अनुक्रम (Contents)
पारिवारिक विघटन की अवधारणा प्रस्तुत कीजिए व इसके लक्षणों का वर्णन कीजिए।
आधुनिक समाज परिवर्तन का युग है। इस परिवर्तन की प्रक्रिया में वे वस्तुएँ एवं धारणायें भी परिवर्तित हो रही हैं, जिनकी जड़े काफी प्राचीन हैं। आस्थाओं, मूल्यों, विचारों, विश्वासों, परम्पराओं, संस्थाओं में तीव्रता से परिवर्तन हो रहा है। आधुनिक समाज का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जिनमें परिवर्तन न हो रहे हो। इसका स्वरूप, ढाँचा, संगठन आदि सब कुछ बदल रहा है।
वस्तुतः परिवार का निर्माण पति-पत्नी तथा बच्चों से होता है किन्तु एक संयुक्त परिवार में माता पिता और बच्चों के दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ आदि भी आ जाते हैं। संयुक्त परिवार टूटकर एकांकी परिवार में परिवर्तित हो रहे हैं। परिवार के विघटन होने की प्रक्रिया कोई ऐसी घटना नहीं है जो केवल परिवार के साथ ही घटी हो अपितु इसका घनिष्ठ सम्बन्ध सामाजिक विघटन से है। यह अन्तः क्रियायें आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, मनोरंजन और कल्याणकारी कार्यों में देखी जा सकती हैं। पति और पत्नी कोई ऐसी इकाई नहीं है जो समय में अलग-अलग रहकर अपने विश्वासों और क्रिया-कलापों का निर्माण करें। वे समाज के सदस्य हैं। उन पर भी उतना ही सामाजिक परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है जितना कि समाज के किसी और अंग पर पति-पत्नी के पारस्परिक विचार, सद्भावना प्रेम, लगाव, मूल्य आदि जब तक मधुर हैं तब तक परिवार विघटित नहीं होता है। किन्तु जैस-जैसे उनके विचार, मूल्य और कार्य पद्धति में परिवर्तन होने लगता है वैसे-वैसे पारिवारिक शांति और एकता छिन्न भिन्न होने लगती है, इससे पारिवारिक विघटन होता है। पारिवारिक सम्बन्ध भावना पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग ढंग से परिवार में विभिन्न प्रकार की भावनाओं का अनुभव करता है। भारतीय परिवार जन्म-जन्मांतर के सम्बन्धों से जुड़ा है। परिवार का ताना-बाना, पारस्परिक सम्बन्ध, संस्कृति और धर्म के तत्वों से बना होता है। किन्तु पाश्चात्य देशों में इस प्रकार की विशेषताओं का अभाव पाया जाता है। स्त्री को तलाक देना अथवा पति को तलाक देना वहाँ सामान्य बात है। आरम्भ से ही बच्चे को परिवार से अलग रखकर पढ़ाना-लिखाना आदि वहाँ का चलन है। प्रेम और स्नेह की मात्रा जितनी अधिक भारतीय परिवारों में पायी जाती है वहाँ के समाज में नहीं पाई जाती है। इसलिए हम आज भी अपने परिवार से जुड़े हुए हैं। आज भी परिवार के सभी व्यक्ति तीज त्यौहार, विवाह आदि अवसरों में एकत्रित होते हैं। अस्तु प्रत्येक देश के पारिवारिक विघटन की पृष्ठभूमि में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनैनिक कारक भिन्न-भिन्न होते हैं। इसलिए उनके विघटन के स्वरूप और दर में अन्तर होता है।
पारिवारिक विघटन की परिभाषा
“विस्तृत अर्थ में पारिवारिक विघटन का अर्थ एकमत्य और निष्ठा का भंग होना, पूर्व सम्बन्धों का टूट जाना, पारिवारिक चेतना का समाप्त होना तथा अलगाव का विकास है।”
इलियट और मेरिल के शब्दों में, “विस्तृत अर्थों में पारिवारिक विघटन को विभिन्न्न प्रकारों में से परिवार विघटन के किसी भी प्रकार के कार्यात्मक असंतुलन के रूप में सोचा जा सकता है। अस्तु पारिवारिक विघटन के अन्तर्गत केवल पति और पत्नी के मध्य पाये जाने वाले तनावों का ही नहीं वरन माता-पिता व बच्चों के मध्य पाए जाने वाले तनावों को भी सम्मिलित किया जा सकता है।”
इलियट और मेरिल के अनुसार, “जब पारिवारिक संगठन की विशेषताओं का लोप होने लगता है तब पारिवारिक विघटन का विकास होता है।”
पारिवारिक विघटन के लक्षण
परिवार समाज की एक मौलिक एवं प्राचीन इकाई है। यह इकाई समाज के अनुरूप कार्य करती है। सामान्यतः इसके सदस्यों के मध्य एकता, प्रेम, स्नेह, एकमत्य की भावना पाई जाती है। अस्तु परिवार के सभी व्यक्तियों के बीच एक सौहार्द्रपूर्ण वातावरण होता है। लेकिन परिवार का सौहार्द्रपूर्ण वातावरण भी बहुत कुछ बाह्य वातावरण अथवा समाज से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता है। जब समाज के विभिन्न अंगों में परिवर्तन होते हैं तब उसका प्रभाव परिवार के ऊपर भी पड़ता है। परिणामस्वरूप वे भी परिवर्तित होकर विघटित होने लगते हैं। पारिवारिक विघटन की प्रक्रिया में कुछ लक्षणों को देखा जा सकता है, • जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि परिवार विघटित हो रहे हैं। ये निम्नलिखित हैं-
1. परिवार के सदस्यों में जब व्यक्तिगत स्वार्थों का जन्म होता है जब प्रत्येक सदस्य अपनी-अपनी इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति करने में लीन हो जाता है।
2. परिवार के सदस्यों के मध्य तनाव उत्पन्न होना।
3. परिवार में कुछ आंतरिक सम्बन्ध होते हैं जिनके आधार पर सम्पूर्ण परिवार बँधा तथा संगठित रहता है किन्तु जब आंतरिक सम्बन्ध टूटने लगते हैं तथा परिवार विघटित होने लगता है।
4. संगठित परिवार में परिवार के सभी व्यक्तियों की भूमिकाएँ एवं स्थितियाँ निश्चित होती हैं और जब यह भूमिकाएँ टूटने लगती हैं तब परिवार विघटित होने लगता है।
5. पारिवारिक विघटन सामाजिक विघटन से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है। समाज के सभी अंग जब परिवर्तित और विघटन होने लगते हैं तब परिवार उस परिवर्तन और विघटन को अपने से कैसे बचा सकता है। अस्तु, सामाजिक विघटन के फलस्वरूप ही पारिवारिक विघटन होता है।
6. यह आवश्यक नहीं है कि परिवार, विवाह विच्छेद मृत्यु तनाव आदि के कारण विघटित हो । यह भी हो सकता है कि परिवार के सदस्यों में मनोवृत्तियों, विचारों, आदर्शों, मूल्यों आदि में आंतरिक विरोध के कारण पारिवारिक विघटन उत्पन्न हो ।
7. कभी-कभी ऐसा देखा जाता है कि परिवार के सदस्य बाहरी रूप में एक दिखाई देते हैं किन्तु आंतरिक रूप में वे एक-दूसरे के कार्यों से अलग-अलग रहते हैं। यहाँ तक कि वे में न रुचि रखते हैं और न भाग ही लेते हैं। यह भी सामाजिक पारिवारिक विघटन का रूप है। एक-दूसरे के कार्यों 8. पारिवारिक विघटित के अनेक प्रकार हो सकते हैं जो भिन्न-भिन्न कारणों से प्रभावित हो सकते हैं जैसे –
(i) संतानहीन परिवार,
(ii) विधवा परिवार,
(iii) अवैधानिक परिवार,
(iv) अविवाहित माता एवं सतान का परिवार,
(v) तलाकशुदा परिवार,
(vi) तलाकशुदा माँ और बच्चों का परिवार,
(vii) संकटग्रस्त परिवार एक ऐसा परिवार है जो अनेक प्रकार के शारीरिक, मानसिक तथा अन्य प्रकार के संकट से पीड़ित होता है। इस प्रकार के व्यक्ति अपने ही परिवार के सदस्यों से कटे रहते हैं।
(viii) सामान्य परिवार,
(ix) तलाकशुदा पुरुष अथवा स्त्री से पुनः विवाह होने पर जब उनमें और उसके बच्चों के मध्य सामंजस्य नहीं हो पाता है तो परिवार विघटित होते हैं।
इसी भी पढ़ें…
इसी भी पढ़ें…
- सांख्यिकी का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definition of Statistics in Hindi
- सांख्यिकी की विशेषताएँ | Characteristics of Statistics in Hindi
- सांख्यिकी की सीमाएं | Statistic limits in Hindi
- सांख्यिकी की समाजशास्त्रीय उपयोगिता
- आनुभविक अनुसन्धान का अर्थ, प्रकार, उपयोगिता या महत्व तथा दोष | Empirical Research in Hindi
- व्यावहारिक अनुसन्धान की परिभाषा | व्यावहारिक अनुसन्धान प्रकार | Applied Research in Hindi
- मौलिक अनुसन्धान का अर्थ, परिभाषा, विशेषतायें एवं उपयोगिता
- उपकल्पना या परिकल्पना का अर्थ, परिभाषाएँ, प्रकार तथा प्रमुख स्रोत
- सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ