तथा अविश्वसीनय दोनों ही हो सकता है। इसका वस्तुनिष्ठ होना बड़ा कठिन है।
पीयर रेटिंग के लाभ (Advantages of Peer Rating )
(i) क्योंकि सभी शिक्षक एक साथ कार्य करते हैं अतः वे एक-दूसरे को भली-भाँति जानते है, अत: उनकी जानकारी के आधार पर किसी शिक्षक को योग्य व अयोग्य ठहराया जा सकता है।
(ii) साथी अध्यापकों को अपने विषय की उपर्युक्त जानकारी होती है वे विषय की बारीकियों को भली-भाँति जानते हैं।
(iii) साथी अध्यापक के आंकलन से किसी शिक्षक का समाज में स्तर ऊँचा उठता है।
(iv) ऐसे अध्यापक को समाज में मान व सम्मान मिलता है।
(v) ऐसे अध्यापक अपनी उन्नति का और अधिक प्रयास करता है।
पीयर रेटिंग की हानियाँ (Disadvantages of Peer Rating)
(i) ऐसे रेटिंग में आत्मनिष्ठता (Sujectivity) होती है। क्योंकि योग्य अध्यापक से उसके साथी ईष्या करते हैं।
(ii) इस प्रकार के रेटिंग में वस्तुनिष्ठता नहीं होती है।
(iii) इस विधि को अपनाने के लिए बहुत अधिक परीक्षण की आवश्यकता होती है।
(iv) पीयर रेटिंग के लिए सभी शिक्षक खुले मन व विचारों के होने चाहिए। संकीर्णता बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।
(v) वर्त्तमान समय में पीयर रेटिंग का कोई स्थान नहीं है।
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