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मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा | मापन और मूल्यांकन में अंतर

मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा
मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा

मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा

मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा- मूल्यांकन का शाब्दिक अर्थ है- मूल्य का अंकन। मापन द्वारा केवल किसी प्राणी अथवा क्रिया की किसी विशेषता को मानक शब्दों, चिह्नों अथवा इकाई अंकों वस्तु, में प्रकट किया जाता है। मूल्यांकन में मापन के इन परिणामों की व्याख्या की जाती है और यह व्याख्या कुछ सामाजिक सांस्कृतिक अथवा वैज्ञानिक मानदण्डों के आधार पर की जाती है और इस व्याख्या द्वारा वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की यथा विशेषता की सापेक्षिक स्थिति स्पष्ट की जाती है। ब्रेडफील्ड महोदय ने मूल्यांकन की इस प्रक्रिया को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया है-

मूल्यांकन किसी वस्तु अथवा क्रिया के महत्त्व को कुछ सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक मानदण्डों के आधार पर चिह्न विशेषों में प्रकट करने की प्रक्रिया है।

सरल शब्दों में, मूल्यांकन वह प्रक्रिया है जिसमें किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की किसी विशेषता के मापन द्वारा प्राप्त परिणाम की व्याख्या कुछ सामाजिक, सांस्कृतिक अथवा वैज्ञानिक मानदण्डों के आधार पर की जाती है और यथा वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की यथा विशेषता की दृष्टि से सापेक्षिक स्थिति निश्चित की जाती है।

मापन और मूल्यांकन में अंतर

सामान्यतः लोग मापन एवं मूल्यांकन में भेद नहीं करते परन्तु वास्तव में इनमें अंश और पूर्ण का भेद होता है। मापन मूल्यांकन प्रक्रिया का प्रथम पद है, मूल्यांकन में मापन के बाद मापन के परिणाम की व्याख्या भी की जाती है और इस व्याख्या के आधार पर भविष्य कथन किए जाते हैं। मापन और मूल्यांकन के इस अन्तर को निम्नलिखित रूप में क्रमबद्ध किया जा सकता है-

मापन मूल्यांकन
1. मापन प्रक्रिया में किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया की किसी विशेषता को निश्चित मानक शब्दों, चिह्नों अथवा इकाई अंकों में प्रकट किया जाता है। 1. मूल्यांकन प्रक्रिया में किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया के, मापन द्वारा प्राप्त परिणाम की व्याख्या की जाती है।
2. मापन मूल्यांकन का प्रथम पद है। 2. मूल्यांकन में मापन परिणाम प्राप्त करने के बाद उनकी व्याख्या भी की जाती है।
3. मापन प्रक्रिया के चार पद होते हैं। 3. मूल्यांकन प्रक्रिया के छ: पद होते हैं।
4. मापन प्रक्रिया में साक्षों को एकत्रित किया जाता है। 4. मूल्यांकन प्रक्रिया में साक्ष्यों का विश्लेषण करते हैं।
5. मापन से प्राप्त परिणामों के आधार पर किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया के विषय कोई स्पष्ट धारणा नहीं बनाई जा सकती। 5. मूल्यांकन द्वारा प्राप्त परिणामों के आधार पर किसी वस्तु, प्राणी अथवा क्रिया के विषय में स्पष्ट धारणा बनाई जा सकती है।
6. मापन से प्राप्त परिणामों के आधार पर दो या दो से अधिक वस्तुओं, प्राणियों अथवा क्रियाओं में सही तुलना नहीं की जा सकती। 6. मूल्यांकन द्वारा प्राप्त परिणामों के आधार पर दो या दो से अधिक वस्तुओं, प्राणियों अथवा में सही तुलना की जा सकती है।
7. मापन से प्राप्त परिणामों के आधार पर सही रूप में वर्गीकरण नहीं किया जा सकता। 7. मूल्यांकन से प्राप्त परिणामों के आधार पर सही रूप में वर्गीकरण किया जा सकता है।
8. मापन के परिणामों के आधार पर व्यक्तियों को सही निर्देशन नहीं दिया जा सकता। 8. मूल्यांकन से प्राप्त परिणामों के आधार पर व्यक्तियों को सही निर्देशन दिया जा सकता है।
9. मापन से प्राप्त परिणामों के आधार पर किसी व्यक्ति के विषय में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। 9. मूल्यांकन द्वारा प्राप्त परिणामों के आधार पर किसी व्यक्ति के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है।

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shubham yadav

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