स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा

राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता में शारीरिक शिक्षा तथा खेलकूद की भूमिका

राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता में शारीरिक शिक्षा तथा खेलकूद की भूमिका
राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता में शारीरिक शिक्षा तथा खेलकूद की भूमिका

राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता में शारीरिक शिक्षा तथा खेलकूद की भूमिका

राष्ट्रीय एकता एवं भावात्मकता के आदर्श को प्राप्त करने के लिए शारीरिक शिक्षा और खेलकूद इस प्रकार अहम भूमिका निभा सकते हैं-

1. स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवनशैली

शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक लाभों का व्यापक प्रसार तथा खेल किस प्रकार आहार में सुधार; तम्बाकू, ऐल्कोहॉल तथा ड्रग के उपयोग को हतोत्साहित करने में योगदान दे सकते हैं; हिंसा में कमी लाने में सहायक हो सकते हैं; कार्यात्मक क्षमता में वृद्धि करते हैं; एचआईवी/एड्स जैसे रोगों से लगे कलंक को मिटा सकते हैं और सामाजिक सह-सम्बन्ध तथा एकीकरण को बढ़ावा देते हैं; इसका प्रसार करना/इससे स्वास्थ्य की देखरेख पर होने वाले खर्च में कमी आएगी व उत्पादकता बढ़ेगी तथा शारीरिक और सामाजिक जीवनशैली और पर्यावरण विकसित होगा जो देश की एकता एवं भावात्मकता के आदर्श को बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

2. शिक्षा और खेल

खेल वैयक्तिक और सामाजिक विकास में सहायक होते हैं, संख्यात्मक और साक्षरता जैसे बुनियादी कौशलों में शैक्षिक प्रदर्शन में सुधार, कर्त्तव्य से हटने की प्रवृत्ति में कमी, और युवा समुदाय को शिक्षा तथा विद्यालयों में पुनः व्यस्त रखने से सामाजिक व्यवहार में सुधार तथा में समाज विरोधी एवं आपराधिक प्रवृत्तियों में कमी आती है। ये सभी कारक राष्ट्रीय एकता और भावात्मकता के विकास के लिए अत्यंत ही आवश्यक हैं।

3. नेतृत्व और टीम-कार्य

संवाद स्थापित करने और संयुक्त गतिविधि के लिए सम्पूर्ण समुदाय को एक करने के लिए खेल शक्तिशाली उपकरण हैं; वैयक्तिक विकास, नेतृत्व और टीम कार्य कौशलों, प्रोत्साहन, कोचिंग और खेल प्रशासन के माध्यम से स्वयं सेवा को पोषण और सामुदायिक और सहभागिता का विकास होता है।

4. समग्र समुदाय निर्माण

समुदाय निर्माण कार्य में सहायता देने के लिए खेलों के माध्यम से सामाजिक सहिष्णुता को बढ़ावा देना तथा समुदाय के सभी सदस्यों के जुड़े रहने के भाव के लिए व्यक्तियों और समुदाय को एक होने की भावना का विकास, महिलाओं और अन्य कमजोर तबकों को अपनी स्वतंत्रता और आत्म-विश्वास में वृद्धि करने के लिए सशक्त बनाना और विकलांग व्यक्तियों के कल्याण के लिए एक सम्मिलित दृष्टिकोण अपनाना भी राष्ट्रीय एकता और भावात्मकता के आदर्श के लिए आवश्यक है।

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shubham yadav

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