समाजशास्‍त्र / Sociology

युवकों के कल्याण हेतु कौन-कौन से संगठन बनाये गये हैं ? विस्तार से समझाइए।

युवकों के कल्याण हेतु कौन-कौन से संगठन बनाये गये हैं?
युवकों के कल्याण हेतु कौन-कौन से संगठन बनाये गये हैं?

युवकों के कल्याण हेतु कौन-कौन से संगठन बनाये गये हैं?

युवकों के कल्याण हेतु निम्न संगठन बनाये गये हैं-

(1) छात्र संगठन

राष्ट्रीय स्तर के इन दो संगठनों के अतिरिक्त स्कूल कालेजों एवं विश्वविद्यालयों में अनेक प्रकार के संगठन, छात्रों में युवक कल्याण कार्यों की उन्नति विद्यमान है। इन संगठनों के कार्य साहित्य, कला, संगीत और खेलकूद के रूप में होते हैं। यह संगठन विभिन्न नामों से पुकारे जा सकते हैं। जैसे छात्र संघ, छात्र संगठन, कला अथवा ऐतिहासिक समाज इत्यादि। इनके द्वारा भाषण, वाद-विवाद पर्यटन, भ्रमण, संगीत आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कभी-कभी ये संगठन समाज-सेवा के कार्य भी करते हैं और निर्धनों की सहायता तथा मेडिकल सहायता के लिए पैसा इकट्ठा कर मरीजों और रोगग्रस्त लोगों को आराम पहुँचाते हैं।

(2) कला एवं साहित्यिक संगठन

इस प्रकार के संगठन छात्र, युवकों और अछात्र युवकों में प्रोत्साहित किये जाने चाहिए और इनको शिक्षा और राज्य अधिकारियों द्वारा ठीक एवं उचित निर्देशन प्राप्त होना चाहिये। होनहार युवकों के गुणों के उचित विकास के लिए तथा इन कार्यों को प्रोत्साहित करने का एक तरीका यह भी है कि विविध क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न की जाए।

(3) अन्तर्विश्वविद्यालय युवक समारोह

युवकों के गुणों के विकास के लिए अन्तर्विश्वविद्यालय- युवक समारोह प्रतिवर्ष दिल्ली में मनाया जाता है, जो युवक-कल्याण के क्षेत्र में एक नयी चीज है। इस उत्सव का उद्देश्य युवकों की निर्माणकारी, खेलकूद, सौन्दर्यकला, भावनात्मक और मानसिक शक्तियों को व्यक्त करना है और उनके उचित प्रदर्शन के लिए अच्छे तथा गुणकारी अवसर प्रदान करना है। अधिकतर इन कार्यक्रमों में ऐसी चीजों की स्पर्धा होती हैं जैसे कला में रंगाई, चित्रकला, मूर्तिकला और फोटोग्राफी, वास्तुकला में बुनाई रचना, कसीदाकारी दस्तकारी आदि नाटक में एकांकी नाटक, रेडियो मेल, संगीत और सामूहिक लोकगीत इत्यादि। यह उत्सव छात्रों में बहुत ही प्रिय बन गया है। इसने अच्छे गुणों के विकास के लिए प्रोत्साहित कर उनमें रुचि पैदा की है। सन् 1954 में इसका सबसे पहला उत्सव मनाया गया।

(4) युवक पर्यटन कार्यक्रम

युवक पर्यटन, परिभ्रमण, मनोविनोद, शिविर और पर्वत-भ्रमण आदि – कुछ ऐसे कार्य हैं जो मनुष्य की ज्ञान और अनुभव में वृद्धि करने की तीव्र इच्छा की पूर्ति करते हैं। यह कार्य अनुशासन की भावना और स्वास्थ्य का विकास भी करता है, इससे अच्छे संगठन बना सकने की क्षमता उत्पन्न होती है। साहसपूर्ण कार्यों के लिए उत्साह तथा मातृभूमि के प्रति अनुराग बढ़ता है। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विषयों वाले स्थानों का परिभ्रमण युवकों में गर्व तथा महत्व उत्पन्न करते हैं और उन जगहों का भ्रमण करने से जहाँ पर बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय योजनायें काम कर रही हैं जिससे युवकों में उत्साह तथा आशा भर जाती है। इन कार्यों में मन्द, उत्साहहीन और चिड़चिड़ा स्वभाव, जो युवकों में देखा गया है, दूर करने में सहायता मिलती है। बहुत से

(5) राष्ट्रीय स्वस्थता कोर कार्यक्रम

शारीरिक शिक्षा, मनोरंजन तथा युवक कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत योजनाओं के सहयोग तथा एकीकरण के लिए एक समिति सन् 1959 में श्री एच.एन. कुँजरू की अध्यक्षता में नियुक्ति की गई। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सन् 1964 में प्रस्तुत की। समिति की संस्तुतियों के आधार पर भारत सरकार ने देश के समस्त विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के एक एकीकृत कार्यक्रम को चलाने का निर्णय लिया। यह कार्यक्रम ऐसे पाठ्यक्रम पर अवलम्बित होगा जिसमें वर्तमान कार्यक्रमों अर्थात् सहायक शिक्षा कोर, राष्ट्रीय अनुशासन योजना, शारीरिक शिक्षा, इत्यादि के सर्वोत्तम गुणों का सम्मिश्रण किया जायेगा।

(6) प्रछात्र खेलकूद संगठन

अछात्र युवकों के खेलकूद के संगठन भी युवक कल्याण के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने छात्र युवकों के संगठन। यह संगठन उन सभी युवकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं जो खेलकूद में अधिक रुचि रखते हैं और खेलकूद के द्वारा अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाना तथा उच्चतर के खेलों में प्रवीणता और नयी तकनीकों को प्राप्त करना चाहते हैं।

(7) युवक सलाह सेवा

व्यक्तित्व समस्याओं लिंग-भेद, संघर्षो तथा घर और सामुदायिक जीवन की विषम परिस्थितियों से निपटने के लिये युवकों को ठीक निर्देश, उचित सलाह और समुचित सहायता की आवश्यकता होती है। योजना आयोग ने प्रथम पंचवर्षीय दायिक योजना में संकेत दिया था कि गाँवों और शहरों में सामुदायिक केन्द्रों का संगठन युवक सलाह कार्य को आसान बना सकता है।

(8) युवक स्वास्थ्य सेवायें

युवकों में खेल-कूद को प्रोत्साहित करने के लिये प्रयत्न अधिक उपयोगी नहीं सिद्ध होंगे यदि युवकों के स्वास्थ्य की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता। इसीलिये रोगों का उचित मेडिकल परीक्षण और उपचार आवश्यक है। शिक्षा का केन्द्रीय मंत्रालय राज्य सरकारों की सम्मति लेते हुए ऐसी स्कूल सेवाओं के लिये कार्यक्रम बना रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर कुछ चुने हुये क्षेत्रों में वाइलट प्रोजेक्ट बनाने का विचार किया गया है जहाँ विद्यार्थियों को पर्याप्त मेडिकल और दूसरी स्वास्थ्य सेवायें प्राप्त होंगी।

(9) निर्धन छात्रों के लिये सेवायें

निर्धन विद्यार्थियों के लिये जिनके माता-पिता उनके शिक्षा सम्बंधी व्यय को वहन करने अथवा पौष्टिक भोजन प्रदान करने की सामर्थ्य नहीं रखते, उनकी सहायता करने की एक प्रणाली यह है कि उन्हें अध्ययन शल्क से मुक्त करके छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाये।

(10) युवक और समाज सेवायें

युवक कल्याण के दृष्टिकोण से समाज कल्याण के दो भाग किए जा सकते हैं। एक भाग शिक्षा का है और दूसरा भाग आर्थिक है। यदि हम इसके शिक्षा सम्बन्धी भाग पर ध्यान दें तो ज्ञात होगा कि युवक की शिक्षा ठीक प्रकार की नहीं कहीं जा सकती और उन परिणामो की प्राप्ति नहीं हो सकती जिनकी एक अच्छे सुदृढ़ शिक्षा के कार्यक्रम से अपेक्षा की जा सकती है। जब तक युवक शिक्षा के साथ-साथ समाज कार्य के किसी कार्य में भाग नहीं लेते। आर्थिक दृष्टिकोण से यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय आय को बढ़ाने और रहन-सहन का स्तर ऊँचा करने के लिए युवकों की सेवाओं का उपयोग करना आवश्यक है। यद्यपि यह कार्य कुछ सीमा तक शिक्षा को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।

(11) सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में युवकों को प्रशिक्षण

शिक्षा मंत्रालय के अन्तर्गत ग्राम सेवा प्रशिक्षण योजना के नाम से एक योजना चलाई गयी है जिसके अन्तर्गत विश्वविद्यालय के छात्रों को सामुदायिक प्रोजेक्टों और राष्ट्रीय प्रसार सेवा सम्बन्धी विकास कार्यों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। एक सप्ताह के प्रशिक्षण के बाद विद्यार्थियों से ग्राम स्तर के कार्यकर्ता के साथ गाँव में काम करने को कहा जाता है और इस प्रकार पुनर्निर्माण में गाँव वालों की सहायता करते हैं।

(12) राष्ट्रीय सेवा योजना

राष्ट्रीय सेवा समिति ने यह सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय सेवा उच्च – अथवा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों के लिए 9 से 12 माह की अवधि का एक पूर्णकालीन कार्यक्रम होना चाहिए। तथापि, वित्तीय कारणों तथा इसके अनिवार्य स्वरूप के कारण इसे जनता का समर्थन अधिक नहीं मिल पाया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने अनेक देशों में राष्ट्रीय सेवा का एक अध्ययन कराया। उसका प्रतिवेदन “युवकों के लिए राष्ट्रीय सेवा के शीर्षक से प्रकाशित किया गया। इसने यह सुझाव रखा कि राष्ट्रीय सेवा ऐच्छिक होनी चाहिए और इसे शिक्षा का अभिन्न अंग बनाते हुए एक ऐसा कार्यक्रम चलाया जाए कि वह स्कूल तथा कालेजों में शैक्षिक अध्ययनों के साथ चलाया जा सके। इस सुझाव का अनुमोदन शिक्षा आयोग ने भी किया और भारत सरकार ने उसे स्वीकार कर लिया। शिक्षा एवं युवक कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय समाज सेवा योजना का शुभारम्भ सन् 1969-70 में कर दिया। पहले यह योजना कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में डिग्री कोर्स को पढ़ने वाले छात्रों पर लागू की गई।

(13) राष्ट्रीय शारीरिक योग्यता अभियान

राष्ट्रीय शारीरिक योग्यता अभियान के नाम से प्रसिद्ध एक योजना का सूत्रपात केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा सन् 1959-60 में किया गया। इसका उद्देश्य युवकों, वृद्ध-पुरुषों तथा स्त्रियों में अपनी क्षमता को जाँचने की रुचि उत्पन्न करना और इस प्रकार उनमें शारीरिक योग्यता के प्रति एक तीव्र आकांक्षा जागृत करना था।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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