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आदर्शवाद प्रकृतिवाद तथा प्रयोजनवाद का तुलनात्मक अध्ययन

आदर्शवाद प्रकृतिवाद तथा प्रयोजनवाद का तुलनात्मक अध्ययन
आदर्शवाद प्रकृतिवाद तथा प्रयोजनवाद का तुलनात्मक अध्ययन

आदर्शवाद, प्रकृतिवाद तथा प्रयोजनवाद का तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study of Idealism, Naturalism and Pragmatism)

विषय (Subject) आदर्शवाद (Idealism) प्रकृतिवाद (Naturalism) प्रयोजनवाद (Pragmatism)
समर्थक(Exponents) (1) सुकरात,

(2) डेकार्टे

(3) स्पिनोजा,

(4) प्लेटो,

(5) काण्ट,

(6)बर्कले,

(7) फ्रिटशे,

(8) शैलिंग,

(9) ग्रीन,

(10) हीगल,

(11) जैन्टाइल,

(12) अरविन्द घोष,

(13) गाँधी, तथा

(14) शॉपन हॉवर, आदि

(1) अरस्तु,

(2) हॉब्स,

(3) काण्ट,

(4) लैमार्क,

(5) हरबर्ट स्पेन्सर,

(6) हक्सले,

(7) रूसो,

(8) सेमुअल, तथा

(9) बनार्ड शॉ, आदि

(1) सी. बी. पीयर्स,

(2) विलियम जैम्स,

(3) शिलर, तथा

(4) जॉन ड्यूवी, आदि

शिक्षा का उद्देश्य (Aims of Education) (1) चरित्र निर्माण

(2) आत्मानुभूति

(3) आध्यात्मिक व्यक्तित्व का विकास

(4) सत्यम, शिवम् एवं सुन्दरम् की प्राप्ति

(5) सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत का संरक्षण एवं उसकी समृद्धि

(6) पवित्र एवं पुण्य जीवन की प्राप्ति।

(1) वैयक्तिकता का विकास

(2) आत्माभिव्यक्ति

(3) मूल प्रवृत्तियों का शोधन, मार्गान्तीकरण और समन्वय।

(4) उचित, सहज, सम्बद्ध क्रियाओं का निर्माण।

(5) प्रजातीय प्रगति की प्राप्ति।

(6) जीवन संघर्ष के लिए तैयारी

(1) उद्देश्य निश्चित न होकर परिवर्तनशील होते हैं।

(2) पूर्व निश्चित उद्देश्यों की अस्वीकृति।

(3) सामाजिक व्यवस्था की उन्नति।

(4) सामाजिक कुशलता पर बल।

(5) नये मूल्यों और आदर्शों का निर्माण।

(6) गतिशील और लचीले मस्तिष्क का निर्माण।

पाठ्यचर्या (Curriculum) (1) पाठ्यचर्या की रचना आदर्शों, विकारों तथा शाश्वत् मूल्यों के आधार पर होती है।

(2) पाठ्यचर्या में मानवीय विषयों पर बल दिया जाता है।

(3) पाठ्यचर्या के मुख्य अध्यात्मशास्त्र, विषय निम्न हैं धर्मशास्त्र, नीतिशास्त्र, भाषा, समाजशास्त्र, साहित्य भूगोल, इतिहास, संगीत तथा कला आदि।

(1) पाठ्यचर्या की रचना, बालक की प्रकृति, रुचियों, अभिरुचियों तथा योग्यता के आधार पर होती है।

(2) पाठ्यचर्या में वैज्ञानिक विषयों को प्रमुख तथा मानवीय विषयों को गौण स्थान मिलता है।

(3) प्रकृतिवादी पाठ्यचर्या के मुख्य विषय निम्न है- खेलकूद, शरीर-विज्ञान, स्वास्थ्य-विज्ञान, पदार्थ-विज्ञान, तथा गणित आदि ।

(1) पाठ्यचर्या उपयोगिता के सिद्धान्त पर आधारित होती है।

(2) पाठ्यचर्या में सामाजिक विषयों को सम्मिलित किया जाता है।

(3) पाठ्यचर्या के मुख्य विषय निम्न हैं- स्वास्थ्य विज्ञान, शारीरिक प्रशिक्षण, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, गृहविज्ञान, गणित तथा कृषि आदि।

शिक्षण-पद्धति (Methods of Teaching) (1) कोई निश्चित विधि नहीं।

(2) आदर्शवादी स्वयं विधियों के निर्धारक और निर्माणकर्ता।

(3) व्याख्यान विधि

(4) प्रश्नोत्तर विधि।

(1) करके सीखना।

(2) अनुभव द्वारा सीखना

(3) खेल द्वारा सीखना ।

(4) डाल्टन पद्धति।

(1) करके सीखना

(2)अनुभव द्वारा सीखना।

(3) बाल केन्द्रियता का सिद्धान्त ।

(4) प्रोजेक्ट पद्धति।

शिक्षक (Teacher) (1) शिक्षक का स्थान बड़े महत्व एवं गौरव का है तथा बालक का गौण।

(2) शिक्षक एक माली के समान है तथा बालक एक पौधे के समान।

(3) शिक्षक के विकास के लिए।

(4) सामाजिक स्वभाव पूर्ति के लिए।

(1) शिक्षक का स्थान गौण है तथा बालक का मुख्य ।

(2) प्रकृति ही बालक का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।

(3) शिक्षक का स्थान रंगमंच तैयार करने तथा पर्दे के पीछे रहने वाले का है।

(4)सहायक के रूप में शिक्षक।

(1) शिक्षक का स्थान एक मित्र, पथप्रदर्शक तथा सलाहकार के रूप में है।

(2) शिक्षक बालक के सामने ऐसी सामाजिक परिस्थितियों को उत्पन्न करता है जिनमें रहते हुए वह अपनी रुचि तथा योग्यता अनुसार समस्या को सुलझा सके।

अनुशासन (Discipline) (1) प्रभावात्मक अनुशासन पर बल ।

(2) नियन्त्रित अनुशासन का समर्थन ।

(3) नियन्त्रित स्वतन्त्रता ।

(1) मुक्त अनुशासन पर बल।

(2) प्राकृतिक परिणामों पर आधारित।

(3) अनियन्त्रित स्वतन्त्रता।

(1) सीमित छूट।

(2) सामाजिक अनुशासन पर बल।

स्कूल (School) (1) स्कूल ही बालक को नियमित शिक्षा देने का स्थान है।

(2) स्कूल एक सुन्दर उपवन के रूप में मानवीय क्रियाओं का आदर्श रूप है।

(1) प्रकृति का विस्तृत प्रांगण ही स्कूल है।

(2) स्कूल प्राकृतिक अथवा स्वाभाविक वातावरण के रूप में है।

(1) स्कूल एक प्रयोगशाला है।

(2) स्कूल समाज का लघु रूप है।

आधारभूत सिद्धान्त (Fundamental Principles) (1) शिक्षा सैद्धान्तिक रूप से आध्यात्मिक प्रक्रिया है ।

(2) सामाजिक और नैतिक वातावरण पर बल।

(3) निश्चयात्मक शिक्षा ।

(4) परमात्म तत्व की ओर निकास

(5) व्यक्तित्व के उन्नयन बल ।”

(6) आदर्शवाद एक तत्ववादी भावना है।

(1) शिक्षार्थी की प्रकृति के अनुसार शिक्षा।

(2) भौतिक वातावरण पर बल।

(3) निषेधात्मक शिक्षा।

(4) बालक के वर्तमान जीवन को शिक्षा आधार बनाया जाये।

(5) निषेधात्मक शिक्षा पर बल।

(6) प्रकृतिवाद एक तत्ववादी भावना है।

(1) शिक्षा का केन्द्र बालक है।

(2) बालक की क्रियाओं एवं स्व-प्रयत्नों पर बल ।

(3) जीवन की ठोस परिस्थितियों की शिक्षा को आधार बनाया जाए।

(4) सामाजिक एवं भौतिक वातावरण पर बल।

(5) निश्चयात्मक शिक्षा, प्रयोग और अनुभव पर आधारित सामाजिक प्रक्रिया।

(6) प्रयोजनवाद एक बहुतत्ववादी भावना है।

शिक्षा के सिद्धान्त (Principles of Education) (1) शिक्षा का आधार अध्यात्मशास्त्र तथा नीतिशास्त्र है।

(2) शिक्षा का केन्द्र शिक्षक तथा पाठ्यक्रम है।

(3) मानसिक शक्तियों पर बल देता है।

(4) शिक्षा में वैयक्तिकता तथा सामाजिक दोनों को महत्व दिया जाता है।

(5) पुस्तकीय ज्ञान पर बल दिया जाता है।

(6) स्थिर विचारधारा है।

(1) शिक्षा का आधार मनोविज्ञान है।

(2) शिक्षा का केन्द्र  बालक है।

(3) मूल्य प्रवृत्तियों, संवेगों तथा व्यवहार पर बल देता है।

(4) केवल वैयक्तिकता को महत्व दिया जाता है।

(5) पुस्तकीय ज्ञान का विरोध करता है।

(6) प्रगतिशील विचारधारा है।

(1) प्रयोजनवाद के अनुसार शिक्षा का आधार मनोविज्ञान तथा विज्ञान है।

(2) शिक्षा का केन्द्र बालक है।

(3) प्रयोग तथा अभ्यास पर बल देता है।

(4) केवल सामाजिकता को महत्व दिया जाता है।

(5) प्रयोग तथा अनुभव पर बल देता है।

(6) प्रगतिशील तथा परिवर्तनशील विचारधारा है ।

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