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चिंतन कौशल क्या है? | Thinking Skills in Hindi

चिंतन कौशल क्या है?
चिंतन कौशल क्या है?

चिंतन कौशल क्या है? (Thinking Skills in Hindi)

गिलफोर्ड (Guilford) ने चिन्तन सम्बन्धी विचारों का वर्णन करते हुए समस्या हल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत किया है। आपने पाँच बौद्धिक प्रक्रियाओं को सुझाया है। जो निम्न प्रकार हैं-

1. संज्ञान (Cognitive),

2. स्मृति (Memory),

3. अभिसरण चिन्तन (Convergent Thinking),

4. अपसरण चिन्तन (Divergent Thinking) और

5. मूल्यांकन (Evaluation)

1. संज्ञान (Cognition)- संज्ञान से तात्पर्य खोज पुनः खोज अथवा पहचान से है।

2. स्मृति (Memory)- बोध की गई सामग्री का भण्डारण (Storage) से उपयोग के लिए पुरुत्पादन है।

3. अभिसरण चिन्तन (Convergent Thinking) – जब हमें उपलब्ध सूचना एक सही उत्तर की ओर ले जाती है या उसे उत्तर की ओर अग्रसर करती है जो सर्वोत्तम हो या परम्परागत हो तो हम अभिसरण चिन्तन का प्रयोग करते हैं।

जब हम ऐसी समस्या का जिसका एक ही सही हल या उत्तर हो सकता है और अभ्यास द्वारा उस उत्तर को खोजते हैं तो इस अभिसरण को योग्यता कहते हैं। इसमें तीन प्रमुख योग्यताएँ सन्निहित होती हैं- (i) धारा प्रवाहिता (Fluency), (ii) लचीलापन (Flexibility), और (iii) मौलिकता ( Originility)

4. अपसरण चिन्तन (Deivergent Thinking)– अपसरण चिन्तन में हम विभिन्न दिशाओं में विचार करते हैं कभी कुछ खोज करते हैं और कभी विविधता की खोज करते हैं। एक नये अथवा जो आमतौर से स्वीकृत नहीं है, ऐसे उत्तर को खोज निकालने को गिलफोर्ड अपसरण चिन्तन कहते हैं अन्य लोग इसे सृजनात्मक चिन्तन कल्पनात्मक या मौलिक चिन्तन भी कहते हैं।

5. मूल्यांकन (Evaluation) — इसमें हम ऐसे नियमों पर पहुँचते हैं, जैसे- अच्छा, सही उपर्युक्त अथवा हम क्या जानते हैं, या स्मरण रखते हैं एवं उत्पादक चिन्तन में क्या करते हैं?

तर्क और समस्या का हल (Reasoning and Problem Solving) — तर्क, युक्तिसंगत तथा नियमित चिन्तन का एक रूप है जिसकी सामग्री पूर्व के पुनः स्मरण किए हुए अनुभव हैं। अधिगम और तर्क में परस्पर गहरा सम्बन्ध है, क्योंकि दोनों ही समस्या को हल करने के साधन हैं ।

तर्क शक्ति क्रमशः धीरे-धीरे विकसित होती है। इसका प्रादुर्भाव अचानक नहीं होता है बालक स्कूल जाने की अवस्था से पहले की अवस्था में समस्याओं को सुलझा सकने की क्षमता से युक्त हो जाते हैं, परंतु उनके और वयस्कों के समस्या समाधान में यह अंतर होता है कि वयस्क बालकों की अपेक्षा शीघ्रता से समस्या हल कर सकते हैं। अतः दोनों के समस्या समाधान में केवल मात्र का अंतर होता है न कि ढंग का।

समस्या हल के चरण ( Steps in Problem Solving) — डीवी (Deway) ने तर्कपूर्ण चिन्तन के निम्नांकित चरण सुझाएँ हैं—

1. कठिनाई का अनुभव करना (A Felt Difficulty ) — समस्या से परिचित होना।

2. कठिनाई का निर्धारण करना (Locate and Define Difficulty) — समस्या को समझना ।

3. सूचना को ढूँढ़ना व्यवस्थित करना तथा उसका मूल्यांकन निर्धारित करना और प्रदत्तों का वर्गीकरण करना (Locate, Evaluation and Organize Information Clasifying Data)

4. उपकल्पना का मूल्य निर्धारण करना (Evaluation of Hypothesis)

5. हल को प्रयोग में लाना (Apply the Solution)

1. समस्या से परिचित होना- इस अवस्था पर समस्या हल करने वाला सर्वप्रथम समस्या से परिचित होता है उसका लक्ष्य अवस्था के सम्बन्ध में सोचता है । वह समस्या हल करने में आने वाली कठिनाइयों और निर्देशों के सम्बन्ध में विचार करता है । यह दीर्घकालीन स्मृति से प्रासंगिक सूचना का प्रतिउत्पादन (retrieve) करता है या कार्य के सम्बन्ध में अतिरिक्त सूचना संकलित करना।

2. समस्या को समझना – समस्या से परिचित हो जाने पर उसे भली प्रकार समझना चाहिए। उसे अन्य समस्याओं से विलग कर उसकी व्याख्या भली प्रकार करनी चाहिए। समस्या के महत्त्वपूर्ण अवयवों के विषय में जानकारी रखना सफल चिन्तन की कुंजी है। समस्या को भली प्रकार समझने से उसे हल करने में सहायता मिलती है।

3. सूचना को ढूँढ़ना व्यवस्थित करना तथा उसकी मूल्यांकन निर्धारित करना- समस्या का सम्भावित हल प्राप्त करने के लिए कभी-कभी व्यक्ति के पास पर्याप्त सूचना का होना आवश्यक होता है। अतः यदि पर्याप्त सूचना नहीं है तो उसे समय तक प्राप्त करने की चेष्टा करते रहना चाहिए जब तक वह प्राप्त न हो जाए। पर्याप्त सूचना प्राप्त होने पर उसका मूल्य-निर्धारण और उसे व्यवस्थित करना भी आवश्यक है।

4. उपकल्पना का मूल्य-निर्धारण करना- उपकल्पना के मूल्य का निर्धारण करते समय तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए। प्रथम, क्या प्राप्त निष्कर्ष द्वारा समस्या का पूर्ण हल प्राप्त हो जाता है। द्वितीय क्या प्राप्त हल पूर्व में स्थापित तथ्यों और सिद्धान्तों के अनुकूल है? तृतीय उन नकारात्मक कारकों को दृष्टि में रखना चाहिए जिनके कारण निष्कर्ष पर सन्देह हो सकता है।

5. हल को प्रयोग में लाना- समस्या का हल करने मात्र से उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती वरन् प्राप्त हल का प्रयोग करने ही समस्या के हल का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण होता है। उदाहरणार्थ- यदि समस्या है कि बालकों को वर्णमाला कैसे सरलता से याद कराई जा सकती है ? यदि इस समस्या का हल यह है कि हर अक्षर को उसके चित्र के साथ प्रस्तुत किया जाए तो वह वर्णमाला सरलता से स्मरण हो जाएगी। जैसे—’क’ के साथ कबूतर का चित्र।

निर्णय लेना (Decision Making) – एक बार समस्या हल के उपर्युक्त की पूर्ति हो जाने पर और यह स्पष्ट हो जाने पर कि कारक (Factors) किस प्रकार एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं और चित्रण द्वारा जटिलता का सरलीकरण हो जाता है तब निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रारम्भ होता है । निर्णय कैसे लिया जाए हमारा निर्णय कितना अच्छा है ? जैसे प्रश्न निर्णय लेते समय उठते है। निर्णय लेने में उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर और उनकी गुणवत्ता का आंकलन अनेक प्रारूपों (Models) के माध्यम से प्राप्त होता है। इनका उल्लेख निम्नांकित पंक्तियों में किया गया है-

(i) ब्रूम-येटन जागे (Vroom-Yetton-Jago) का निर्णय मॉडल जो यह बताता है कि निर्णय कैसे लिया जाए।

(ii) केपनर ट्रेगा मेट्रिक्स (Kepne Tregoe Matrix ) — जोखिम आंकलन निर्णय।

(iii) औंडा लूप्स (OODA LOOPS) — निर्णय चक्र को समझने का प्रारूप।

(iv) मुख्य निर्णय प्रक्रिया को पहचानना (Reconition Primed Decision (RPD) Process) — विकल्पों से चयन करना।

(v) निर्णय मेट्रिक्स विश्लेषण (Decision Matrix Analysis) – अनेक कारकों में सन्तुलन बनाना और चयन करना।

(vi) युग्म तुलना विश्लेषण (Paired Comparison Analysis) — सापेक्षिक महत्त्व की गणना करना।

(vii) विश्लेषक पदानुक्रम प्रक्रिया (Anlytic hierarchy Process) – अनेक आत्मगत कारकों के महत्त्व को आंकना।

(viii) पेरेटो विश्लेषण (Pareto Analysis) — क्या परिवर्तन करना है का निर्णय करना।

(ix) भावी परिणाम (Gutures Wheel)—परिवर्तन के भावी परिणाम।

(x) यह निर्णय लेना कि इसी पर आगे बढ़ना है।

(xi) अन्त में निर्णय के लाभ-हानि पर विचार करना। आंकलन के लिए जो प्रश्न दिए जाए वह इस प्रकार के होने चाहिए जैसे, 9 बिन्दुओं को इस प्रकार व्यवस्थित करो कि वे 3 पंक्तियाँ बनाएँ और दृश्य पंक्ति में 3 बिन्दु हों। अब बिना पेन्सिल उठाए 4 सीधी रेखाएँ खींची जो प्रत्येक बिन्दु से सम्बन्धित हो।

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shubham yadav

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