समाजशास्‍त्र / Sociology

सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ, गुण या लाभ, दोष अथवा सीमाएँ

सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ
सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ

सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Participant Observation)

सहभागी अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ- सहभागी अवलोकन के अन्तर्गत अवलोकनकर्ता जिन सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करने चाहता है वह समूह या समुदाय का निरीक्षण करने के लिए उनकी दैनिक क्रियाओं में भी भाग लेता है इस प्रकार समूह के लोग अवलोकनकर्ता को अपने परिवार का एक अंग समझ कर अपना लेते हैं। विभिन्न विद्वानों ने इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया है-

“जब अवलोकनकर्ता के हृदय की धड़कने समूह के अन्य व्यक्तियों के हृदयों की धड़कनों से मिल जाती हैं और वह बाहर से आया हुआ कोई अनजान व्यक्ति नहीं रह जाता है, तो यह समझना चाहिए कि उसने सहभागी अवलोकनकर्ता कहलाने का अधिकार प्राप्त कर लिया है।”-जॉन मेल

“सामान्यतः अनियन्त्रित अवलोकन का प्रयोग करने वाला सहभागी अवलोकनकर्ता उस समूह के जीवन में ही रहता है तथा भाग लेता है, जिसका कि वह अध्ययन कर रहा है।”-श्रीमती पी. वी. यंग

“सहभागी अवलोकन से अनुसन्धानकर्ता अध्ययन किए जाने वाले समूह का सदस्य बन जाता है। ऐसा करने के पीछे मूल भावना यह रहती है कि वह समूह की विशेषताओं को निकट से जान सके जो कि समूह के रहने पर ही सम्भव नहीं होती है।”– फोरकेस तथा रिचर 

“सहभागी अवलोकन का तात्पर्य एक ऐसी दशा से है जिसमें अवलोकनकर्ता वाले समूह की सभी सामान्य गतिविधियों में भी स्वयं भाग लेता है।”– पी. एच. मान

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सहभागी अवलोकन के गुण या लाभ (Merits or Advantages of Participant Observation)

सहभागी अवलोकन के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-

1. विस्तृत सूचनाएँ (Detailed Information) – अध्ययनकर्ता समूह की प्रत्येक गतिविधि में सक्रिय रूप से भाग लेता है और उसके बारे में विस्तृत सूचनाएँ संकलित कर सकता है। जीवन के प्रत्येक स्तर पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए ‘सहभागी अवलोकन अति महत्वपूर्ण है। इतनी विस्तृत सूचनाएँ अनुसूची, प्रश्नावली, साक्षात्कार एवं अन्य विधियों से ज्ञात नहीं की जा सकती हैं।

2. प्रत्यक्ष अध्ययन (Direct Study)- इस विधि के अन्तर्गत अवलोकनकर्ता द्वारा सामाजिक व्यवहारों का प्रत्यक्ष रूप से अध्ययन किया जाता है। अतः उसकी जानकारी अधिक विश्वसनीय एवं वैज्ञानिक होती है। अध्ययनकर्ता समूह में स्थायी रूप से रहकर लोगों के व्यवहारों, क्रियाकलापों एवं संस्कृति के बारे में प्रत्यक्षतः तथ्यों का सकलन करता है। इसके लिए वह लोगों से घनिष्ट सम्बन्ध भी स्थापित करता है।

3. सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन (Minute and Intensive Study) इस विधि के अन्तर्गत अवलोकनकर्ता समूह या समुदाय में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर समूह या समुदाय के सम्बन्ध सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन करता है। इस विधि की गहनता व सूक्ष्मता को व्यक्त करते हुए लिखा गया है कि “सक्रिय सहभागिता उन सूचना स्रोतों के द्वारा खोलती है जो अन्यथा बन्द ही रह सकते थे।”

4. वास्तविक व्यवहार का अध्ययन (Study of Actual Behavior) समूह य समुदाय के सभी अवलोकनकर्ता को अपना लेते हैं और वे उसके समक्ष एक अनजान की भाँति व्यवहार नहीं करते हैं, अतः इस विधि द्वारा लोगों के वास्तविक व्यवहार का अध्ययन किया जा सकता है। इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि –

“सामुदायिक जीवन में सहभागिता वास्तव में अवलोकनकर्ता की स्थिति में स्वाभाविकता को बढ़ाती है।”-जहोडा एवं कुक

सहभागी अवलोकन के दोष अथवा सीमाएँ (Merits or Limitations of Participant Observation)

सहभागी अवलोकन के दोष अथवा सीमाएँ निम्नलिखित हैं

1. सहभागी अवलोकन में वैषयिकता का अभाव पाया जाता है।

2. इसमें पूर्ण सभागिता सम्भव नहीं है।

3. यह एक अत्यधिक खर्चीली पद्धति है।

4. इसमें अवलोकनकर्ता को अपनी भूमिका सामंजस्य बनाए रखने में काफी कठिनाई होती है।

5. इसमें अध्ययन की गति धीमी होती है।

6. इसमें आलेखन की समस्या भी पायी जाती है।

7. इसमें अवलोकनकर्ता से साधारण तथ्य छूट जाते हैं।

8. इसके द्वारा एक सीमित क्षेत्र का ही अध्ययन सम्भव है।

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shubham yadav

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