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खनिज लवण
वह तत्त्व जो पादप और जन्तु ऊतकों के पूर्ण रूप से जलने के पश्चात् प्राप्त होते हैं, खनिज लवण कहलाते हैं। मानव शरीर में लगभग 24 खनिज लवण भिन्न-भिन्न मात्राओं में पाये जाते हैं। इन खनिज लवणों की बहुत अल्प मात्रा में शरीर को आवश्यकता होती है। रोगों से बचाव व अन्य शारीरिक क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने में ये खनिज लवण महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
खनिज लवणों का वर्गीकरण
शरीर में खनिज लवणों की आवश्यकतानुसार इन खनिजों को दो मुख्य वर्ग में बाँटा गया है-
(1) मुख्य खनिज लवण- ये खनिज लवण जिनके शरीर में अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है— कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम एवं क्लोराइड।
(2) सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व – ऐसे खनिज लवण जिनके शरीर में कम मात्रा में आवश्यकता होती है— लौह तत्त्व, आयोडीन, जिंक एवं ताँबा
खनिज लवण के प्रकार
1. कैल्शियम तथा फॉस्फोरस
मानव शरीर में लगभग 1,200 ग्राम कैल्शियम और 400-700 ग्राम मैग्नीशियम होता है। ये दोनों खनिज लवण मिलकर शरीर की कुल खनिज लवण की मात्रा का 75 प्रतिशत भाग बनाते हैं। कैल्शियम तथा फॉस्फोरस की अधिकांश मात्रा अस्थियों तथा दाँतों में होती हैं तथा शेष मात्रा शरीर के कोमल ऊतकों एवं द्रव्यों जैसे रक्त में होती है।
स्रोत
वानस्पतिक स्रोत में मोटा अनाज (रॉगी, बाजरा), दालें, (चना, उड़द, मूँग, राजमा, मोठ, सोयाबीन), तिलहनों में तिल, सूखे मेवों में नारियल, बादाम, अखरोट । पशुजन्य स्रोत में दूध और दूध से निर्मित उत्पाद, अण्डे एवं मछली ।
कैल्शियम के कार्य
(1) हृदय की मांसपेशियों के संकुचन तथा प्रसारण का नियंत्रण, (2) कोशिकाओं में पदार्थों के आवागमन में सहायक, (3) तंत्रिका कोशिकाओं में उद्दीपनों के नि आवागमन में सहायक, (4) रक्त का थक्का जमने में सहायक, (5) अस्थियों एवं दाँतों का विकास। फॉस्फोरस का कार्य- (1) चयापचय क्रियाओं में सहायक, (2) मौलिक आनुवंशिक पदार्थों के निर्माण में आवश्यक (3) मांसपेशी ऊतक में ऊर्जा को संग्रहित करने में सहायक।
2. सोडियम तथा पोटेशियम
मानव शरीर में सोडियम सभी शारीरिक द्रव्यों में पाया जाता है। इसकी अधिकांश मात्रा कोशिका के बाहर स्थित द्रव्य में होती है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में लगभग 120 ग्राम पाया जाता है। इसका अधिकांश भाग अंतः कोशिकी द्रव्य में पाया जाता है। पोटैशियम शरीर में सोडियम की अपेक्षा दोगुनी मात्रा में पाया जाता है। इसका अधिकांश भाग बाह्य कोशिका द्रव्य में पाया जाता है।
स्त्रोत
खाने वाला नमक (सोडियम क्लोराइड) सोडियम का सबसे अच्छा स्रोत है। वानस्पतिक स्रोत में दालें, साबुत अनाज, फल तथा हरी पत्तेदार सब्जियाँ। पशुजन्य स्रोत में और दूध से निर्मित उत्पाद, अंडे, मांस, मुर्गा, मछली आदि सोडियम तथा पोटैशियम के अच्छे दूध स्रोत हैं।
कार्य
(1) अतः एक बाह्य कोशिका द्रव्य के संतुलन में सहायक।
(2) शारीरिक द्रव्यों का क्षारता एवं अम्लता के संतुलन में सहायक।
4. मैग्नीशियम
मानव शरीर में मैग्नीशियम शारीरिक द्रव्यों, ऊतकों एवं अस्थियों में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस के साथ पाया जाता है।
स्त्रोत
वानस्पतिक स्रोत में अनाज (गेहूँ, ज्वार, बाजरा), दालें (सोयाबीन, राजमा, मोठ), सूखे मेवे, काजू, अखरोट, बादाम, हरी पत्तेदार सब्जियाँ । पशुजन्य स्रोत में दूध और दूध से निर्मित उत्पाद, मछली, केंकड़ा, घोंघा आदि।
कार्य
(1) कोशिकाओं में पदार्थों के आवागमन पर नियंत्रण।
(2) अस्थियों तथा दाँतों के निर्माण में सहायक ।
(3) तंत्रिका तन्त्र के सुचारू रूप से कार्य करने में सहायक।
(4) प्रोटीन के निर्माण में सहायक।
सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व
(i) लौह तत्त्व
मानव शरीर में मुख्य खनिज लवणों की अपेक्षा लौह तत्त्व बहुत अल्प मात्रा आवश्यक है। शरीर में लौह तत्त्व सबसे अधिक रक्त में पाया जाता है। शरीर में लौह तत्त्व की अनुमानित मात्रा 3-4 ग्राम है।
स्त्रोत
वानस्पतिक स्रोत में अनाज (गेहूँ, ज्वार, बाजरा, रॉगी), दालें (सोयाबीन), हरी पत्तेदार सब्जियाँ तथा गुड़। पशुजन्य स्रोत में मांस उत्पाद (यकृत, गुर्दा, मांस, अंडा पीतक) ।
कार्य
(1) हीमोग्लोबिन के निर्माण में सहायक।
(2) ऑक्सीजन के परिवहन में आवश्यक।
(3) चयापचय क्रिया में सहायक।
(4) संक्रमण से रक्षा करने में सहायक।
(ii) आयोडीन
एक सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व है। आयोडीन ग्रीवा में स्थित थॉयराइड ग्रन्थि द्वारा निकलने वाले हॉर्मोन थायरॉक्सिन के निर्माण में सहायक होता है। शरीर में आयोडीन की अनुमानित मात्रा 20-25 ग्राम है।
स्त्रोत
वानस्पतिक स्रोत में तटवर्ती क्षेत्रों में उगाई गई सब्जियों में काफी मात्रा में आयोडीन पाया जाता है। पशुजन्य स्रोत में समुद्री मछली, कॉड लिवर तेल, अंडा एवं दूध।
कार्य
(1) कोशिकाओं में ऑक्सीकरण की दर के नियंत्रण में सहायक।
(2) तन्त्रिका तथा पेशी ऊतक के कार्य करने में सहायक।
अन्य सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व
जिंक और कॉपर अन्य सूक्ष्ममात्रिक तत्त्व हैं जो सामान्यतः हमारे भोजन में पर्याप्त मात्रा में होते हैं। जिंक शरीर की वृद्धि व विकास एवं सुरक्षात्मक कार्य के लिए आवश्यक है। कॉपर हीमोग्लोबिन के निर्माण और एंजाइमों के निर्माण में सहायक है।
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