समाजशास्‍त्र / Sociology

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान | अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान के गुण | अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के दोष

प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसन्धान
प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसन्धान

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान (Indirect Oral Investigation)

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान- जब अनुसन्धान का क्षेत्र काफी विस्तृत होता है तब अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान विधि अपनायी जाती है। इस विधि में ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं जिन्हें उस विषय की अच्छी जानकारी हो । सरकार द्वारा नियुक्त जाँच आयोग या समितियाँ किसी विषय की जानकारी के लिए इस विधि का ही प्रयोग करती हैं। इस रीति में अनुसन्धानकर्ता अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का ही प्रयोग करते हैं। इस रीति में अनुसन्धानकर्ता अप्रत्यक्ष मौखिक रूप से सम्बन्धित व्यक्तियों के बारे में अन्य जानकार व्यक्ति से जिन्हें साक्षी कहते हैं, सूचना प्राप्त करता है।

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अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसन्धान के गुण (Merits of Indirect Oral Investigation)

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं –

(1) विस्तृत क्षेत्र- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का पहला गुण यह है कि इसमें अनुसंधान का क्षेत्र विस्तृत होता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि विस्तृत क्षेत्र के लिये यह प्रणाली सर्वोत्तम है क्योंकि प्रत्यक्ष विधि में लागत व समय अधिक लगता है।

(2) निष्पक्षता- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का गुण यह है कि इसमें निष्पक्षता रहती है। इस विधि में संकलित सूचनाओं पर अनुसंधानकर्ता द्वारा व्यक्तिगत पक्षपात करना कठिन हो जाता है क्योंकि वह सम्बंधित सूचनाएं स्वयं एकत्र नहीं करता है अपितु अन्य लोगों पर निर्भर रहता है।

(3) विशेषज्ञों की राय- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का तीसरा गुण यह है कि इस विधि में विशेषज्ञों की राय मिल जाती है।

(4) गुप्त सूचना की प्राप्ति- अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान का चौथा गुण यह है कि इस विधि द्वारा उन सूचनाओं को प्राप्त किया जा सकता है जिनको सूचना देने वाला नहीं देता है जैसेकि शराब पीने की आदत को कोई स्वयं नहीं बताता है।

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान के दोष (Demerits of Indirect Oral Investigation)

अप्रत्यक्ष मौखिक अनुसंधान में निम्नलिखित दोष पाये जाते हैं.

(1) शुद्धता का स्तरीय न होना – इसमें इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि जो सूचना मिली है वो 100% सत्य है, क्योंकि इसमें अनुसंधानकर्ता प्रत्यक्ष रूप से सूचना देने वाले के सम्पर्क में नहीं रहता है।

(2) सूचना देने वाले की पक्षपातपूर्ण भावना- अप्रत्यक्ष मौखिक में सूचना देने वालो की इच्छा पर आँकड़ों की शुद्धता निर्भर करती है क्योंकि सूचना देने वाले पक्षपात भावना से ग्रस्त रहते हैं।

(3) सूचना देने वाले की अरुचि- इसमें सूचना देने वाले लापरवाही बरतते हैं क्योंकि उन्हें इसमें कोई फायदा नहीं होता है।

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shubham yadav

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