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प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi)

प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi)

प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi):- आज Currentshub.Com आपके भौतिक विज्ञान के अंतर्गत आने वाले वाला एक महत्वपूर्ण टॉपिक प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi) लेकर आए हुए हैं। यहाँ हम जानेंगे की प्रोटॉन की खोज कब और किसने की थी और कैसी हुई।

प्रोटॉन की खोज (Discovery of Proton)

  • इलेक्ट्रॉन की खोज से काफी पहले गोल्डस्टीन 1886 में एक छिद्रित कैथोड (कैथोड जिसमें छेद हो) लगी हुई विसर्जन नली में अल्प दाब पर हवा भर कर एक प्रयोग के द्वारा प्रदर्शित किया कि जब विसर्जन नली में उच्च विद्युत विसर्जन किया जाता है तो छिद्रित कैथोड के पीछे धीमी लाल दीप्ति उत्पन्न होती है।
  • यह चमक एक दूसरी प्रकार की किरणों के कारण थी जो कैथोड किरणों की विपरीत दिशा में बह रही थीं। इन किरणों को ऐनोड किरण या धन किरण का नाम दिया गया। यह किरणें धनावेशित होती है इनको कैनाल किरणें (Canal Rays) भी कहते हैं, क्योंकि ये छिद्रित कैथोड के छिद्र व छिद्रित कैथोड के कैनाल से निकल कर जाती है।
प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi)

प्रोटॉन की खोज किसने की? (Proton ki khoj kisne ki in Hindi)

कैनाल किरणों के गुण (Properties of Canal Rays)

1. कैथोड किरणों की तरह धन किरण भी सीधी रेखाओं में चलती हैं।
2. धन किरणों के घटक कणों में द्रव्यमान और गतिज ऊर्जा होती है।
3. धन किरणों के घटक कण धनावेशित हैं व इलेक्ट्रान की तुलना में अधिक भारी होते हैं।
4. ऐनोड किरणों के घटक कणों की प्रति व प्रकार विसर्जन नली में उपस्थित गैस की प्रति पर निर्भर करती है।
5. ऐनोड किरणों की उत्पत्ति को कैथोड किरणें व निर्वात नली में मौजूद गैस के आपस में क्रिया करने के संदर्भ में समझाया जा सकता है।

  • कैथोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रान नली में मौजूद गैस के उदासीन परमाणु के साथ टकरा कर उनमें मौजूद इलैक्ट्रॉन एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन को हटा देते हैं। इससे धन-आवेशित कण शेष रह जाता है। जो कैथोड की तरफ चलता है। कैथोड नली में हाइड्रोजन गैस निहित हो तो कैनाल नली से प्राप्त होने वाले कण का भार न्यूनतम और उनके आवेश व संहति का अनुपात (e/m) अधिकतम होता है। रदरफोर्ड ने दिखाया कि यह कण हाइड्रोजन आयन (हाइड्रोजन परमाणु से इलेक्ट्रॉन हटाने के बाद प्राप्त) के समान है, इन कणों को रदरफोर्ड ने 1919 में प्रोटोन का नाम दिया। सभी तत्वों के परमाणुओं में प्रोटोन उपस्थित हैं। थामसनगोल्डस्टीन के द्वारा किये गये प्रयोगों से पता चला कि परमाणुओं में दो प्रकार के कण मौजूद हैं। जिनके विद्युत आवेश एक दूसरे के विपरीत हैं और सभी परमाणु विद्युत उदासीन होते है।

तो दोस्तों, शायद अब आपको “ प्रोटॉन की खोज किसने की? (proton ki khoj kisne ki, proton ki khoj kisne ki aur kab ki, proton ki khoj goldstein, goldstein ki khoj, proton ki khoj kisne ki thi) , का कांसेप्ट अच्छे से समझ आ गया होगा, यदि कोई डाउट हो तो आप कमेंट या मेल के माध्यम से अपना डाउट क्लियर कर सकते हैं|

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shubham yadav

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