समाजशास्‍त्र / Sociology

सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य | Samajik Sarvekshan Ke Uddeshya

सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य
सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य

सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य बताइये।

सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्य– सामाजिक सर्वेक्षण कई उद्देश्यों को लेकर आयोजित किये जा सकते हैं, सर्वेक्षण का उद्देश्य शुद्ध वैज्ञानिक अथवा व्यावहारिक हो सकता है। ज्ञान प्राप्ति समस्याओं के कारण, उनका निवारण तथा समाज सुधार की योजनाओं को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से भी सामाजिक सर्वेक्षण किये जा सकते हैं। सामाजिक सर्वेक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये मोजर लिखते हैं, “सर्वेक्षण जनजीवन के किसी पक्ष पर प्रशासन सम्बन्धी तथ्यों की खोज करने के लिए अथवा समाजशास्त्रीय सिद्धान्त के किसी पक्ष पर नवीन प्रकाश डालने के लिए किया जा सकता है। सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. जीवन की दशाओं का अध्यययन

सामाजिक सर्वेक्षण के उदभव और विकास से ज्ञात होता है कि आरम्भ में इंग्लैण्ड और अमेरिका में सर्वेक्षणों का सम्बन्ध मानव जीवन की सामान्य दशाओं को ज्ञात करने से रहा है। मूलतः सर्वेक्षण श्रमिक वर्ग की जीवन दशाओं एवं समस्याओं के अध्ययन से प्रारम्भ हुए। आज भी अधिकांश सर्वेक्षणों का आयोजन लोगों के रहन-सहन, आय-व्यय, व्यवसाय, सुख-सुविधाओं, समस्याओं, शिक्षा, धर्म, स्वास्थ्य, परिवारिक जीवन आदि के बारे में वास्तविक तथ्यों को ज्ञात करने क लिये किये जाते हैं।

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2. सामाजिक तथ्यों का संकलन

सामाजिक सर्वेक्षण एक वैज्ञानिक विधि है जिसका एक उद्देश्य सामाजिक घटना अथवा प्रत्यक्ष समस्या के बारे में विश्वसनीय तथ्यों का संकलन करना है। सामाजिक जीवन एवं व्यवहार के सम्बन्ध में गणनात्मक तथ्यों का संकलन करना. सर्वेक्षण का एक मुख्य उद्देश्य है। इस प्रकार के सर्वेक्षण के द्वारा सामाजिक क्रिया और संगठन के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। लोगों के रहन-सहन, आय, वितरण, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा, धर्म, मनोरंजन, शिक्षा, व्यापार, उद्योग, पारिवारिक रचना, जनसंख्या की प्रकृति, वैवाहिक स्थिति आदि के बारे में सर्वेक्षण के द्वारा सूचनाएँ संकलित की जाती हैं। आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में वर्तमान में सामाजिक सर्वेक्षण का बहुत अधिक प्रयोग होने लगा है। कई व्यापारिक कम्पनियों अपने माल की खपत की सम्भावना को जानने के लिए बाजार सर्वेक्षण करवाती हैं। सर्वेक्षण के इस व्यावहारिक उपयोग से इसके विकास में पर्याप्त सहायता मिली है।

3. सामाजिक घटनाओं का वर्णन

मोजर के मतानुसार “समाजशास्त्रियों के लिये सामाजिक सर्वेक्षण का उद्देश्य पूर्णतया वर्णनात्मक हो सकता है। जैसे सामाजिक दशाओं, सम्बन्धों तथा व्यवहारों का अध्ययन” । कई बार सर्वेक्षण किसी विशिष्ट उद्देश्य को लेकर नहीं वरन केवल सामाजिक घटनाओं के वर्णन के लिए किये जाते हैं। अधिकांश सरकारी सर्वेक्षणों का आयोजन सामान्य सूचनाओं के संकलन हेतु ही किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षणों की रिपोर्ट तथा आँकड़े जोकि समय-समय पर प्रकाशित होते रहते हैं, इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। इस प्रकार के सर्वेक्षणों का प्रमुख उद्देश्य व्यक्तिगत अनुसन्धानकर्ताओं के कार्य को सरल बनाना तथा उन्हें उचित सामग्री प्रदान करना होता है।

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4. सामाजिक समस्याओं का अध्ययन

सामाजिक सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य सामाजिक समस्याओं का अध्ययन करना भी है। प्रत्येक समाज में अनेक समस्याऐं जैसे गरीबी, बेकारी, अशिक्षा, भिक्षावृत्ति, अपराध, बाल-अपराध, आत्महत्या गन्दी बस्तियों आदि विद्यमान हैं। इन समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त करना, उनके कारणों का पता लगाना तथा उनके निष्कर्षो के आधार पर उनका समाधान करना सामाजिक सर्वेक्षण का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है।

5. सामाजिक सिद्धान्तों की पुनर्परीक्षा

समाजशास्त्र के क्षेत्र में विभिन्न विद्वानों द्वारा निर्मित अनेक सिद्धान्त पाए जाते हैं। समाज परिवर्तनशील एवं गतिशील है। अतः समाज व्यवस्था से सम्बन्धित प्राचीन काल में बनाये गये सिद्धान्त वर्तमान एवं भविष्य के समाजों के लिए भी सही हों, यह आवश्यक नहीं है। अतः उनका समय-समय पर पुनर्परीक्षण करना आवश्यक है। समय के साथ-साथ अनुसंधान के यंत्रों एवं प्रणालियों में भी सुधार होता रहता है, पुराने सिद्धान्तों को नवीन अध्ययन प्रणालियों के आधार पर परखने की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि कई सर्वेक्षणों का आयोजन प्राचीन सिद्धान्तों एवं नियमों का सत्यापन करने के लिये किया जाता है।

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6. प्राक्कल्पनाओं का निर्माण एवं परीक्षण

सर्वेक्षण का एक उद्देश्य प्राक्कल्पनाओं का निर्माण और उनका परीक्षण करना भी है जिस समुदाय या समूह का हम अध्ययन करना चाहते हैं, उसका मुख्य सर्वेक्षण कार्य प्रारम्भ करने से पहले छोटी मात्रा में एक अग्रगामी सर्वेक्षण भी किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण से प्राप्त वास्तविक तथ्यों के आधार पर प्राक्कल्पनाओं का निर्माण किया जाता है तथा प्राक्कल्पनाओं के परीक्षण एवं सत्यापन के लिए भी सर्वेक्षणों का आयोजन किया जाता है। दैनिक जीवन में घटनाओं के अवलोकन एवं पुस्तकीय अध्ययन के द्वारा हमारे मन में विभिन्न उपकल्पनाओं का उदय होता. है। इन उपकल्पनाओं के बारे में वैज्ञानिक विधि द्वारा सम्बन्धित तथ्यों को एकत्रित किया जाए और उनकी विवेचना की जाए, इसके लिए सर्वेक्षणों का आयोजन किया जाता है। इस सन्दर्भ में मोजर ने लिखा है, “सर्वेक्षणों में दोनों की उपयोगिता होती है। उनके द्वारा प्राकल्पनाओं की रचना तथा अत्यधिक उच्च स्तर पर इनका प्रयोग प्राक्कल्पनाओं के परीक्षण के लिए भी किया जाता है।”

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7. कार्य-कारण सम्बन्धों की खोज

सामाजिक सर्वेक्षण का उद्देश्य सामाजिक घटनाओं के कारणों को ज्ञात करना भी है। कोई भी घटना समाज में क्यों और किन परिस्थितियों में घटित होती है, इसकी पुनरावृत्ति किन कारणों से होती है तथा यह समाज को किस प्रकार से प्रभावित करती आदि को ज्ञात करने के लिए सर्वेक्षणों का आयोजन किया जाता है। समाज में कोई घटना बिना कारणों के घटित नहीं होती है। इन घटनाओं में अन्तर्निहित कार्य-कारणों की खोज करना, सर्वेक्षणों का प्रमुख कार्य है।

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shubham yadav

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