मस्तिष्क की संरचना एवं कार्य (Brain Anatomy in Hindi) :- आज Currentshub.Com आपके जीव विज्ञान के अंतर्गत आने वाले वाला एक महत्वपूर्ण टॉपिक ‘मस्तिष्क की संरचना एवं कार्य, मस्तिष्क के प्रमुख भाग,मस्तिष्क के मुख्य भागो के कार्य, मस्तिष्क से सम्बंधित रोग, Brain in Hindi , लेकर आए हुए हैं। यहाँ हम जानेंगे की मस्तिष्क क्या है? मस्तिष्क के मुख्य कार्य,मस्तिष्क के प्रमुख भाग, इत्यादि के बारे में विस्तार से|
अनुक्रम (Contents)
मस्तिष्क की संरचना एवं कार्य (Brain Anatomy in Hindi)
मानव मस्तिष्क (Human Brain)
कलालीय अस्थि को हटाने के पश्चात मानव मस्तिष्क में कपाल एक कठोर ऊतक द्वारा घिरा है , इसे मेनिंजेज गमन, अनैच्छिक अंगों के कार्य, परिवहन, अंतःस्रावी गंन्थियों की क्रियाएँ , मानव व्यवहार का नियंत्रण (देखने सुनने, बोलने, समझने याद्दाश्त, कुशाग्रता, भावनाओं व विचारों) का संप्रेषण है। इसलिए मानव मस्तिष्क को शरीर का केंद्रीय सूचना व प्रसारण केंद्र कहा जाता है।
मानव मस्तिष्क पूरे शरीर व तंत्रिका तंत्र का नियंत्रण कक्ष (Control Room) होता है। मानव मस्तिष्क का भार लगभग 1400 से 1800 ग्राम तक होता है। यह मस्तिष्क कोश या क्रेनियम (Cranium) के अंदर सुरक्षित रहता है जो मस्तिष्क की बाहरी अघातों से रक्षा करता है।
मस्तिष्क के चारो ओर पाये जाने वाला आवरण मेनिनजेज या मस्तिष्क वरण (Meninges) कहलाता है, जो 03 स्तरों का बना होता है। मस्तिष्कावरण की सबसे बाहरी परत ड्यूरा मैटर (Dura Mater) मध्य की परत को एरेक्नॉइड (Arachnoid) व सबसे अंदर की परत पाया मैटर (Piamater) के नाम से जानी जाती है।
मस्तिष्कावरण (Meninges) व मस्तिष्क (Brain) के बीच सेरीब्रोस्पाइनल द्रव (Cerebrospinal Fluid) भरा होता है जो मस्तिष्क की बाहरी आघातों से रक्षा करता है व मस्तिष्क को नम बनाए रखने में मदद करता है। मस्तिष्क को औसत आयतन (Volume) लगभग 1600 मिली. से 1700 मी. होता है।
मानव मस्तिष्क के 03 प्रमुख भाग
A. अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)
अग्रमस्तिष्क के 03 प्रमुख भाग निम्नलिखित है।
I. घ्राण पिण्ड (Olfactory Lobe)
घ्राण पिण्ड का मुख्य कार्य सूंघना है अर्थात मनुष्य को सूंघने की संवेदना घ्राण पिण्ड के द्वारा प्राप्त होती है। गन्ध, सुगन्ध, दुर्गन्ध आदि का आभास घ्राण पिण्ड के कारण ही सम्भव होता है। मनुष्य में घ्राण पिण्ड कुत्तों, शार्क की अपेक्षा कम विकसित होता है। कुत्ते की सूंघने की क्षमता बहुत अधिक होती है इसलिए कुत्तों का उपयोग किया जाता है।
II. प्रमस्तिष्क (Cerebrum)
यह मानव मस्तिष्क का सबसे बड़ा हिस्सा होता है व सम्पूर्ण मस्तिष्क का दो-तिहाई हिस्सा प्रमस्तिष्क (Cerebrum) का होता है। यह मस्तिष्क के शीर्ष पार्श्व व पश्च भाग को आवरण प्रदान करता है।
एक गहरी लम्बवत विदर (खांच) जो कि मस्तिष्क के केंद्र से पृष्ठ तक होती है, यह मस्तिष्क को 02 भागों (दाएं व बाएं) में विभाजित करती है इसे प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (Cerebral Hemisphere) कहते है। बाएं व दाये तरफ के प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध ऊतकों से बनी एक (तंत्रिका तंतुओं के लगभग 200 मिलियन गट्ठर) गठ्ठरनुमा पट्टी से जुड़े होते है, जिस कॉपर्स कैलोसम (Corpus Callosum) कहते है।
प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (Cerebral Hemisphere) इसमें अनेक अनियमित आकार की उभरी हुई संरचना पायी जाती है जिन्हे गाइरस (Gyrus) कहते है। जबकि दो गाइरस (Gyrus) के मध्य अवनमन वाले स्थान को सल्कस (Sulcus) कहते है।
प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्ध की सतह 04 पिंडो (Lobes) में विभाजित रहती है। इसका नाम कपालीय अस्थियों के आधार पर रखा गया है। यह अग्र मस्तिष्कसे आरंभ हो कर पीछे सेरेबम तक विस्तृत रहता है।
फ्रंटल पिंड व टेंपोरल पिंड सामने स्थित होते है, व पेराइटल पिंड (Parientae Lobe) व ऑक्सीपिटल पिंड (Occipital Lobe) पीछे स्थित होते है। दायां प्रमस्तिष्क गोलार्ध इसी बाएं गोलार्ध का दर्पण प्रतिबिंब होता है।
प्रत्येक पिंड कुछ निश्चित कार्य करने के लिए विशिष्ट होते है। फ्रंटल पिंड में विचार उत्पन्न होते है। टेंपोरल पिंड का वह भाग है जहां ध्वनि ग्रहण करने की क्रिया का प्रतिपादन होता है जिससे यह समझा जा सके कि क्या बोला गया है। पेराइटल पिंड स्पर्श, गर्मी ठंडा व दर्द को महसूस करता है। जैसे वे क्षेत्र जिससे आप नक्शे पर बिल्कुल सही दिशा में गमन करते है, ऑक्सीपिटल पिंड दृश्य के प्रति संवेदनशील होता है।
एक केंद्रीय सल्कस जो कि फ्रंटल पिंड मे अनुप्रस्थ गहरी विदर के रूप में रहता है व शरीर की सभी गतियों हेतु निर्देश जारी करता है। पेराइटल पिंड के अग्र किनारे, जो कि केंद्रीय सल्कस के पीछे स्थित होते है कार्यिक संवेदी क्षेत्र का निर्माण करते है तथा शरीर से आए हुए संदेशों व संवेदनाओं को अंकित करते है।
गाइरस व सल्कस (Gyrus & Sulcus) के कारण ही प्रमस्तिष्क वल्कुट (Cerebral Cortex) का पृष्ठीय क्षेत्रफल (Surface Area) बढ़ जाता है। गाइरस (Gyrus) व सल्कस (Sulcus) तीव्र वृद्धि के लिए जिम्मेदार होते है।
III. डाइएनसिफेलॉन (Diencephalon)
अग्रमस्तिष्क का एक भाग है जो कि प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (Cerebral Hemi- sphere) द्वारा ढका रहता है।
प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध के नीचे का भाग डाइएजसिफेलॉज कहलाता है।
डाइएनसिफेलॉन का निचला भाग हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) कहलाता है जो शरीर के आंतरिक वातावरण का नियंत्रण करता है।
हाइपोथैलेमस शरीर में खाने, पीने, गुस्सा करने की भावनाओं, अधिक या कम ताप का अनुभव, दर्दस, रोने जैसी क्रियाओं को प्रेरित व नियंत्रित करता है।
डाइएनसिफेलॉन (Diencephalon) का ऊपरी भाग थैलेमस (Thalamus) कहलाता है, इसी भाग में पिनियल ग्रंथि (Pineal Gland) पायी जाती है।
B. मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)
यह अग्रमस्तिष्क के हाइपोथैलेमस व पश्चमास्तिष्क के पान्स वैरोलाई के मध्य स्थित होता है। यह मस्तिष्क स्टेम का ऊपरी भाग होता है जिसमें बहुत सारी तंत्रिका कोशिकाएँ कई समूहों में उपस्थित रहती है। मध्य मस्तिष्क में आँख की पेशियों व संतुल के नियंत्रण के केंद्र होते है।
मध्य मस्तिष्क के 02 प्रमुख भाग
1. कार्पोराक्वाड्रीजेमाना (CorporaQuadrigemina): मध्य मस्तिष्क का ऊपरी भाग 04 पिंडों (Lobes) की तरह उभारों का बना रहता है जिन्हे कार्पोरा-क्वाड्रीजेमीना कहते है। कार्पोरा क्वाड्रीजेमीना श्रवण शक्ति व दृष्टि (दृश्य शक्ति) के नियंत्रण के केंद्र होते है।
2. सेरीब्रल पेडन्कल (Cerebral Penduncles): सेरीब्रल पेडन्कल तंतुओं का बन्डल होते है जो मेरूरज्जु व मस्तिष्क के विभिनन भागों से सेरीब्रल कॉर्टेक्स को जोड़ने का कार्य करता है।
C. पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)
पश्चमस्तिष्क मानव मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग है जिसमें निम्नलिखित मुख्य भाग आते है।
(i). अनुमस्तिष्क (Cerebellum)
यह मानव मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग होता है। इसे मेटेनेसिफेलॉन भी कहते है।
मस्तिष्क के पश्च भाग व प्रमस्तिष्क के नीचे स्थित अनुमस्तिष्क होता है। अनुमस्तिष्क को ‘लघु प्रमस्तिष्क ‘ भी कहते है। प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध एवं मस्तिष्क स्तंभ के बीच जड़ित अनुमस्तिष्क 02 अनुमस्तिष्क गोलार्द्ध का बना होता है।
प्रमस्तिष्क की तरह अनुमस्तिष्क का धूसर व्य (Gray Matter) बाहर की तरफ होता है। मध्य स्तर में विशिष्ट रूप से वृहत् फ्लास्क आकार की परकिंजे कोशिकाएं उपस्थित होती है। ये परकिंजे कोशिकाएं असंख्य शाखित दुमिकाओं की उपस्थिति के कारण वृक्ष के आकार की दिखती है व सभी तंत्रिका कोशिकाओं में सर्वाधिक जटिल मानी जाती है। पंखों (पक्षों) के बीच एक ग्रब (Grub) आकार की तरंगित (लहरदार) रचना उपस्थित होती है जिसे वर्मिस (Vermis) कहते है।
अनुमस्तिष्क के द्वारा शरीर के किसी भी हिस्से में गति प्रारंभ तो नहीं होती है। लेकिन यह प्रेरक नियंत्रण को अनुकुलित अथवा पुनर्गठित करता है। अनुमस्तिष्क के अचेतन दिशानिर्देश व प्रमस्तिष्क के चेतन निर्देशों से यह सुनिचित होता है कि शरीर के हिस्सों को कब व कैसे गति करनी है।
मायलिनीकृत तंत्रिका रेशों के 03 युग्मित बंडल अनुमस्तिष्क व केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के अन्य हिस्सों के बीच संचार मार्ग की संरचना करता है, जिसे अनुमस्तिष्क बृतक (Cerebellar Pedumcles) कहते है। उच्च अनुमस्तिष्क वृतक अनुमस्तिष्क को मध्य मस्तिष्क से मध्य अनुमस्तिष्क वृतक पॉन्स से संचार स्थापित करता है व निम्न अनुमस्तिष्क वृतक अनुमस्तिष्क एवं मेड्युला ऑब्लांगेटा के साथ-साथ मेरूरज्जु के बीच संचार मार्ग की संरचना करता है।
अनुमस्तिष्क का मुख्य कार्य मुद्रा समन्वय व संतुलन (Posture Balancing) ऐच्छिक पेशियों की गतियों का नियंत्रण, शरीर का संतुलन बनाए रखना, व कान के आंतरिक भाग से संतुलन संवेदना ग्रहण करके शरीर को संतुलित करना है।
(ii). पॉन्स वारालाई (Pons Vorolii)
मस्तिष्क स्टेम या स्तंभ (Brain Stem) के अंतर्गत पॉन्स वोरोलाई (Pons Varolii) व मेडुला ऑब्लांगेटा (Medulla Oblongata) मुख्य रूप से आते है।
पॉन्स वोरोलाई मस्तिष्क स्तंभ (Brain Stem) की छत का निर्माण करते है।
पॉन्स वोरोलाई प्रमस्तिष्क (Cerebrum) व अनुमस्तिष्क (Cerebellum) के बीच तंत्रिका कड़ी (Neural Link) बनाते है।
ये श्वसन (Respitration) को नियंत्रित करने का मुख्य कार्य करते है।
पॉन्स वोरोलाई तंत्रिका तंतुओं से निर्मित मडुला के अग्रभाग में स्थित रहता है।
(iii). मेडुला आब्लांगेटा (Medulla oblongata)
मेडुला आब्लांगेटा एक बेलनाकार संरचना होती है जो मानव मस्तिष्क के पिछले सिरे से प्रारम्भ होकर रीढ़ की हड्डियों में स्थित तंत्रिका गुहा (Neural Canal) के अंदर से होती हुई रीढ़ के अंत तक फैली रहती है।
मेडुला आब्लांगेटा में विभिन्न तंत्रिका केंद्र अनैच्छिक क्रियाओं के नियंत्रण केंद्र स्थित होते है।
1. हृदय केंद्र (Cardiac Centre): यह हृदय की धड़कन, गति को नियमित व
नियत्रित करता है।
2. वासोमोटर केंद्र (Vasomotor Centre): यह रक्त वाहिनियों में रक्त दाब (Blood Pressure) को नियमित व नियत्रित रखने के लिए वाहिनियों व वाहिकाओं के व्यास (मोटाई) को घटाने व बढ़ाने का कार्य करता है।
3. श्वसन केंद्र (Respiratory Centre): यह श्वसन गति को नियमित व नियंत्रित करने का कार्य करता है।
मेडुला आब्लांगेटा द्वारा ही सूचनाओं का संचालन मस्तिष्क से मेरूरज्जु (Spinal Cord) के बीच किया जाता है।
मस्तिष्क के मुख्य भागों के कार्य
1. अग्रमस्तिष्क का आलफेक्ट्री या घ्राण पिण्ड (Olfactory Lobe): गंध का ज्ञान।
2. प्रमस्तिष्क (Cerebrum): सीखने का केंद्र, सोचने, समझने व ऐच्छिक क्रियाओं पर नियंत्रण, रोने हसने की भावनाएँ।
3. डाइएनसिफेलॉन (Diencephalon): नीद, जनन क्रियाएँ व उपापचरी क्रियाओं (Metabolic Activity) पर नियंत्रण।
4. हाइपोथैलेमस (Hypothalamus): भूख, प्यास, ताप का नियंत्रण स्वायत्त तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण।
5.मध्यमस्तिष्क का कार्पोरा क्वाड्रीजेमीना (Corpora Quadrigemina): दृष्टि ज्ञान।
6. अनुमस्तिष्क या सेरीबलम (Cerebellum): मांसपेशियों का संकुचन (Contraction) व शिथिलन (Relaxation) तथा साम्यावस्था का नियंत्रण।
7. मेडुला ऑब्लागेटा (Medulla Oblongata): हृदय की धड़कन (Heart Beation), आहार नाल की क्रमांकुचन गति (Peristatic Movement),श्वसन,
अनैच्छिक क्रियाओं का केंद्र, पाचन (Digestion) पर नियंत्रण।
मस्तिष्क से संबंधित रोग
1. कोमा (Coma): मनुष्य बेहोश हो जाता है व किसी भी प्रकार की उद्दीपन (Stimulus) क्रिया नहीं करता।
2. इनसिफेलाइटिस (Encephalities): विषाणु संक्रमण से मस्तिष्क में सूजन होने से बेहोशी।
3. मेनिन्जाइटिस (Meningitis): विषाणु, जीवाणु या कवक (Fungi) संक्रमण से मस्तिष्क की झिल्ली मे सूजन आने से ज्वर कमर दर्द व लकवा।
4.मिर्गी (Epilepsy): पेशियों में झटके से गति होने लगती है व मुँह से झाग निकलता है।
5.सेरीब्रल पॉल्सी (Cerebral Polsy): माँसपेशियों का समन्वय बिगड़ जाने पर रोगी को लकवा मार जाता है व रोगी बोल नहीं पाता।
6. कन्कशन (Concussion): मस्तिष्क में बाहरी अघात (चोट लगने पर) बेहोशी व कभी-कभी स्मरण शक्ति का ह्रास हो जाता है, इसे एमनेसिया (Amnesia) भी कहते है।
7. सिरदर्द (Headache): यह तंत्रिका तंत्र का सामान्य रोग है।
8. डिसलेक्सिया (Dyslexia): यह एक रोग है जो मस्तिष्क विकार के कारण होता है। रोगी लिखी हुई भाषा को समझने में असमर्थ होता है।
9. पारकिन्सन रोग (Parkinson’s Diesase or Paralysis Agitans): यह रोग मस्तिष्क के न्यूरॉन्स (Neurons) के क्षय होने के कारण होता है इसमेंशरीर व अंगों मे कम्पन (Tremors) होता है व स्मृति कमजोर हो जाती है।
10. इलेक्ट्रोएनसिफेलोग्राफ (Electroencephalograph): मस्तिष्क गतिविधि का पता करने के लिए प्रयोग होता है।
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सजीव एवं निर्जीव वस्तुओं का अर्थ एवं अन्तर
रेखित,अरेखित तथा हृद पेशियों में अंतर
वास्तविक विलयन और कोलाइडी विलयन में अंतर
प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर
चालन संवहन तथा विकिरण में अंतर
रेखीय वेग और कोणीय वेग में अंतर
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