स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

प्राथमिक उपचार का अर्थ और परिभाषा | शारीरिक शिक्षा और खेलकूद में प्राथमिक उपचार का महत्त्व

प्राथमिक उपचार का अर्थ और परिभाषा
प्राथमिक उपचार का अर्थ और परिभाषा

प्राथमिक उपचार का अर्थ और परिभाषा

प्राथमिक उपचार शब्द की उत्पत्ति – प्राथमिक उपचार शब्द सर्वप्रथम सेंट जॉन एम्बुलेन्स एसोसिएशन, इंग्लैण्ड द्वारा वर्ष 1879 में अधिकारिक तौर पर अपनाया गया था। प्राथमिक उपचार शब्द को 1894 तक अभिव्यक्त नहीं किया गया था, उस समय यह कहा जाता था कि “कोई भी व्यक्ति जिसे किसी अधिकृत संगठन से यह प्रमाण-पत्र प्राप्त है कि वह प्राथमिक उपचार देने के लिए योग्य है।”

प्राथमिक उपचार शब्द की उत्पत्ति के जनक- प्राथमिक उपचार अवधारणा के जनक इस्मार्क थे। उनका जन्म शेल्सवीन, हॉल्स्टीन, जर्मनी में हुआ था और वे पेशे से एक प्रतिष्ठित सर्जन थे। उन्हें फैंको-प्रूसियन युद्ध में जर्मन सेना में सर्जन जनरल के तौर पर नियुक्ति मिली थी। उनके द्वारा लिखित दो मैनुअल अधिक प्रसिद्ध हुए।

1. “First aid on the battlefield.”

2. “First aid to the injured.”

परिभाषा – “प्राथमिक उपचार किसी चोटिल या अचानक रोगग्रस्त व्यक्ति को अस्थायी एवं तुरन्त दी गई उपचार सहायता है जिसमें नियमित चिकित्सा देने से पहले वहाँ उस समय उपलब्ध सामग्री का प्रयोग किया जाता है।”

शारीरिक शिक्षा और खेलकूद में प्राथमिक उपचार का महत्त्व

(1) किसी भी प्रकार के खेल के संचालन, व्यायामों के निष्पादन, कौशल प्रशिक्षण आदि खेलकूद से सम्बन्धित कार्यक्रमों में ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता सदैव रहती है जिसके पास मूलभूत प्राथमिक उपचार का ज्ञान हो और जो चोटिल खिलाड़ी के उपचार के लिए आवश्यक चोट प्रबंधन कौशलों में दक्ष हों।

(2) यदि किसी खेल प्रतियोगिता के दौरान एक पूरी तरह से सुसज्जित प्राथमिक उपचार की किट की व्यवस्था नहीं है तो आपातकालीन स्थिति को नियंत्रित करना अत्यन्त ही कठिन हो जाता है। ऐसी स्थिति में चोटिल खिलाड़ी को समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल पाता, जिसके कारण उसके स्वास्थ्य और खेल कैरियर को गंभीर क्षति का जोखिम बना रहता है।

(3) जब किसी टीम के खिलाड़ियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की बात आती है तो उस टीम का सबसे महत्त्वपूर्ण सदस्य प्राथमिक उपचारक ही होता है। जब खेल के दौरान कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो प्राथमिक उपचारक ही अपनी विशेषता के साथ उसके प्रबंधन के लिए तैयार रहता है। प्राथमिक उपचारक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह चोट लगने के तुरन्त बाद स्थिति का आकलन कर तत्काल सही उपचार को लागू करे ताकि चोट की समस्या अति गंभीर न हो।

(4) किसी भी प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन के लिए अन्य कारकों के साथ यह भी आवश्यक है। कि टीम के साथ प्राथमिक उपचार में प्रशिक्षित एक व्यक्ति और उसके पास एक अच्छी तरह से सुसज्जित प्राथमिक उपचार की किट हो ।

(5) वर्तमान में लगभग प्रत्येक खेल में विभिन्न नियमों, खेल सतहों एवं तकनीकी उपकरणों के प्रयोग में तेजी से बदलाव आ रहा है। ये बदलाव एक खिलाड़ी के लिए भी तेजी से बढ़ रहे हैं जो खेल के दौरान विभिन्न खतरों को खड़ा करते हैं। इसलिए टीम के साथ एक जिम्मेदार व्यक्ति को इस बारे में पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए कि वह किसी बीमार, घायल या विभिन्न कठिन परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार बदलाव के साथ प्राथमिक उपचार प्रदान कर सकें।

(6) इसके अतिरिक्त खेलकूद के प्राथमिक उपचारक को सामान्य क्षतियों एवं खेलकूद की चोटों के बारे में सामान्य उपचार, दवाइयाँ व उनकी खुराक की मात्रा सहित देने तथा चोटिल खिलाड़ी को संभालने में भी कुशल होना चाहिए।

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shubham yadav

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