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गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त | Gardner theory of multiple intteligence in hindi

गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त
गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त

गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त (Gardner theory of multiple intteligence in hindi)

गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धान्त- गार्डनर ने कहा कि बहु बुद्धि आठ बुद्धियों भाषायी, तार्किक, गणितीय, स्थानिक, शारीरिक गतिक संगीतिक, अन्तवैयक्तिक, स्व- वैयक्तिक और प्रकृतिजन्य बुद्धि का समुच्चय है, जो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में भिन्न-भिन्न मात्रा में होती है।

गार्डनर ने अपने बहु बुद्धि सिद्धान्त में यह स्पष्ट किया कि बुद्धि की व्याख्या किसी संदर्भ – विशेष के परिप्रेक्ष्य में की जानी चाहिए। उसके अनुसार बुद्धि संदर्भित बुद्धि (Contextualized intelligence) होती है। उसका मानना है कि व्यक्ति में विभिन्न बुद्धियों के प्रति कुछ प्रवृत्तियाँ होती है। बुद्धि किसी विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भ में जैविक प्रवृत्तियों और सीखने के अवसरों के बीच होने वाली अंतःक्रियाओं के रूप में होती है।

गार्डनर ने अपने बहु बुद्धि सिद्धान्त (Multiple Intelligence Theory) में बुद्धि को निम्नलिखित आठ प्रकार की बुद्धियों के समुच्चय के रूप में प्रस्तुत किया है-

1. भाषायी बुद्धि (Longuistic Intelligence)

2. तार्किक – गणितीय बुद्धि (Logical Matthematical Intelligence)

3. स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence)

4. शारीरिक -गतिक बुद्धि (Bodily Kinesthetic Intelligence)

5. संगीतिक बुद्धि (Musical Intelligence)

6. अन्त:वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence People Smart)

7. स्व- वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence, Self Smart)

8. प्रकृतिजन्य बुद्धि (Naturalistic Intelligence)

1. भाषा बुद्धि (Longusitic Intelligence)- इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपनी भाषिक अभिव्यक्ति की योग्यता प्राप्त करता है। इसे शाब्दिक योग्यता भी कहा जाता है। इसमें शब्दों और वाक्यों की बोधगम्यता, शब्दावली, शब्दों का प्रभावपूर्ण उपयोग आदि सम्मिलित होता है। लेखक, पत्रकार, वक्ता, प्रवक्ता नेता आदि में भाषायी बुद्धि अधिक होती है।

2. तार्किक गणितीक बुद्धि (Logical Mathematical Intelligence) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति तर्कशक्ति, विश्लेषण शक्ति और गणित की समस्याओं को हल करने की योग्यता प्राप्त करता है। इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति संस्थाओं को जोड़ने, घटाने, गुणा करने, भाग देने, आंकिक श्रेणियों को हल करने में कुशल होते हैं। वैज्ञानिक, इंजीनियर, वित्त अधिकारी दार्शनिक आदि में तार्किक गणितीय बुद्धि अधिक होती है।

3. स्थानिक बुद्धि (Spatial Intelligence) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति स्थानिक कल्पना शक्ति, स्थानिक चित्रों में सम्बन्ध स्थापित करने की क्षमता, प्रत्ययों का निर्माण करने की दक्षता, वास्तु, भवन निर्माण आदि की क्षमताएँ प्राप्त करता है। कलाकार, शिल्पकार, वास्तु निर्माता, अभियन्ता मैकेनिक नाविक आदि में यह स्थानिक बुद्धि अधिक होती है।

4. शारीरिक गतिक बुद्धि (Bodily Kinesthetic Intelligence ) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति शारीरिक गति पर नियंत्रण रखने की क्षमता, वस्तुओं और पदार्थों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति अपनी शरीर भाषा (Body Language) से विचारों को अभिव्यक्त करने में दक्ष होते हैं। कलाकार, नट, नर्तक, किसान, खिलाड़ी और सर्जन आदि में यह बुद्धि अधिक होती है।

5. संगीतिक बुद्धि (Musical Intelligence) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति लय, ताल, ध्वनि तथा उसकी तीव्रता का प्रत्यक्षीकरण करने की क्षमता प्राप्त करता है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति संगीतात्मक कौशल का धनी होता है। संगीतकार, कम्पोजीटर, गीतकार आदि में यह बुद्धि अधिक होती है।

6. अन्तः वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligence People Smart)- इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अन्य लोगों की भवनाओं, इच्छाओं, संवेगो, प्रेरणाओं और आवश्यकताओं को समझने को योग्यता प्राप्त करता है। इस प्रकार की बुद्धि वाला व्यक्ति अन्य लोगों के साथ प्रभावपूर्ण ढंग से अन्तःक्रिया करने में सफल होता है। जिन व्यक्तियों में यह बुद्धि अपेक्षाकृत अधिक होती है, वे सफल शिक्षक, सफल व्यवसायी, सफल प्रबंधक, सफल राजनीतिज्ञ आदि बनते हैं।

7. स्व- वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal Intelligene, Self Smart) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति अपने स्वयं के भावों और संवेगों पर नियंत्रण प्राप्त करने की, अपने स्वयं के लक्ष्यों, रुचियों, अभिरुचियों को जानने की और अपने स्वयं की आन्तरिक अनुभूतियों को समझने की योग्यता रखता है। जिन व्यक्तियों में यह बुद्धि अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, वे मनोवैज्ञानिक, चिन्तक दार्शनिक और तत्त्वज्ञानी होते हैं।

8. प्रकृतिजन्य बुद्धि (Naturalistic) – इस बुद्धि के द्वारा व्यक्ति प्रकृति में घटने वाली घटनाओं, प्रकृति के स्वरूप, प्रकृति एवं मनुष्य द्वारा बनाई गई व्यवस्था आदि को समझने की योग्यता रखता है। इस बुद्धि का उपयोग कृषि, जीव विज्ञान और वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र से सम्बन्धित रहस्यों को उजागर करने में अधिक होती है। जिन व्यक्तियों में यह बुद्धि अपेक्षाकृत अधिक पायी जाती है, वे सफल किसान, कृषि वैज्ञानिक, जैव वैज्ञानिक, वनस्पति विशेषज्ञ, भूगर्भशास्त्री आदि होते हैं।

गार्डनर की मान्यता है कि प्रत्येक व्यक्ति में उपरोक्त सभी बुद्धियाँ होती है लेकिन वंशानुक्रम और वातावरणिक परिस्थितियों के कारण व्यवहार में बुद्धि का प्रकटीकरण कम या अधिक मात्रा में देखा जा सकता है। यद्यपि से सभी प्रकार की बुद्धियाँ एक-दूसरे के साथ अन्तःक्रिया करती हैं तथापि प्रत्येक बुद्धि एक स्वतंत्र रूप में कार्य करती है। मस्तिष्क में प्रत्येक बुद्धि का अपना अलग मापांक (Module) होता है, जो अपने नियम एवं कार्यविधि द्वारा संचालित होता है। मस्तिष्क में किसी विशेष प्रकार की क्षति होने पर एक तरह की बुद्धि क्षतिग्रस्त हो सकती है। लेकिन उसका प्रभाव दूसरे प्रकार की बुद्धियों पर नहीं पड़ता । प्रत्येक बुद्धि में एक अपूर्व या अद्वितीय या विशिष्ट कौशल होता है और प्रत्येक बुद्धि का परिणाम व्यक्ति के व्यापार में देखा जा सकता है। गार्डनर का कहना है कि एक बुद्धि कौशल का उपयोग दूसरे बुद्धि कौशल के प्रयोग में किा जा सकता है; जैसे- संगीत सुनते हुए अध्ययन कार्य करना ।

गार्डनर ने एक बहुखण्ड ढाँचा (Multiple Frame) प्रदान करके बुद्धि की संकल्पना और इसके मापन को एक विस्तृत आधार प्रदान किया है। कम आयु में प्रतिभाशाली बालकों को पहचानने के लिए यह सिद्धान्त आधार का काम कर सकता है। गार्डनर का यह सिद्धान्त छात्रों का कल्पनात्मक लेखन, स्वर लिपि, नृत्य तथा दृष्टि कला (Visual Arts) आदि क्षेत्रों में विशेष दक्षता प्राप्त करने में सहायक हो सकता है। शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों की बुद्धि का अध्ययन करके यह ज्ञात करें कि किस छात्र में कौन-सी बुद्धि असाधारण रूप से अधिक मात्रा में और उसी क्षेत्र में विशिष्टता प्राप्त करने के लिए उसको प्रेरित करें। शिक्षक को छात्र की, उनकी बुद्धि के सबसे मजबूत पक्ष के विकास में सहायता करनी चाहिए। शैक्षिक और व्यवसायिक निर्देशन में भी गार्डनर के इस सिद्धान्त का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।

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