भारतीय रसायन शास्त्र के जनक | (Doctor Prafull Chandra Ray in Hindi) :- आज Currentshub.Com आपके रसायन विज्ञान के अंतर्गत आने वाले वाला एक महत्वपूर्ण टॉपिक ‘भारतीय रसायन शास्त्र के जनक | (Doctor Prafull Chandra Ray in Hindi), लेकर आए हुए हैं। यहाँ हम जानेंगे की रसायन विज्ञान क्या है ? रसायन विज्ञान की शाखाएँ भारतीय रसायन शास्त्र के जनक | (Doctor Prafull Chandra Ray in Hindi) इत्यादि के बारे में विस्तार से|
अनुक्रम (Contents)
रसायन विज्ञान क्या है ? रसायन विज्ञान की शाखाएँ
भारतीय रसायन शास्त्र के जनक | (Doctor Prafull Chandra Ray in Hindi)
प्रफुल्ल चंद्र राय (1861-1944) ने रसायन शास्त्र के क्षेत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया और बाद में भारत में रसायन शास्त्र के पिता के रूप में पहचाने गए। उन्हें मरक्यूरस नाइट्रेट की खोज करने और अमोनियम नाइट्रेट का संश्लेषण करने श्रेय दिया जाता है। नाइट्रेट्स पर उनके शोध के कारण से उन्हें अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक जगत में ‘द नाइट्रेट मैन’ कहकर पुकारा जाने लगा। 1901 में ‘बंगाल कैमिकल एंड फार्मास्यूटिकल्स’ की स्थापना की थी। राय बहुत ही लोकप्रिय शिक्षक थे और सत्येंद्र नाथ व मेघनाद साहा जैसे उनके कुछ छात्र भारत में भावी वैज्ञानिक शोध में विशेष भूमिका निभाये।
• सन् 1861 में बंगाल व भारत को रवींद्रनाथ टैगोर व आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय के रूप में दो महान पुरुषों की प्राप्ति हुई थी। पी. सी. राय के नाम से मशहूर आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त, 1861 को हुआ। यही पी. सी. राय बाद में भारत में रसायनशास्त्र के अध्ययन, रसायनशास्त्र शोध व रसायन उद्योग के अग्रदूत बने। पी. सी. राय के जीवन व उनके कामों को जानने वाले विद्वानों और जानकारी के अनुसार, दो खंडों में प्रकाशित उनकी आत्मकथा लाइफ एंड एक्सपीरियंसेज ऑफ ए बंगाली केमिस्ट उनके सर्वश्रेष्ठ कार्यों में शामिल है।
• श्री राय इंडियन स्कूल ऑफ केमिस्ट्री के संस्थापक भी रहे हैं। सन् 1885 में उन्होंने विज्ञान विषय में स्नातक पूरा किये। सन् 1887 में उन्होंने डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि पाई। उन्हें होप प्राइज स्कॉलरशिप भी प्राप्त हुई व वह एडिनबरा विश्वविद्यालय की केमिकल सोसाइटी के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे।
आचार्य राय ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। गोपाल कृष्ण गोखले से लेकर गाँधी जी तक से उनका मिलना जुलना था। कलकत्ता में गांधी जी की पहली सभा कराने का श्रेय डा. राय को ही जाता है। राय एक सच्चे देशभक्त थे उनका कहना था;- “विज्ञान प्रतीक्षा कर सकता है, पर स्वराज नहीं“। वह स्वतंत्रता आन्दोलन में एक सक्रिय भागीदार थे। उन्होंने असहयोग आन्दोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के रचनात्मक कार्यों में मुक्तहस्त आर्थिक सहायता दी। उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था —”मैं रसायनशाला का प्राणी हूँ। मगर ऐसे भी मौके आते हैं जब वक्त का तकाज़ा होता है कि टेस्ट-ट्यूब छोड़कर देश की पुकार सुनी जाए“। लेकिन अफसोस! डा. राय देश को स्वतंत्र होते अपनी आँखों से नहीं देख सके। 16 जून, 1944 को उनका देहावसान हो गया।
तो दोस्तों, शायद अब आपको “भारतीय रसायन शास्त्र के जनक | (Doctor Prafull Chandra Ray in Hindi) ” का कांसेप्ट अच्छे से समझ आ गया होगा, यदि कोई डाउट हो तो आप कमेंट या मेल के माध्यम से अपना डाउट क्लियर कर सकते हैं|
वास्तविक विलयन और कोलाइडी विलयन में अंतर
प्रगामी और अप्रगामी तरंगों में अंतर
चालन संवहन तथा विकिरण में अंतर
रेखीय वेग और कोणीय वेग में अंतर
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