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खाद्य पदार्थों में मिलावट
किसी भी खाद्य पदार्थ में अखाद्य पदार्थ के मिश्रण किये जाने को मिलावट कहते हैं। दूसरे शब्दों में मिलावट का तात्पर्य खाद्य पदार्थों में निम्न श्रेणी के भोज्य पदार्थ को मिलाना होता है। इससे विक्रेता के लाभ का प्रतिशत बढ़ जाता है परन्तु उसे ग्रहण करने से उपभोक्ता को आर्थिक नुकसान के साथ ही उसके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
मिलावट मुख्यतः दो प्रकार से की जाती है
1. मिलावट मूल पदार्थ में किसी अन्य वस्तु को मिश्रित करके की जाती है जिससे खाद्य सामग्री की गुणवत्ता स्वतः ही कम हो जाती है। जैसे दूध में पानी को मिलाना।
2. मिलावट मूल पदार्थ में सम्मिलित कोई पोषक तत्त्व को हटाकर भी की जाती है। जैसे दूध में से वसा हटाकर ।
खाद्य पदार्थों में मिलावट के प्रकार
खाद्य पदार्थ निषेध अधिनियम 1954 के तहत खाद्य पदार्थों में मिलावट दो प्रकार की हो सकती है-
1. अनजाने में हुई मिलावट
अनजाने में हुई मिलावट मानवीय भूल अथवा खाद्य पदार्थों में अकारण अखाद्य पदार्थों का मिश्रण से होती है। उदाहरण-
(1) गेहूँ में कंकड़ या चावल में छोटे-छोटे पत्थर या घास-फूस का मिल जाना।
(2) खाद्य पदार्थों में स्वतः सूक्ष्म जीवाणु (खमीर, फफूँदी आदि) की उत्पत्ति होने की वजह से उसकी गुणवत्ता एवं पौष्टिकता में कमी आती है तथा वह खाने के योग्य भी नहीं रहते।
(3) सरसों की फसल के साथ आर्जिमोन की फसल होना। दोनों ही बीज एक समान होते हैं, परन्तु आर्जिमोन के बीज विषैले होते हैं।
2. इरादे से की गयी मिलावट
इरादे से की गई मिलावट खाद्य पदार्थों में जान-बूझकर की जाती है जिसका मुख्य उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना होता है। उदाहरण-
1. दूध में पानी मिलाना एवं वसा निकाल लेना।
2. घी में डालडा एवं जानवरों की चर्बी मिलाना।
3. दालों को आकर्षक दिखने के लिए इसमें रासायनिक पदार्थ मिला दिये जाते हैं।
4.चायपत्ती में बुरादा और पुरानी चायपत्ती मिला दी जाती है।
खाद्य मिलावट रोकने के मानक
1. खाद्य पदार्थ निषेध अधिनियम, 1954.
2. उपभोक्ता फोरम,
3. बाँट एवं माप-तौल अधिनियम, 1956.
4. पंजीकरण एवं ट्रेड मार्क अधिनियम, 1958.
5. प्रीवेंशन ऑफ ब्लैक मॉर्केटिंग एण्ड मेंटिनेन्स ऑफ सप्लाइज ऑफ एसेंशियल कॉमोडिटिज अधिनियम, 19791
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