स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

स्वास्थ्य के विभिन्न आयाम | different dimensions of health in hindi

स्वास्थ्य के विभिन्न आयाम

‘स्वास्थ्य’ शब्द से हम सभी परिचित हैं। इस शब्द का अर्थ जानने के लिए हम विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दी गई परिभाषा पर विचार कर सकते हैं। “स्वास्थ्य का अर्थ है, न केवल बीमारी या शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति अपितु, शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ होना।”

केवल बीमारी का न होना ही स्वास्थ्य नहीं अपितु मानव को पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए। किसी रोग से ग्रस्त न होने पर भी एक व्यक्ति प्रसन्नचित्त व पूर्णतया स्वस्थ नहीं होता। कई बार थकान का अनुभव करते हैं और कार्य करने की क्षमता या ताकत हममें नहीं होती है। ऐसे समय में हम प्रसन्नचित्त और पूर्णतया स्वस्थ नहीं होते हैं। यद्यपि ऐसा सदैव नहीं होता। इसी प्रकार, कई बार हम रोगग्रस्त भी हो जाते हैं। इसका तात्पर्य है कि कोई भी व्यक्ति सदैव पूर्ण स्वस्थ नहीं होता है किन्तु ऐसे व्यक्ति को हम स्वस्थ कह सकते हैं जो अधिकांश समय स्वस्थ रहता है।

1. पर्यावरणीय आयाम

मानव के भौतिक वातावरण के उन सभी घटकों का नियंत्रण जो उसके शारीरिक विकास, स्वास्थ्य और अस्तित्व पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। अधिकांश बीमारियों का कारण खराब पर्यावरण स्वच्छता ही है। अतः किसी भी स्वास्थ्य योजना का पहला कदम पर्यावरण नियंत्रण के द्वारा उन कारकों को नियंत्रित करना है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

2. व्यावसायिक आयाम

व्यावसायिक स्वास्थ्य आयाम का पहला कार्य सभी व्यवसाय में कार्यरत व्यक्तियों के स्वास्थ्य उन्नयन से सम्बन्धित होता है। इस आयाम का मुख्य लक्ष्य सभी व्यवसायों में कार्यरत व्यक्तियों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण के सर्वोच्च स्तर को प्रोत्साहित और संवर्द्धित करना है।

3. शैक्षिक आयाम

शैक्षिक आयाम समाज को स्वास्थ्यप्रद नियमों के पालन, अपने आस पास के वातावरण की स्वच्छता, पर्यावरण के संतुलन के प्रति जागरूकता, दैनिकचर्या की स्वास्थ्यकर आदतों के विकास द्वारा व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के प्रति जागरूकता का विकास करती है।

4. उपचारात्मक एवं निवारणात्मक आयाम

यह आयाम सामुदायिक स्वास्थ्य के अन्तर्गत सामुदायिक निदान और सामुदायिक उपचार पर बल देता है। उपचारात्मक, निवारात्मक और उन्नायक स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण को सामुदायिक स्वास्थ्य के अन्तर्गत माना जाता है।

5. सामाजिक आयाम

यदि कोई व्यक्ति स्वयं को एक परिवार का सदस्य समझता है और व्यापक समुदाय पहचान की योग्यता रखता है तो यही सामाजिक स्वास्थ्य की ओर उसका पहला कदम है। एक व्यक्ति, जो समाज के अन्य सदस्यों के प्रति अपने उत्तरदायित्त्व को समझता है और आस-पास के लोगों से सम्बन्ध बनाए रखने की योग्यता उसमें है, तो उसे सामाजिक रूप से स्वस्थ कहा जा सकता है।

शारीरिक रूप से अस्वस्थता व्यक्ति को चिड़चिड़ा और उदास बनाती है और इसी कारण वह अन्य लोगों से सामान्य रूप से व्यवहार नहीं कर पाता है। इसी प्रकार, मानसिक अस्वस्थता दूसरों के साथ पारस्परिक क्रियाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है अतः उसमें समाज के उपयोगी सदस्य होने की क्षमता कम हो जाती है।

6. आत्मिक आयाम

भारतीय समाज में एक स्वस्थ व्यक्ति लगभग हर समय धार्मिक और नैतिक नियमों व आचरण का पालन करने का प्रयास करता है। सत्कार्य करना तथा दूसरों को हानि न पहुँचाना, अच्छाई और न्याय की मूल शक्तियों में विश्वास, दूसरों की आवश्यकताओं को समझना और उन्हें पूरा करना, कर्त्तव्य एवं जिम्मेदारी के प्रति आबद्ध रहना, यह आत्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के गुण हैं।

7. संवेगात्मक आयाम

संवेग सम्पूर्ण मानवीय तंत्र की सशक्त अनुभूति है। संवेग मानव व्यवहार को प्रेरित करते हैं। संतुलित एवं संवेगात्मक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने संवेगों पर नियन्त्रण रखने में सक्षम होता है। वह अपने संवेगों से अभिभूत नहीं होता है, अपनी क्षमता की सीमा समझने का प्रयास करता है, मनोरंजन की अच्छी आदतों का पालन करता है और विनोद-वृत्ति को विकसित करता

8. पोषणात्मक आयाम

अच्छे स्वास्थ्य का सही आधार पोषण है। अधिकतर बीमारियों का कारण खराब पोषण ही होता है। दैनिक आहार में सभी खाद्य घटकों अर्थात् कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिजतत्त्व और जल की सही एवं संतुलित मात्रा लेना पोषणात्मक आयाम का केन्द्रीय बिन्दु है। शरीर को गतिशील होने के लिए आवश्यक कैलोरी की मात्रा या ताकत उचित आहार द्वारा ही पूर्ति होती है।

9. शारीरिक आयाम

जब हम किसी व्यक्ति के स्वस्थ होने की बातें करते हैं तो सर्वप्रथम उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं। ऐसा व्यक्ति जो दिखने में सतर्क, क्रियाशील, ओजस्वी और कर्मठ होता है, उसे शारीरिक रूप से स्वस्थ कहा जा सकता है।

अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य के प्रमुख लक्षण निम्न हैं-

(i) व्यक्ति ओजपूर्ण तथा सतर्क बना रहता है।

(ii) व्यक्ति का वजन उसकी आयु तथा लम्बाई के अनुरूप सामान्य रहता है।

(iii) आँखें तेज तथा चमकदार रहती हैं और उसके नीचे काले धब्बे नहीं होते हैं।

(iv) प्राकृतिक रंग व रूप के साथ त्वचा एवं बालों का सामान्य विकास होता रहता है।

(v) नींद अच्छी आती है।

(vi) पाचन तंत्र सुचारु रूप से कार्य करता है। संक्षेप में शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सक्रिय, प्रतिक्रियाशील तथा प्रसन्न रहते हैं और

तुलनात्मक दृष्टि से अधिक मेहनत और अच्छा कार्य निष्पादन कर सकते हैं।

10. मानसिक या बौद्धिक आयाम

मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य है, ऐसा व्यक्ति :

(i) जो आंतरिक अंतर्द्वन्द्वों से मुक्त हो । से

(ii) जिसे सदैव अपने को कोसने या अपने आप पर दया दिखाने की आदत न हो।

(iii) जिसमें विभिन्न व्यक्तियों एवं परिस्थितियों के अनुकूल रहने की क्षमता।

(iv) जो दूसरों के भावों के प्रति संवेदनशील हो।

(v) जो अन्य व्यक्तियों से आदर और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने की योग्यता रखता हो।

(vi) जिसका अपनी भावनाओं विशेषतया क्रोध, ईर्ष्या, भय और आत्मग्लानि आदि पर नियंत्रण हो।

शारीरिक स्वास्थ्य की अपेक्षा मानसिक स्वास्थ्य एक जटिल संकल्पना है। इसे मापना अत्यधिक कठिन है। सामान्यतः मानसिक रूप से अधिक अस्वस्थ व्यक्ति को जल्दी ही पहचाना जा सकता है। परन्तु उन व्यक्तियों को पहचानना कठिन होता है, जो दिखने में तो सामान्य लगते हों, परन्तु दूसरों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील न हों और न ही उनके विचारों को समझ सकते हों। ऐसे व्यक्तियों को मानसिक रूप से अस्वस्थ कहना कठिन हो जाता है। किन्तु यही समस्या जब स्थायी और गम्भीर हो जाती है तो उस व्यक्ति को निश्चय ही मानसिक रूप से अस्वस्थ ही कहा जाता है।

इसी भी पढ़ें…

इसी भी पढ़ें…

About the author

shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment