स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व
यह सर्वविदित है कि केवल स्वास्थ्य सूचनाओं और ज्ञान के प्रसार से लोगों द्वारा अपनाये जाने वाले स्वास्थ्य व्यवहार में कोई दूरगामी परिवर्तन नहीं आता है। व्याख्यानों और वार्त्ताओं के माध्यम से दी गई स्वास्थ्य जानकारी लोग शीघ्र ही भूल जाते हैं। दूसरी ओर ऐसा अनुभव किया गया है कि ऐसी स्वास्थ्य गतिविधियाँ जिनमें लोग स्वयं भागीदारी करते हैं वे स्वास्थ्य शिक्षा के अधिक स्थायी साधन हैं।
स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए या स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करने के लिए लोगों को स्वास्थ्यप्रद व्यवहार को अपनाने हेतु प्रेरित करना होगा। स्वास्थ्य शिक्षा, परिवार नियोजन, मलेरिया उन्मूलन, तपेदिक नियंत्रण, स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, कचरे का उचित निस्तारण, संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों का निदान आदि विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की संभावित सफलता का मूलाधार है। स्वास्थ्य शिक्षा, लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं और इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले संस्थानों के मध्य एक सेतु का कार्य करती है। स्वास्थ्य शिक्षा-रूपी यह सेतु ही किसी भी स्वास्थ्य कार्यक्रम में लोगों की भागीदारी प्राप्त करने का प्रमुख उपागम है। जनभागीदारी के बिना कोई भी स्वास्थ्य कार्यक्रम सफल नहीं हो सकता और स्वास्थ्य शिक्षा ही वह साधन है जो जनभागीदारी को सुनिश्चित करती है। स्वास्थ्य शिक्षा को शिक्षा की गुणात्मक, व्यावहारिक एवं गतिशील प्रक्रिया माना जाता है, क्योंकि
1. स्वास्थ्य शिक्षा घर-परिवार और समाज में स्वास्थ्यप्रद एवं सुरक्षात्मक व्यवहारों को अपनाने के प्रति जागरूकता बढ़ाती है।
2. स्वास्थ्य शिक्षा, विकलांग व्यक्तियों की शिक्षा में भी योगदान देती है। स्वास्थ्य शिक्षा ऐसे व्यक्तियों को उचित निर्देशन एवं चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराती है।
3. संक्षेप में स्वास्थ्य शिक्षा, सभी वर्ग और आयु समूह के लोगों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं और इन आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले संस्थानों के मध्य एक सेतु का कार्य करती है।
4. स्वास्थ्य शिक्षा दैनिक जीवन से सम्बन्धित स्वास्थ्यप्रद आदतों को प्रोत्साहित कर लोगों को सीखने के प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करती है।
5. स्वास्थ्य शिक्षा छात्रों को मानव शरीर के संरचनात्मक और क्रियात्मक आधारों से अवगत कराती है।
6. स्वास्थ्य की एक समग्र अवधारणा के विकास में स्वास्थ्य शिक्षा जैविक, सामाजिक और चिकित्सीय विज्ञानों में स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी को एकत्रित करती है।
7. यह लोगों को स्वास्थ्य के सम्बन्ध में सही जानकारी प्राप्त करने के अधिकार को सुनिश्चित करती है। यदि इस तरह की जानकारी लोगों को सुलभता से उपलब्ध नहीं होती है तो उसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं। लोगों की मान्यताओं, आदतों, प्रथाओं एवं व्यवहार में ज्ञान के माध्यम से व्यवहारात्मक परिवर्तन लाना ही स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य है।
8. स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्तियों को किसी निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति हेतु व्यवहारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होती है।
9. स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ है व्यक्ति, समूह या समुदाय को इस प्रकार व्यवहारात्मक प्रशिक्षण प्रदान करना जिससे कि वे स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने के प्रति जागरूक हो सकें।
10. स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति, समूह या समुदाय के उन सभी अनुभवों का कुल योग है जो स्वास्थ्य के सम्बन्ध में लोगों के विश्वास, आदतों और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं, साथ ही स्वास्थ्य शिक्षा उन प्रक्रियाओं और प्रयासों से भी जुड़ी है जो लोगों के सर्वोत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की दिशा में किये जाते हैं।
11. स्वास्थ्य शिक्षा की समावेशी अवधारणा यह मानती है कि व्यक्ति, समूह या समुदाय जो सोचता और अनुभव करता है उस पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के अनुभवों का प्रभाव होता है। स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्यप्रद सकारात्मक जानकारियों एवं नये विचारों से अवगत कराती है।
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