स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

पोषक तत्त्व एवं इसकी आवश्यकता | भोजन करने का समय

पोषक तत्त्व एवं इसकी आवश्यकता
पोषक तत्त्व एवं इसकी आवश्यकता

पोषक तत्त्व एवं इसकी आवश्यकता

जिस भोजन का हम सेवन करते हैं उसमें अनेक रासायनिक तत्त्व होते हैं। इन रासायनिक तत्त्वों को पोषक तत्त्व कहते हैं। “पोषक तत्त्व भोजन में उपस्थित वे अदृश्य घटक हैं जिनकी आवश्यकता हमें शरीर को स्वस्थ रखने के लिए होती है।” इन पोषक तत्त्वों के विभिन्न नाम हैं। तथा ये हमारे शरीर में अनेक कार्य करते हैं। अब तक लगभग 50 से अधिक पोषक तत्त्वों की खोज हो चुकी है जिन्हें रासायनिक संरचना और गुणों के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

1. मुख्य या स्थूल पोषक तत्त्व – भोजन का अधिकांश भाग कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन तथा जल से मिलकर बना होता है। इन्हें मुख्य या स्थूल पोषक तत्त्व कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन को भोजन के प्रत्यक्ष मूलतत्त्व या ऊर्जादायी आहार के रूप में भी जाना जाता है। जल को भोजन और स्थूल पोषक तत्त्व दोनों का दर्जा दिया गया है।

2. सूक्ष्म पोषक तत्त्व – भोजन में विटामिन तथा खनिज लवण कम मात्रा में पाये जाते हैं अतः इन्हें सूक्ष्म पोषकं तत्त्व कहते हैं। ये भी शरीर के लिए उतने ही आवश्यक हैं जितने कि स्थूल पोषक तत्त्व।

पोषक तत्त्वों की आवश्यकता

भारतीय जनसमुदाय के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा पोषक तत्त्वों के दैनिक भत्ते का निर्धारण किया गया है। जनसमुदाय पोषक तत्त्वों को आहार के रूप में ग्रहण करता है इसलिए जब पोषण की बात होती है तो हम विभिन्न भोज्य समूहों के संदर्भ में बात करते हैं ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने आहार को अपनी शारीरिक आवश्यकतानुसार दिन भर में बांट सके। इस तरह सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा में प्रतिदिन प्राप्त हो सकते हैं। स्वास्थ्य और पोषण, मानव वृद्धि एवं विकास में सुधार लाने वाले मुख्य कारक हैं। आज के भारत में कुपोषण के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’ की अल्पता, पोषणजनित रक्त अल्पता या एनीमिया तथा आयोडीन की कमी से होने वाले विकार प्रमुख हैं।

भोजन करने का समय?

सुबह उठने पर पहला कार्य- हम जानते हैं कि मानव शरीर में 70 प्रतिशत से अधिक जल है अतः सुबह उठने के बाद पहला कार्य शरीर को पुनःजलयोजित करना है। इसके लिए 2 से 3 गिलास सादा जल या उसमें नींबू भी मिलाकर लिया जा सकता है या हर्बल या ग्रीन टी भी विकल्प के रूप में प्रयोग की जा सकती है।

सुबह का नाश्ता – शरीर के मेटाबॉलिज्म को सही बनाए रखने के लिए हमें नाश्ता सुबह 8 बजे तक ले लेना चाहिए, सुबह के 9 एवं 10 बजे तक नाश्ता लेना आदर्श स्थिति नहीं है। नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट एवं प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होनी चाहिए। यदि आप नाश्ते को बहुत देर से लेते हैं या सीधे ही भोजन लेने के आदी हैं तो यह आदत आपके पाचन तंत्र एवं मेटाबॉलिज्म के लिए सही नहीं है क्योंकि रात के खाने के बाद शरीर को 8-9 घंटे बाद ऊर्जा प्राप्ति हेतु भोजन की आवश्यकता होती है।

दोपहर का भोजन- दोपहर का भोजन 12.30 से 1.00 बजे तक कर लेना चाहिए। यदि दोपहर का भोजन 2.00 या 3.00 बजे तक किया जाता है तो इससे शरीर को पोषणीय संतुलन बनाने में समायोजन करना पड़ता है। दोपहर के भोजन में सलाद, दही, चपाती, दाल, सब्जियाँ आदि को सम्मिलित करना चाहिए।

शाम को 4.00 बजे नाश्ता – यदि आपने दोपहर का भोजन संतुलित एवं पर्याप्त मात्रा में लिया है तो लगभग 4.00 के आसपास आपको हल्का नाश्ता या कुछ मीठा खाने का मन कर सकता है क्योंकि इस समय शरीर में ब्लड शुगर लेवल कम रहता है। इसके लिए इस समय आप प्रोटीन से भरपूर कोई हल्का नाश्ता ले सकते हैं।

रात का भोजन- रात के भोजन समय में गर्मी एवं सर्दी के मौसम में कुछ अंतर हो सकता है। किन्तु भोजन देर रात में ग्रहण करने की आदत स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है। रात को भोजन हल्का एवं सुपाच्य होना चाहिए। वे व्यक्ति जो अधिक परिश्रम करते हैं वे इस समय भी भोजन की मात्रा में परिवर्तन कर सकते हैं। रात का भोजन 7.00 बजे- 8.00 बजे तक अवश्य ग्रहण कर लेना चाहिए।

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shubham yadav

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