संरक्षण गृहों की व्यवस्था करना (Provision of Protection Homes)
1. राज्य सरकार द्वारा संरक्षणगृह एवं सुधार करने वाली संस्थाओं की स्थापना (Establishment of Protection Homes and Corrective Institutions by the State Government)- अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अन्तर्गत राज्य सरकार स्व-विवेक पर कई संरक्षण गृहों एवं सुधार कार्य संस्थाओं की स्थापना कर सकती है तथा इनका रखरखाव निर्धारित विधि से होगा।
2. व्यक्तियों एवं प्राधिकारियों को लाइसेन्स जारी करना (Issuance of Licence to person or Authority)- राज्य सरकार के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति या प्राधिकारी राज्य सरकार से लाइसेन्स लिए बिना संरक्षण गृह या सुधार गृह की स्थापना एवं रखरखाव नहीं कर सकता है।
व्यक्ति या प्राधिकारी की ओर से आवेदन प्राप्त होने पर राज्य सरकार निर्धारित प्रारूप में एक लाइसेन्स जारी करेगी। यह लाइसेन्स संरक्षण गृह के सुधार संस्थाओं हेतु होगा। राज्य सरकार इस लाइसेन्स में विभिन्न शर्तें भी लग सकती है
इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 6 माह के भीतर किसी संरक्षण गृह का रखरखाव करने वाले संरक्षण गृह का व्यक्ति या प्राधिकारी ऐसे लाइसेन्स की प्राप्ति हेतु आवेदन देगा।
3. जाँच करना (Investigation)- लाइसेन्स जारी करने से पूर्व राज्य सरकार आवेदन पत्र में दी गयी सूचनाओं की पूर्ण जाँच करेगी।
लाइसेन्स जब तक खण्डित न कर दिया जाय निर्धारित समय तक जारी रहेगा। जारी किया गया लाइसेन्स अहस्तान्तरणीय होगा। लाइसेन्स की शर्तों का उल्लंघन होने पर लाइसेन्स को लिखित आदेश देकर खण्डित कर सकती हैं लाइसेन्स को खण्डित करने से पूर्व लाइसेन्सधारी को सुनवाई का अवसर दिया जायेगा।
लाइसेन्स निरस्त होने के पश्चात संरक्षण गृह अपने कार्य बन्ध कर देगा। वेश्याओं के बच्चों, विशेष रूप से युवा लड़कियों को वेश्यालयों से पृथक रखने हेतु इसकी व्यवस्था की जाती है।
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