अनुक्रम (Contents)
भोजन पकाने से पूर्व तैयारी के दौरान पौष्टिक तत्त्वों का संरक्षण
1. सब्जियों को छीलने और काटने से पहले धो लें। यदि सब्जियों को छीलकर और काटकर धोया जाए तो इससे जल में घुलनशील विटामिन व खनिज लवण भी पानी में निकल जाते हैं।
2. सब्जियों का छिलका बारीक ही उतारें। आलू, शकरकन्द और चुकन्दर जैसी सब्जियों को उबालने के पश्चात् ही छीलें।
3. फल व सब्जियों को जरूरत के समय ही काटें क्योंकि उन्हें काटने के बाद अधिक देर तक रखने से उनके विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
4. वायु के सम्पर्क में आने से उनमें उपस्थित कुछ विटामिन्स ऑक्सीजन क्रिया द्वारा नष्ट हो जाते हैं। साथ ही यह भी जरूरी है कि काटते समय बड़े-बड़े टुकड़ों में ही काटें ताकि कटी हुई फल या सब्जी का कम-से-कम हिस्सा वायु के सम्पर्क में आए। इस प्रकार भी ऑक्सीकरण द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
5. सूखे खाद्य पदार्थ, जैसे-चावल, दाल आदि को भी बहुत ज्यादा न धोएं, नहीं तो कुछ पौष्टिक तत्त्व पानी में निकल जाते हैं।
6. इसी प्रकार मांस, मछली आदि को भी बहुत अधिक नहीं धोना चाहिए।
भोजन पकाते समय पौष्टिक तत्त्वों का संरक्षण
1. भोजन पकाते समय सोडे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे थायमीन व विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं।
2. सब्जियों को पकाते समय कम-से-कम देर तक पकाएँ। इसके लिए बेहतर है कि इन्हें खौलते हुए पानी में डालकर और ढक्कन लगा कर पकाएँ।
3. किसी भी खाद्य पदार्थ को तलते समय घी या तेल का तापमान आवश्यकता से अधिक नहीं होना चाहिए।
4. जहाँ तक हो सके खाना ‘प्रेशर कुकर में बनाएँ-इसमें पौष्टिक तत्त्व अत्यधिक मात्रा में सुरक्षित रहते हैं और समय तथा ईंधन भी कम लगता है।
5. खाद्य पदार्थों को उबालने के लिए आवश्यकता से अधिक पानी का प्रयोग न करें। यदि कभी पानी बच जाए तो उसे फेंकना नहीं चाहिए, अपितु किसी और व्यंजन को बनाने में प्रयोग कर लेना चाहिए। उदाहरण के तौर पर चावल उबालते समय बचा हुआ पानी दालों में डाला जा सकता है और यदि सब्जियाँ उबालने में पानी अधिक हो जाए तो उसे सूप बनाने में या रसा आदि बनाने के प्रयोग में लाया जा सकता है।
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