समाजशास्‍त्र / Sociology

सांख्यिकी की सीमाएं | Statistic limits in Hindi

सांख्यिकी की सीमाएं
सांख्यिकी की सीमाएं

सांख्यिकी की सीमाएं (Statistic limits in Hindi)

सामाजिक विज्ञानों में सांख्यिकीय का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यह इसके महत्व का सूचक है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएँ हैं। सांख्यिकी की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. केवल समूहों का अध्ययन (Study of aggregates)

सांख्यिकी केवल समूहों की विशेषताएँ व्यक्त करने में सहायक है। इसके द्वारा हम व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन नहीं कर सकते। किंग के अनुसार सांख्यिकी अपने विषय की प्रकृति के कारण ही व्यक्तिगत इकाइयों पर विचार नहीं कर सकती और न कभी करेगी। यदि इकाइयों महत्त्वपूर्ण भी हैं तो भी इनके अध्ययन के लिये अन्य साधन ढूंढने होगे।

2. संदर्भहीन सांख्यिकीय परिणाम भ्रामक (Statistical Results are Misleading without Proper Reference and Context)

सांख्यिकी का दूसरा प्रमुख दोष यह है कि इसके परिणामों को ठीक प्रकार से समझने के लिये परिस्थितियों के सन्दर्भ का ज्ञान होना जरूरी है। यदि संदर्भ स्पष्ट नहीं है तो निष्कर्ष अस्पष्ट एवं भ्रामक हो सकते हैं।

3. केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन (Study of Quantitative Aspects Only)

सांख्यिकी का एक अन्य दोष यह है कि इसका प्रयोग केवल उन्हीं परिस्थितियों में किया जा सकता है जिनमें समस्याओं के पहलुओं को संख्याओं या अंकों में व्यक्त किया जा सकता है। इसके द्वारा गुणों का अध्ययन नहीं किया जा सकता है।

4. आँकड़ों में सजातीयता (Homogeneous Data)

सांख्यिकी से केवल सजातीय तथ्यों, ऑकड़ों या सामग्री की तुलना ही की जा सकती है। यदि आँकड़ों में एकरूपता या सजातीयता नहीं है तो सांख्यिकी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

5. मापों एवं निष्कर्षों की परिशुद्धता की मात्रा (Extent of Accuracy in Results)

सांख्यिकी परिणाम केवल दीर्घकाल में औसत के रूप में ही सत्य होते हैं। सांख्यिकी के नियम सार्वभौमिक नहीं हैं।

6. दुरुपयोग (Misuse)

सांख्यिकी का प्रयोग केवल उन्हीं व्यक्तियों के लिये किया जा सकता है जिन्हें पर्याप्त ज्ञान एवं अनुभव है। जनसाधारण व्यक्तियों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। यूल एवं केण्डाल के शब्दों में, “अयोग्य व्यक्ति के हाथों में सांख्यिकी विधियों सबसे भयानक अस्त्र हैं।”

7. समस्या के अध्ययन का साधन मात्र ( Mean of Studying a Problem)

सांख्यिकी समस्या के अध्ययन के लिये केवल साधन प्रस्तुत करती है, उसके समाधान के बारे में इससे कुछ पता नहीं चलता। क्राक्सटन एवं काउडन के अनुसार यही नहीं माना जाना चाहिये कि सांख्यिकी विधि ही अनुसंधान में प्रयोग की जाने वाली एकमात्र विधि है और न ही यह समझना चाहिये कि प्रत्येक समस्या के समाधान का यही सर्वोत्तम हल है।

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shubham yadav

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