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भारत स्काउट एवं गाइड्स संगठन, लक्ष्य तथा उद्देश्य
ईश्वर-भक्ति तथा उसके लिए आदर तथा देश के साथ-साथ मानवता की स्वार्थ-हीन सेवा करने का पाठ पढ़ाना ही ‘भारत स्काउट्स’ तथा ‘गाइड्स आंदोलन’ के लक्ष्य और उद्देश्य हैं। प्रत्येक स्काउट तथा गाइड को तीन प्रतिज्ञायें करनी पड़ती हैं जो इस प्रकार हैं- मैं प्रतिज्ञा करता हूँ-
1. ईश्वर और अपने देश के प्रति कर्तव्य पालन करने की,
2. स्काउट एवं गाइड के नियमों का पालन करने की,
3. दूसरे लोगों की किसी भी समय सहायता करने की।
इस प्रतिज्ञा का पालन करने के लिए अधिक से अधिक भरसक प्रयत्न करने का संकल्प लेता हूँ। इसके दस नियम तथा सिद्धांत, जो बालक-बालिकाओं के लिए समान हैं उनके चरित्र निर्माण के लिए तथा उनको देश के अच्छे और उपकारी नागरिक बनाने की दिशा में सहायक सिद्ध होते हैं।
प्रशिक्षण विधि
पेट्रोल विधि बाल स्काउट एवं बालिका निर्देशन प्रशिक्षण का एक आवश्यक अंग है। जब एक कम्पनी का निर्माण किया जाता है तो उसे कुछ समूहों में विभाजित करते हैं और प्रत्येक समूह में प्रशिक्षण पाने वालों की संख्या आठ से अधिक नहीं होती है। प्रत्येक समूह पेट्रोल कहा जाता है और प्रत्येक पेट्रोल में समूह का एक मुखिया और एक उपनेता चुना जाता है जो बालिकायें या बालक हो सकता है। कम्पनी का कैप्टन पेट्रोल के नेताओं को शिक्षा देता है और नेता अपने-अपने पेट्रोल के अन्य सदस्यों को सिखाते हैं। इस प्रकार पेट्रोल के द्वारा प्रत्येक लड़का या लड़की नेतृत्व में प्रशिक्षित हो जाती है। पेट्रोल का नेता एक साल या इसी तरह कुछ समय बाद बदलता रहता है जिससे अन्य सदस्य भी पेट्रोल नेता बनने का अवसर प्राप्त कर सकें। इस प्रकार पेट्रोल पद्धति सार्वजनिक कार्यों को प्रजातांत्रिक ढंग से व्यवस्थित करने का मूलरूप और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करती है। इस प्रशिक्षण का प्रमुख उद्देश्य यह भी है कि युवकों, बालकों एवं बालिकाओं की सहायता की जाए जिससे वह प्रतिज्ञा और नियमों के माध्यम से दूसरों के लिए उचित ध्यान दे सके और जिनको आवश्यकता है उनकी सेवा भी कर सके। उनको रोगी की सेवा प्राथमिक चिकित्सा आदि विषयों में भी प्रशिक्षण दिया जाता है, बालिकाओं को विशेषकर गृह-चिकित्सा, पाक-विद्या, स्वास्थ्य सुधार, शिशु-पालन, उद्यान कला आदि लाभकारी कार्यो की शिक्षा दी जाती है।
बालक-बालिकाओं को कुशलता या प्रवीणता के चिह्न या पदक प्रदान किये जाते हैं, जब वह किसी विशेष विषय में अधिक योग्यता दिखलाते हैं। इस प्रकार की परीक्षा के चौदह विषय होते हैं जिनमें से स्काउट या गाइड अपनी रुचि एवं रुझान के अनुसार प्रवीणता का पदक या चिह्न प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक चुन सकते हैं। इस प्रकार प्रत्येक बच्चा अपनी रुचि और इच्छा का विकास बिना किसी निरंकुश दबाव या बंधन के करने को उत्साहित किया जाता है। इस आंदोलन में 7 से 25 वर्ष तक के सभी आयु समूहों को सम्मिलित किया जाता है। इन्हें तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है अर्थात् 7 से 11 वर्ष की आयु समूह के ब्वायज कब्स (Boy cubs), 11 से 17 तक स्काउट और 18 से 25 वर्ष तक के रोबर्स कहे जाते हैं। इन्हीं आयु समूहों की बालिकाओं को क्रमश: बुलबुल, गाइड्स और रैंजर्स का नाम दिया जाता है। उन्हें उनकी आयु के दृष्टिकोण से ही प्रशिक्षण दिया जाता है। “वायु स्काउट” तथा सामुदायिक स्काउट्स और वायु एवं सामुदायिक रैंजर्स भी होते हैं। उन्हें सामान्य स्काउट्स गाइड्स प्रशिक्षण के अतिरिक्त विशिष्ट कार्यों के लिए एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। अपंग बालको को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है। स्काउट तथा गाइड के कार्य निश्चित ही अन्धे, बहरे, गूँगे, अपंग, इत्यादि दोषों से पीड़ित बालकों के जीवन में कुछ आनन्द की धारा अवश्य ही प्रभावित कर सकते हैं।
वर्तमान स्थिति
भारत स्काउट्स एवं गाइड्स आंदोलन के द्वारा की गई प्रगति का मूल्यांकन करते समय योजना आयोग ने कहा था कि आंदोलन के द्वारा उसके कर्तव्य का उचित और पूर्ण पालन “नहीं हो सका है। आंदोलन को केवल गाँवों तक ही फैलाना नहीं है वरन इसके द्वारा की जाने वाली सेवा और कार्य के गुण में भी परिवर्तन तथा विकास करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय तथा स्टेट हैड क्वाटर्स को मजबूत करना होगा और बहुत बड़ी संख्या में स्काउटर्स की वृद्धि तथा प्रशिक्षण के लिए और इसके सदस्यों के कुशल निर्देश तथा निरीक्षण को उन्नत करने के लिये भी पर्याप्त रूप से साधन जुटाना है। स्काउट आंदोलन को राज्य स्थानीय स्व-प्रशासित संस्थाओं और समुदाय की सहायता प्राप्त होनी चाहिए।
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