समाजशास्‍त्र / Sociology

अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ, प्रकार, विशेषताएँ तथा गुण

अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ
अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ

अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Observation)

अवलोकन का अर्थ एवं परिभाषाएँ- ‘अवलोकन’ शब्द का अंग्रेजी रूपान्तरण ‘Observation‘ है, जिसका अर्थ निरीक्षण करना, देखना प्रेक्षण करना व अवलोकन करना होता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जो घटनाएँ कार्य.. कारण अथवा पारस्परिक सम्बन्धों की जानकारी करने के लिए स्वाभाविक रूप से घटित होती हैं, उन्हें सूक्ष्म रूप से देखना ही अवलोकन कहलाता है। इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है –

“अवलोकन नेत्रों के द्वारा किया गया अध्ययन है, जिसका प्रयोग सामूहिक व्यवहार तथा जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ किसी सम्पूर्णता का निर्माण करने वाली पृथक-पृथक इकाइयों का सूक्ष्म निरीक्षण करने की एक पद्धति के रूप में किया जा सकता है।”- श्रीमती पी. वी. यंग

“ठोस अर्थ में अवलोकन में कानों तथा वाणी की अपेक्षा नेत्रों के प्रयोग की स्वतन्त्रता है।”- मोजर

“कारण व परिणाम तथा पारस्परिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में घटनाओं का परिशुद्ध रूप से निरीक्षण और उसी रूप में लेखन, जिस रूप में घटित हुई है।”- ऑक्सफोर्ड कन्साइज डिक्शनरी

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि अवलोकन प्राथमिक सामग्री संकलित करने की एक प्रत्यक्ष एवं महत्वपूर्ण विधि है। इसे अध्ययनकर्ता घटनाओं को देखकर, सुनकर एवं समझकर सम्बन्धित सामग्री का संकलन करता है।

अवलोकन के प्रकार (Types of Observation)

अवलोकन निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है –

1. अनियन्त्रित अवलोकन (Uncontrolled Observation )

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित तीन अवलोकनों को शामिल किया गया है –

(i) सहभागी अवलोकन,

(ii) असहभागी अवलोकन,

(iii) अर्द्ध सहभागी अवलोकन ।

2. नियन्त्रित अवलोकन (Controlled Observation)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित को शामिल किया गया है-

(i) घटना पर नियन्त्रण

(ii) अवलोकनकर्त्ता पर नियन्त्रण |

3. सामूहिक अवलोकन (Mass Observation )

जब अवलोकन का कार्य अवलोकनकर्ता के एक समूह द्वारा किया गया हो तो उसे सामूहिक अवलोकन कहा जाता है। इसमें अवलोकनकर्ता का समूह अलग-अलग रूप से किसी घटनाक्रम या सामूहिक व्यवहार का निरीक्षण करता है।

अवलोकन की विशेषताएँ (Characteristics of Observation)

अवलोकन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. प्राथमिक सामग्री का संकलन (Collection of Primary Data) – अवलोकन विधि के अन्तर्गत अवलोकनकर्ता स्वयं घटना स्थल पर जाकर प्राथमिक सामग्री का संकलन करता है, जिसके कारण वे अधिक विश्वसनीय होते हैं।

2. मानव इन्द्रियों का प्रयोग (Use of Human Sense) – इस विधि के अन्तर्गत मानव इन्द्रियों का पूर्ण प्रयोग किया जाता है। वह अपने कान व वाणी का प्रयोग करते हुए नेत्रों का प्रयोग भी विशेष रूप से करता है और नेत्रों के द्वारा घटनाओं का निरीक्षण करके उन्हें संकलित करने के उद्देश्य से नोट करता है।

3. प्रत्यक्ष अध्ययन (Direct Study) – इसके अन्तर्गत अवलोकनकर्ता घटनाओं का अध्ययन प्रत्यक्ष रूप से करता है और तथ्यों के संकलन करने के उद्देश्य द्वारा सम्बन्धित लोगों से प्रत्यक्ष सम्पर्क करता है।

4. सूक्ष्म, गहन एवं उद्देश्यपूर्ण अध्ययन (Minute, Deep and Purposeful Study) – इस विधि में अवलोकनकर्ता स्वयं घटना स्थल में अध्ययन उपस्थित करता है, अतः वह सूक्ष्म, गहन एवं उद्देश्यपूर्ण अध्ययन कर सकता है और केवल उन्हीं तथ्यों का संकलन करता है जिनका गहन अध्ययन किया जा चुका है।

5. निष्पक्षता (Impartiality) – इस विधि में अवलोकनकर्ता घटनाओं को स्वयं देखता है। और उनकी भली-भाँति जाँच करता है एवं उन्हें वैज्ञानिक कसौटी पर कसता है, अतः उसका निष्कर्ष निष्पक्ष एवं वैज्ञानिक होता है।

अवलोकन के गुण

अवलोकन पद्धति के गुणों को निम्नलिखित शीर्षकों के द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है

(1) सत्यापनशीलता– अवलोकन प्रविधि द्वारा प्राप्त सामग्री का सत्यापन भी सम्भव है। यदि अनुसन्धानकर्ता ने सामग्री को संग्रहित करते समय कोई भूल कर दी है, तो उसे पुनः अवलोकन करते समय लिखा जा सकता है जोकि अन्य दूसरी विधियों में सम्भव नहीं है।

(2) प्राथमिक एवं सरल विधि- इस पद्धति का सबसे बड़ा गुण इसकी सरलता है। मानव का यह स्वभाव है कि वह विभिन्न घटनाओं को देखता है और उन्हें समझने की चेष्टा करता है। इतना ही नहीं यह विधि सबसे अधिक प्राथमिक भी है। इस विधि को अपनाने में अधिक ज्ञान और कुशलता की। आवश्यकता नहीं पड़ती।

(3) विश्वसनीयता- इस पद्धति द्वारा प्राप्त सूचनाएँ और सामग्री अन्य पद्धतियों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होती हैं। साक्षात्कार और प्रश्नावली में अनुसन्धानकर्ता को पूर्णतया सूचनादाता पर निर्भर रहना पड़ता है, किन्तु इस पद्धति में उसे स्वयं सब कुछ देखना पड़ता है और उसे लिखना पड़ता है। इसलिए इस विधि के द्वारा जो तथ्य प्राप्त होते हैं, वे अधिक विश्वसनीय होते हैं।

(4) निरन्तर उपयोग की सुविधा- यह वह विधि है जिसका निरन्तर उपयोग करना सम्भव है। – व्यक्ति जो समाज की विभिन्न घटनाओं को निरन्तर देखते रहते हैं और बहुमूल्य सूचनाओं को एकत्रित करते हैं।

(5) सर्वाधिक प्रचलित विधि- यह वह पद्धति है जिसका प्रयोग भौतिक विज्ञानों तथा सामाजिक विज्ञानों तथा सामाजिक विज्ञानों दोनों में ही काफी होता है। भौतिक विज्ञानों में तो इसका महत्व सामाजिक विज्ञानों से कहीं अधिक है क्योंकि वहाँ तो प्रत्येक यह एक परिमार्जित प्रविधि है।

(6) प्राक्कल्पना के निर्माण में सहायक- प्राक्कल्पनाओं के निर्माण में भी अवलोकन पद्धति अत्यधिक सहायक होती है। अवलोकनकर्ता अनेक घटनाओं का अवलोकन करता रहता है और इस प्रकार उसका अनुभव सुदृढ़ होता जाता है। इस प्रकार अनुभवों का स्रोत प्राक्कल्पना के निर्माण का मुख्य साधन

उपरोक्त गुणों के आधार पर कहा जा सकता है अवलोकन विधि का सामाजिक अनुसन्धान में अत्यधिक महत्व है। विशेषकर समाजशास्त्रीय अध्ययनों के क्षेत्र में अवलोकन विधि से अधिक सरल, विश्वसनीय, निरन्तर उपयोगी एवं सत्यापन की सुविधा प्रदान करने वाली अन्य दूसरी विधि नहीं है। यही इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि व सबसे बड़ा गुण है।

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shubham yadav

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