स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

शारीरिक शिक्षा का समग्र स्वास्थ्य, व्यक्तिगत जागरूकता एवं सामाजिक उत्तरदायित्व

शारीरिक शिक्षा का समग्र स्वास्थ्य प्राप्ति में योगदान

शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा भावनात्मक पक्षों का विकास करके एक संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करने में योगदान देती है। स्वास्थ्य के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि—“स्वास्थ्य संपूर्ण शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक कल्याण की स्थिति है यह रोग की अनुपस्थिति मात्र नहीं है। शारीरिक शिक्षा व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य की प्राप्ति में सहायक होती है।” इस संदर्भ में श्री अरविंद ने अपने सम्पूर्ण शिक्षा के दर्शन’ में उल्लेख किया है कि “यदि व्यक्ति की संपूर्णता को प्राप्त करना हमारा ध्येय है तो शारीरिक शिक्षा की अवहेलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि शरीर हमारे संपूर्ण विकास का भौतिक आधार है, यह वह माध्यम या उपकरण है जिसके उपयोग के द्वारा हम पूर्णता को प्राप्त होते हैं।”

जॉन लॉके ने भी इसी तरह विचार प्रकट किये हैं, “एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ मस्तिष्क का निवास इस जगत में प्रसन्नतापूर्वक जीवन-यापन की एक संक्षिप्त अपितु परिपूर्ण व्याख्या है।”

शारीरिक शिक्षा का व्यक्तिगत जागरूकता की प्राप्ति में योगदान

शारीरिक शिक्षा विभिन्न रूपों में व्यक्तिगत जागरूकता की प्राप्ति में योगदान देती है, जिनमें प्रमुख निम्न हैं-

(i) शारीरिक शिक्षा स्वस्थपूर्ण आदतों के विषय में शिक्षण के माध्यम से योगदान देती है।

(ii) शारीरिक शिक्षा शिक्षण और कौशलों के विकास एवं खेल एवं व्यायाम के बारे में ज्ञान प्रदान करने में योगदान देती है।

(iii) शारीरिक शिक्षा खेलों के प्रति रुचि जाग्रत कर खेल एवं व्यायामों के प्रति खेल प्रतिभागियों एवं दर्शकों में समालोचनात्मक दृष्टिकोण के विकास में योगदान देती है।

(iv) शारीरिक शिक्षा जीवन दर्शन जिसमें खेलों को स्वस्थपूर्ण जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण माना गया है, के माध्यम से शिक्षा के प्राप्य उद्देश्यों की प्राप्ति में योगदान देती है।

3. शारीरिक शिक्षा का सामाजिक उत्तरदायित्त्व की प्राप्ति में योगदान

शारीरिक शिक्षा निम्न रूपों में सामाजिक उत्तरदायित्त्व के प्राप्य उद्देश्यों में योगदान देती है-

(i) शारीरिक शिक्षा खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से सभी छात्रों को बहुमूल्य सामाजिक अनुभव प्रदान करती है।

(ii) शारीरिक शिक्षा नेतृत्व सम्बन्धी उत्तरदायित्त्वों के निर्वहन के लिए प्रशिक्षण प्रदान करती है।

(iii) शारीरिक शिक्षा खेलों में खेल भावना एवं प्रतिबद्धता जैसे मूल्यों को प्रोत्साहन प्रदान करती है।

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shubham yadav

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