समाजशास्‍त्र / Sociology

द्वि-विमा या दो-विस्तार वाले चित्र | द्वि-विमा या दो विस्तार वाले चित्रों के प्रकार

द्वि-विमा या दो-विस्तार वाले चित्रों से आप क्या समझते हैं ?

द्वि-विमा या दो-विस्तार वाले चित्र- एक-विमा चित्रों में श्रेणियों की तुलना केवल लम्बाई या चौड़ाई द्वारा ही होती है जबकि इन चित्रों में चौड़ाई लगभग सभी दण्डों में बराबर होती है अतः केवल एक ही दिशा में तुलना करनी होती है। मोटाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। मोटाई का प्रयोग केवल चित्रों को आकर्षक बनाने के लिए। किया जाता है। लेकिन द्वि-विमा चित्रों में मूल्यों का चित्रण करने में लम्बाई और चौड़ाई का प्रयोग किया जाता है। अतः इस प्रकार के चित्रों में चौड़ाई और मोटाई में भिन्नता पायी जाती है। इन चित्रों में क्षेत्रफल पदों के मूल्यों के अनुपात में होते हैं। इसीलिए इन्हें क्षेत्रफल अथवा धरातल चित्र भी कहा जाता है।

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द्वि-विमा या दो विस्तार वाले चित्रों के प्रकार (Kinds of Two Dimensional Diagrams)

ये निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-

1- वर्ग-चित्र (Square Diagram)

जब दो काफी अन्तर वाली मात्राओं की तुलना करना होता है तो दण्ड चित्र उपयुक्त नहीं होता है। इस स्थिति में लिया गया कोई भी मापदण्ड उपयुक्त न होगा क्योंकि एक दण्ड बहुत बड़ा और दूसरा बहुत छोटा बनेगा। छोटा दण्ड इतना छोटा होगा कि वह स्पष्ट नहीं हो पायेगा और बड़ा दण्ड इतना अधिक बड़ा होगा कि उसे कागज पर प्रदर्शित करना कठिन हो जायेगा। इस स्थिति में उन संख्याओं का वर्गमूल निकालकर उन्हें भुजा बनाकर उसी अनुपात में उन पर वर्ग बनाते हैं।

उदाहरणार्थ- माना दो संख्याएँ 100 और 16 को चित्रों द्वारा प्रदर्शित करना है तो सर्वप्रथम इनका वर्गमूल निकाला जायेगा जो क्रमशः 10 व 4 होगा, अर्थात् इनके वर्गों की भुजाओं में 2.5 सेमी. व 1 सेमी. का अनुपात होगा-

2- वृत्त-चित्र (Circular or Pie-Diagram)

वृत्त चित्रों का प्रयोग समंकों का तुलनात्मक अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इन चित्रों का प्रयोग उन परिस्थितियों में किया जाता है जिन परिस्थितियों में वर्ग-चित्रों का प्रयोग करना उपयुक्त नहीं होता है। वृत्त का क्षेत्रफल अर्द्धव्यास पर निर्भर करता है, अतः वर्गों की भुजाओं के ही अनुपात से अर्द्धव्यास लेकर वर्गों के स्थान पर वृत्त भी बनाये जा सकते हैं। यहाँ पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सभी वृत्तों के केन्द्र एक सरल क्षैतिज रेखा पर होने चाहिए। इन चित्रों को बनाना आसान है तथा ये आकर्षक भी लगते हैं। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा समंकों के विभाजन को प्रदर्शित किया जा सकता है। ये चित्र निम्नलिखित दो प्रकार के हो सकते हैं –

(a) साधारण वृत्त-चित्र

(b) अन्तर्विभक्त वृत्त-चित्र

3- आयत-चित्र (Rectangular Diagram)

 राशियों की तुलना आयातों के क्षेत्रफल द्वारा भी की जाती है। लेकिन इनका प्रयोग तभी होता है जब समंकों के दो गुणों को साथ-साथ प्रदर्शित करना होता है। प्रायः पारिवारिक आय-व्यय व्यक्त करने के लिए इन्हीं चित्रों का प्रयोग किया जाता है। ये चित्र निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं –

(a) साधारण आयत-चित्र, (b) विभाजित आयत-चित्र, (c) प्रतिशत अन्तर्विभक्त आयत-चित्र।

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shubham yadav

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