अनुक्रम (Contents)
व्याख्यान विधि (Lecture Method)
व्याख्यान विधि सबसे प्राचीन विधि मानी जाती है। प्राचीन शिक्षा प्रणाली के अनुसार, हमारे देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था गुरुकुल में प्रदान की जाती थी। गुरु द्वारा शिष्य को उपदेश दिया जाता था और वे उदाहरणों द्वारा अपनी बात स्पष्ट करते थे। इस प्रकार अपनाई गई विधि को व्याख्यान विधि का रूप माना जाता था। यह विधि प्रभुत्ववादी विधि मानी जाती थी। इसे आदर्शवादी विचारधारा की देन माना जाता था। आज के युग में विद्यालयों ने इस विधि को अपनाकर इस विधि का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। इस विधि से अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है। अधिकांश विषयों के शिक्षण में इस विधि का प्रयोग अधिक होता है।
व्याख्यान विधि को कार्टर गुड ने अपने शैक्षिक शब्दकोष में शिक्षण विधि माना है। इस विधि में मौखिक उद्बोधन के द्वारा एवं न्यूनतम कक्षा सहयोग से छात्रों में रूचि प्रभाव उत्तेजना अथवा विचारधारा व आलोचनात्मक चिन्तन विकसित किया जा सकता है। इसके लिए मानचित्र, चार्ट या किसी भी दृश्य सामग्री का प्रयोग किया जा सकता है।
शिक्षक अनेक छात्रों को एक ही समय में ज्ञान, तथ्य, सिद्धान्त या अन्य सूचनाएँ दे सकता है। व्याख्यान करते समय शिक्षक अनेक उदाहरण, वर्णन, विवरण, निर्देशन और प्रश्नोत्तरी आदि युक्तियां करके विषय सामग्री को स्पष्ट करने का प्रयत्न करता है। आज इस विधि में आगमन, निगमन, विश्लेषण विधियों का प्रयोग किया जाता है।
यह विधि सामाजिक विषयों, धर्म, दर्शन, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र तथा शिक्षण तकनीकी शिक्षण के लिए प्रयोग की जाती है। इसके अभाव में शिक्षक विस्तृत पाठ्यचर्या को पूरा नहीं कर सकता।
थॉमस एम. रिस्क के अनुसार, “व्याख्यान उन तथ्यों या सिद्धान्तों तथा अल्प सम्बन्धों का स्पष्टीकरण है जिनको शिक्षक चाहता है कि उसके सुनने वाले उसे समझें।”
According to Thomas M. Risk, “Lecture is an exposition of facts, principles or other relationship that the teacher wishes his hearers to understand.”
जेम्स एम. ली के अनुसार, व्याख्यान एक शिक्षण शास्त्रीय पद्धति है जिसमें शिक्षक औपचारिक व नियोजित रूप से किसी प्रकरण पर भाषण देता है।”
व्याख्यान प्रक्रिया का विश्लेषण निम्न चार्ट द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
व्याख्यान विधि का प्रयोग कब किया जाए? (When to Use the Lecture Method?)
शिक्षक को व्याख्यान विधि का प्रयोग निम्नांकित कार्यों हेतु कर लेना चाहिए-
(1) संक्षिप्तीकरण हेतु (To Summarise) – कुछ विद्यार्थी विषय-वस्तु की व्यापकता को देखकर घबरा जाते हैं। वे इतनी विशाल विषय-वस्तु के जाल से निकलने में अपने को असफल पाते हैं। इस दशा में वे अपनी विशाल विषय-वस्तु को पढ़ने की भी इच्छा प्रकट नहीं करते हैं। अतः यह आवश्यक है कि इतनी विशाल विषय-वस्तु को किसी ऐसी विधि से प्रस्तुत किया जाए कि सम्पूर्ण विषय-वस्तु एक छोटे से रूप में विद्यार्थियों के सम्मुख उपस्थित हो जाए। यह कार्य व्याख्यान-विधि द्वारा सरलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है। इसके अलावा व्याख्यान के द्वारा विद्यार्थियों के सम्मुख विशाल विषय-वस्तु संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करके विद्यार्थियों को विषय-वस्तु का एक मोटा सा ज्ञान दिया जा सकता है। इससे विद्यार्थी जब पुस्तकें पढ़ते हैं तो उनका अध्ययन अधिक अर्थपूर्ण हो जाता है। अतः व्याख्यान विधि का प्रयोग विशाल विषय-वस्तु का संक्षिप्तीकरण करने हेतु किया जाना चाहिए।
(2) प्रेरणा प्रदान करने हेतु (To Motivate)- किसी विषय के पाठ या इकाई को प्रस्तुत करने से पूर्व व्याख्यान विधि द्वारा उसे नए विषय, पाठ या इकाई के प्रमुख बिन्दुओं का ज्ञान कराकर विद्यार्थियों को उस विषय पाठ या इकाई से सीखने हेतु प्रेरित किया जा सकता है। इससे विद्यार्थियों को जब विषय-वस्तु प्रस्तुत की जाएगी तो उन्हें समझने में भी सुविधा होगी।
(3) समय बचाने हेतु (To Save Time) – पाठ्य पुस्तक पढ़ने तथा समझने में समय लगता है। इसी प्रकार शिक्षण की आधुनिक पद्धतियाँ भी अधिक समय चाहती हैं। इससे विद्यार्थियों को कभी-कभी समय बचाने की आवश्यकता पड़ जाती है। व्याख्यान विधि के द्वारा विद्यार्थियों का समय सरलता से बचाया जा सकता है। व्याख्यान द्वारा थोड़े से समय में पर्याप्त विषय-वस्तु प्रस्तुत की जा सकती है। अतः व्याख्यान का प्रयोग विद्यार्थियों का समय बचाने हेतु भी किया जा सकता है।
(4) स्पष्ट करने हेतु (To Clarify) – व्याख्यान विधि का प्रयोग विषय के तकनीकी शब्द, सम्बोधन, प्रत्यय तथा सिद्धान्तों को स्पष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है। तकनीकी शब्दों, सम्बन्धों आदि की व्याख्या केवल व्याख्यान विधि द्वारा ही सम्भव है। भूगोल / अर्थशास्त्र शिक्षण में अनेक स्थानों पर तकनीकी शब्द सम्बन्ध तथा सिद्धान्त आते हैं। उनका स्पष्टीकरण सरल तथा स्पष्ट शब्दों में करना आवश्यक है अतः वहाँ व्याख्यान विधि अपना लेनी चाहिए।
(5) गृह कार्य देने हेतु (To Give Home Assignment)- आज आपने जो कुछ कक्षा में पढ़ा है उस पर एक लेख लिखिए। इस प्रकार का गृहकार्य देना अत्यन्त अमनोवैज्ञानिक है। वास्तव में जो कुछ भी गृह कार्य दिया जाए उसकी उपयोगिता वर्तमान विषय-वस्तु से उसका सम्बन्ध, किस प्रकार उसे किया जाए आदि पर एक छोटा सा भाषण दे देना अच्छा रहता है। शिक्षक को गृह कार्य देते समय व्याख्यान का प्रयोग कर लेना चाहिए।
(6) अतिरिक्त विषय-वस्तु प्रस्तुत करने हेतु (To Present Additional Subject Material) – कभी-कभी पुस्तकों में किसी विषय से सम्बन्धित विषय-वस्तु अत्यन्त संक्षिप्त, अपर्याप्त एवं गलत होती हैं विद्यार्थियों के स्तर को देखते हुए शिक्षक को अतिरिक्त विषय-वस्तु देनी आवश्यक हो जाती है। शिक्षक व्याख्यान विधि द्वारा विद्यार्थियों को अतिरिक्त विषय-वस्तु प्रदान कर सकता है। इस प्रकार व्याख्यान विधि का प्रयोग शिक्षक अनेक स्थानों पर सफलतापूर्वक कर सकता है।
यदि शिक्षक विद्यार्थियों की आयु व मानसिक स्तर का ध्यान रखें एवं एकरूपता को भंग करने हेतु अवधान विस्तार का ध्यान रखें और अपनी व्याख्यान विधि को थोड़ा प्रजातान्त्रिक बना सकें तथा वह विद्यार्थियों का बीच-बीच में सहयोग लेते रहें एवं उपयुक्त उदाहरणों इत्यादि के आधार पर चलें तो यह अधिक प्रभावशाली व रुचिकर विधि हो सकती है। किन्तु आधारभूत आवश्यकता शिक्षक का विषय-वस्तु पर अधिकार एवं भाषा पर पूर्ण नियन्त्रण है।
व्याख्यान विधि के गुण (Merits of Lecture Method)
व्याख्यान विधि के गुण इस प्रकार हैं-
(1) इस विधि में वैज्ञानिक सामग्री एवं उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है। इस विधि द्वारा अध्यापक एक ही समय में अधिकतर छात्रों को शिक्षण कार्य करा सकता है। अतः यह आर्थिक दृष्टि से उपयोगी है।
(2) इस विधि में कम समय में अधिक जानकारी छात्रों को दी जा सकती है जिससे समय की बचत होती है।
(3) अध्यापक के लिए यह विधि अधिक सरल एवं उपयोगी है। अतः उसे प्रयोग (Experiment) आदि नहीं करना पड़ता है।
(4) तथ्यात्मक ज्ञान एवं ऐतिहासिक विवेचना हेतु यह सर्वोत्तम विधि है।
(5) इस विधि का प्रयोग अन्य विधियों की सहायक विधि के रूप में किया जा सकता है।
(6) इस विधि में पाठ्यवस्तु का प्रस्तुतीकरण तर्कसंगत एवं युक्तिसंगत ढंग से किया जाता है।
(7) उच्च कक्षाओं में व्याख्यान विधि द्वारा अध्यापक अपनी योग्यता की छाप छोड़ता है।
(8) पढ़ायी गयी पाठ्यवस्तु पर आधारित प्रश्नोत्तरों के माध्यम से व्याख्यान विधि की सफलता अधिक बढ़ जाती है।
(9) इस विधि के द्वारा पाठ्यवस्तु की पुनरावृत्ति भी सम्भव होती है।
(10) महापुरुषों के बारे में पढ़ाते समय इस विधि का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है।
व्याख्यान विधि के दोष (Demerits of Lecture Method)
व्याख्यान विधि के प्रमुख दोष इस प्रकार हैं-
(1) छात्रों की तत्परता की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता। इस कारण यह एक अमनोवैज्ञानिक विधि है।
(2) इसमें प्रयोगात्मक कार्यों की अवहेलना की जाती है।
3) इसमें व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार शिक्षण सम्भव नहीं होता।
(4) ‘करके सीखना जैसी उपयोगी विधि की पूर्णरूपेण अवहेलना की जाती है।
(5) छात्र मात्र निष्क्रिय श्रोता बनकर रह जाता है।
(6) तर्क व निरीक्षण का सर्वथा अभाव रहता है।
(7) इस विधि द्वारा मानसिक शक्तियों का सही प्रकार से विकास नहीं हो पाता है।
(8) छात्रों में आलोचनात्मक दृष्टिकोण का विकास नहीं हो पाता है।
(9) यह विधि केवल स्मृति केन्द्रित है।
(10) शिक्षक की अध्यापन गति अधिक तीव्र होती है छात्र उतनी तीव्र गति से अधिगम नहीं पर पाता है।
(11) इसमें लोकतान्त्रिक वातावरण का अभाव रहता है।
व्याख्यान विधि को सफल बनाने हेतु सुझाव (Suggestions for the Success of Lecture Method)
इस विधि को सफल बनाने हेतु सुझाव निम्नलिखित हैं-
(1) शिक्षक अपनी व्याख्यान विधि को थोड़ा प्रजातान्त्रिक बनाए।
(2) छात्रों की आयु व मानसिक स्तर का ध्यान रखना चाहिए।
(3) व्यक्तिगत भिन्नता को ध्यान रखकर ही शिक्षण होना चाहिए।
(4) एकरूपता को भंग करने हेतु व्याख्यान के बीच-बीच में उदाहरण, कहानी आदि का प्रयोग करें।
(5) छात्रों का बीच-बीच में सहयोग लेते रहें।
(6) छात्रों को अपनी जिज्ञासा के अनुसार प्रश्न पूछने की स्वतन्त्रता दी जाए।
- बालक का संवेगात्मक विकास
- बालक के पालन-पोषण में आर्थिक परिस्थितियों के प्रभाव
- बाल्यावस्था की विशेषताएँ
- बाल्यावस्था में शारीरिक विकास
- सेमेस्टर प्रणाली के गुण व दोष
इसी भी पढ़ें…
- पाठ्यचर्या प्रकल्प निर्माण की प्रक्रिया
- पाठ्यचर्या की रूपरेखा से क्या तात्पर्य है?
- पाठ्यचर्या विकास के उपागम
- पाठ्यक्रम निर्माण से क्या तात्पर्य है? पाठ्यक्रम निर्माण के सोपान
- शैक्षिक उद्देश्यों के निर्धारण के मानदण्ड
- पाठ्यक्रम निर्माण के सिद्धान्त
- पाठ्यचर्या निर्धारण के प्रमुख विषयों को बताइए।
- पाठ्यक्रम की परिभाषा | पाठ्यक्रम का महत्त्व तथा उपयोगिता
- राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर पाठ्यचर्या कल्पना
Disclaimer: currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है। हम सिर्फ Internet और Book से पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com