समाजशास्‍त्र / Sociology

विचलन किसे कहते हैं?| विचलन की परिभाषा | विचलन के प्रकार 

विचलन किसे कहते हैं
विचलन किसे कहते हैं

विचलन किसे कहते हैं? तथा विचलन के प्रकार 

समाज की रुग्ण अवस्था के लिये मार्क्स द्वारा अलगाव का सिद्धांत, दुर्खीम द्वारा आदर्शविहीनता की अवधारणा जबकि मर्टन द्वारा विचलन की अवधारणा दी गयी है। विचलन की बात सर्वप्रथम राबर्ट-मर्टन द्वारा 1938 में अपनी पुस्तक ‘सोशल स्ट्रक्चर’ में की गयी है। विचनल का तात्पर्य समाज के नियमों व मानकों के अनुरूप आचरण न करना है ।

रार्बट मर्टन विचलन के लिये समाज व सामाजिक संरचना को उत्तरदायी मानते हैं और कहते हैं कि “समाज गैर अनुचलन आचरण के लिये उत्तरदायी है” मर्टन सामाजिक संरचना की व्याख्या सांस्कृतिक लक्ष्य और संस्थागत साधन के रूप में करते हैं और इस आधार पर पाँच प्रकार के व्यक्तित्व का उल्लेख किया है-

1. अनुरूपता (Conformity)

2. नवाचार (Innovation)

3. संस्कारवाद (Ritualism)

4. प्रत्यावर्तन (Retreatism)

5. विद्रोही (Rebellian)

सिम्स का कहना है कि अगर आप औसत के नजदीक हैं तो आप ठीक हैं, अगर आप औसत से दूर हैं तो निश्चित ही विचलन के शिकार हैं।

विचलन के प्रकार लेमर्ट ने 1951 में प्रकाशित अपनी पुस्तक Social Pathology में विचलन को दो भागों में विभाजित किया है

1. प्राथमिक विचलन इस प्रकार के विचलन के लिये समाज में कोई दण्ड नहीं मिलता है क्योंकि विचलित व्यक्ति पकड़ में नहीं आता है।

2. द्वितीयक विचलन इस प्रकार के विचलित व्यक्ति के लिये दण्ड का प्रावधान है जैसे चोर, डकैत । समाज के मान्य नियमों, मानको तथा मूल्यों आदि के अनुरूप आचरण न करना ही सामाजिक विचलन है इस व्यवहार को विचलित व्यवहार कहते हैं।

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shubham yadav

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