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कुब्जता
परिचय – कुब्जता मेरुदण्ड के सामान्य पश्चवर्ती वक्र का अतिविस्तारित रूप है। यह विकृति सामान्यतः मेरुदण्ड के वक्षीय भाग में पायी जाती है जहाँ सामान्य पश्चवर्ती वक्र अधिक बढ़ जाता है, मेरुदण्ड के वक्षीय क्षेत्र में होने के कारण इसे वक्षीय कुब्जता कहते हैं। मेरुदण्ड के ग्रीवा एवं कटिभाग में एक सामान्य अग्रवर्ती वक्र पाया जाता है। यदि यह अग्रवर्ती वक्र उलट कर पश्चवर्ती वक्र जैसा हो जाए तो इस स्थिति को ग्रीवा या कटिकुब्जता कहते हैं।
जब यह विकृति एक बड़े गोलाकार वक्र का रूप धारित करती है तो इस विकृति को प्रायः ‘गोलाकृति पीठ’ के नाम से जाना जाता है। यद्यपि, जब इस विकृति में एक तीव्र पश्चवर्ती उभार पाया जाता है तो इसे ‘कूबड़ पीठ’ कहते हैं।
इस विकृति में पीठ गोलाकार हो जाती है, सिर सामान्यतः सामने की ओर झुक जाता है, सीना सपाट हो जाता है, कंधे गोलाकार हो जाते हैं, दोनों स्कंधफलक सामने की ओर झुक जाता है। कुब्जता मेरुदण्ड की एक आम विकृति है जो किसी भी आयु में हो सकती है, किन्तु अधिकांश मामलों में यह बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था में देखने को मिलती है।
कुब्जता के कारण
(i) आदतजनित दोषयुक्त संस्थिति- कभी-कभी बच्चों में कुब्जता की विकृति श्रवण एवं दृष्टि के दोषों के कारण भी हो सकती है। इसी तरह पढ़ने और लिखने की दोषयुक्त संस्थिति और अनुचित फर्नीचर का उपयोग भी कुब्जता के अंतर्निहित कारक हो सकते हैं।
(ii) पीठ की मांसपेशियों की कमजोरी या पक्षाघात लंबी प्रसारिणी मांसपेशी ।
(iii) शारीरिक और मानसिक थकान ।
(iv) ऐसे व्यवसाय जिनमें व्यक्ति पीठ पर भारी वजन वहन करते हैं।
(v) कभी-कभी बच्चों में जन्म के समय ही वक्षीय क्षेत्र में बढ़ा हुआ आकुंचन वक्र पाया जाता है। ये कुब्जता के जन्मजात कारण कहलाते हैं।
(vi) रिकेट्स जैसी अस्थि से सम्बन्धित बीमारियाँ होने पर ये कुब्जता विकृति को जन्म दे सकती हैं।
(vii) फेफड़ों की बीमारी जैसे एम्फाइसीमा भी कुब्जता विकृति का कारण बन सकती है।
(viii) कुछ मांसपेशियों, अस्थिबन्धों या कशेरुक की चोटें और बीमारियाँ जैसे मेरुदण्ड का क्षयरोग के कारण मेरुदण्ड की क्षमता कम हो जाती है, परिणामस्वरूप कुब्जता दोष हो सकता है।
(ix) विभिन्न प्रकार के गठियावात और सन्धिवात जैसे रोग भी कुब्जता विकृति को जन्म दे सकते हैं।
कुब्जता का उपचार
कुब्जता में दो प्रकार के उपचार – सामान्य और शारीरिक उपचार प्रमुख हैं।
सामान्य उपचार
(i) निदान – यदि विकृति का कारण खराब स्वास्थ्य और निम्न पोषण स्तर है तो इस प्रकार के कारणों का निवारण किया जाना चाहिए।
(ii) उचित देखभाल- यदि विकृति के लिए कोई मनोवैज्ञानिक समस्या उत्तरदायी है तो बीमार व्यक्ति की उचित देखभाल करनी चाहिए।
(iii) संतुलित आहार।
(iv) श्रवण एवं दृष्टि के दोषों का उपचार।
(v) थकान से बचना, पर्याप्त आराम करना चाहिए।
(vi) आदतजनित दोषयुक्त संस्थिति।
(vii) रोगी व्यक्ति को सही शरीर यांत्रिकी के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।
कुब्जता के लिए शारीरिक उपचार
कुब्जता में शारीरिक उपाचर के सामान्य उद्देश्य निम्न हैं—
(i) शरीर को पर्याप्त आराम दिया जाना चाहिए विशेषतः पीठ के ऊपरी भाग को।
(ii) छाती के आगे वाले भाग की मांसपेशियों को स्ट्रेच करना चाहिए, विशेषतः पेक्टोरल मांसपेशियाँ
(ii) पीठ की मांसपेशियों का सुदृढ़ीकरण करना चाहिए, विशेषतः जो मांसपेशियाँ कमजोर हैं और जिनमें खिंचाव है।
(iv) मेरुदण्ड को गतिमान करना ।
(v) श्वसन क्रिया में सुधार।
(vi) संस्थिति की पुनः शिक्षा
कुब्जता के लिए सुधारात्मक व्यायाम
1. कॉर्नर व्यायाम- इस व्यायाम में व्यक्ति, दीवार के कोने की ओर मुँह करके खड़ा होता है और अपने दोनों हाथों से दीवार के दोनों किनारों को पकड़ता है। व्यक्ति के हाथ कंधे की ऊँचाई के समानान्तर होते हैं और कुहनियाँ 90 अंश के कोण पर मुड़ी रहती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति केवल टखने की सन्धि पर दबाव देकर आगे की ओर झुकता और मूलस्थिति में वापस आता है। हैं और हाथों में
2. बेन्च बटरफ्लाई— इस व्यायाम में व्यक्ति एक संकीर्ण बेन्च पर अपनी पीठ के बल लेटता है। व्यक्ति के हाथों में हल्के वजन की प्लेट होती है, भुजाएँ अपवर्तित स्थिति में होती स्थित वजन पेक्टोरल मांसपेशियों के लिए स्ट्रेचिंग बल का कार्य करता है।
3. इस व्यायाम में व्यक्ति अधोमुख स्थिति में फर्श पर लेटता है। वह अपनी छाती और सिर को जहाँ तक संभव हो फर्श से ऊपर उठाने का प्रयास करता है, इस स्थिति में वह कुछ सेकण्ड ठहरता है और पुनः मूलस्थिति में वापस आ जाता है।
4. इस व्यायाम में व्यक्ति घुटनों के बल बैठता है, उसके हाथ पीठ के पीछे की ओर स्थित होते हैं। व्यक्ति आगे की ओर झुकने का प्रयास करते हुए अपने सिर को फर्श से स्पर्श करता है और इस क्रिया को कई बार दोहराता है।
5. कुब्जता के उपाचर में पुश-अप भी एक अच्छा व्यायाम है।
6. कमर के व्यायाम जिनमें सम्मिलित है— झुकना, पाश्र्व प्रसारण और घूर्णन।
7. इस व्यायाम में व्यक्ति एक छोटे स्टूल पर बैठता है, वह अपने हाथों से तौलिये को हाथों को कंधे की चौड़ाई के समतुल्य पकड़ता है और अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर ले जाता है। इस स्थिति से व्यक्ति तौलिये को अपने सिर व कंधों से पीछे की तरफ ऊपर से नीचे की ओर लाता है। इस व्यायाम से पेक्टोरल मांसपेशी स्ट्रेच होती है।
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